नई दिल्ली- गुजरात में निर्भय न्यूज के पत्रकार जगदीश मेहता द्वारा आदिवासी समुदाय के खिलाफ दिए गए कथित अपमानजनक और आपत्तिजनक बयानों ने व्यापक विवाद खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया, विशेष रूप से एक्स (X) पर, आदिवासी समुदाय और उनके समर्थकों ने इस बयान की कठोर निंदा की है और पत्रकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार मेहता ने उक्त टिप्पणी खेडब्रह्मा के आदिवासी विधायक तुषार चौधरी की रहन सहन की तुलना आदिवासी समुदाय के लोगों से करते हुए की थी जिससे समुदाय में गहरा आक्रोश फ़ैल रहा है। सोशल मीडिया यूजर इस टिप्पणी को संविधान विरोधी मान रहे हैं। इनका कहना है कि यह बयान केवल एक व्यक्ति के विरुद्ध नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज की गरिमा के विरुद्ध है।
जगदीश मेहता के बयान के बाद आदिवासी समुदाय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सोशल मीडिया पर #जगदीश_महेता_माफ़ी_मांगे और #ArrestJagdishMehta जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने इस बयान को नफरत और भेदभाव को बढ़ावा देने वाला करार दिया है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में गुजरात के पत्रकार जगदीश मेहता ने आदिवासी विधायक तुषार अमरसिंह चौधरी के संदर्भ में समुदाय को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने आदिवासी लोगों के रंग, रहन सहन, नंगे पाँव रहने आदि को असभ्य, जंगली, और गँवार जैसे शब्दों से संबोधित किया। मेहता के कहने का तात्पर्य यह बताना था कि विधायक चौधरी का रहन सहन आदिवासी समुदाय से एकदम उलट है, आदिवासी काले, नंगे पाँव, उघाड़े बदन जंगलों में रहने वाले हैं, वहीँ विधायक आलिशान तरीके से रहते हैं।
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद आदिवासी समुदाय और उनके समर्थकों में गहरा आक्रोश फैल गया। एक्स पर कई यूजर्स ने इस बयान को न केवल एक व्यक्ति के खिलाफ, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया।
एक्टिविस्ट कुणाल झारखंडी ने एक विडियो पोस्ट की जिसमे पत्रकार मेहता आदिवासी समुदाय के लिए आपत्तिजनक टिपण्णी करते हुए दिख रहे हैं. उन्होंने पोस्ट में लिखा: #Nirbhaynews के पत्रकार जगदीश महेता बड़ा जहरीला इंसान है, इसकी सोच घोर आदिवासी विरोधी है इस पर कार्रवाई होनी चाहिए और इसे माफ़ी मांगनी चाहिए । #जगदीश_महेता_माफ़ी_मांगे
#Nirbhaynews के पत्रकार जगदीश महेता बड़ा जहरीला इंसान है इसकी सोच घोर आदिवासी विरोधी है इस पर कार्रवाई होनी चाहिए और इसे माफ़ी मांगनी चाहिए ।#जगदीश_महेता_माफ़ी_मांगे
— Kunal Jharkhandi (@KunalJharkhandi) July 23, 2025
#Gujarat @nirbhaynews1 @gopimaniar @TribalArmy @HansrajMeena pic.twitter.com/4zGMIJV4G7
ट्राइबल आर्मी ने इसे शेयर करते हुए मेहता के बयान की कड़ी निंदा की. पोस्ट में गुजरात पुलिस के डीजीपी को टैग करते हुए पोस्ट में लिखा: गुजरात के तथाकथित पत्रकार जगदीश मेहता द्वारा आदिवासी समुदाय के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक और ज़हरीले बयान की हम कठोर निंदा करते हैं। यह बयान न केवल मीडिया की जिम्मेदारी का घोर उल्लंघन है, बल्कि देश के संविधान में प्रदत्त आदिवासियों के सम्मान और अधिकारों पर भी सीधा हमला है। ऐसे विचार नफरत और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं, जो हमारे समाज की विविधता और एकता के लिए गंभीर खतरा हैं। हम मांग करते हैं कि संबंधित पत्रकार के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और उन्हें सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए बाध्य किया जाए। साथ ही, मीडिया संगठनों को भी चाहिए कि वे ऐसे पत्रकारों के खिलाफ स्पष्ट आचार संहिता लागू करें, ताकि भविष्य में कोई भी आदिवासी या वंचित समुदाय इस तरह के अपमान का शिकार न हो।
अन्य लोगों ने भी इसी तरह गुजरात पुलिस से मेहता की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की और चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो आदिवासी समुदाय बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा। इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के साथ-साथ BNS के तहत कानूनी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
यह घटना आदिवासी समुदाय के प्रति समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को उजागर करती है। आदिवासी कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इस मामले को न केवल एक व्यक्ति के बयान तक सीमित रखने, बल्कि इसे व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में देखने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं आदिवासी समुदाय की आवाज को दबाने और उनकी पहचान को कमजोर करने का प्रयास हैं।