रांची- झारखंड जनाधिकार महासभा के बैनर तले राज्य के सभी जिलों से 2500 से अधिक आदिवासी-मूलवासी पिछले सप्ताह रांची पहुंचे और हेमंत सोरेन सरकार से उनके चुनावी वादों को पूरा करने की मांग की। समुदायों ने सरकार को याद दिलाया कि विधान सभा चुनाव में गठबंधन दलों ने जल, जंगल, जमीन, पहचान और स्वशासन सम्बंधित कई वादे किए थे. पिछली सरकार ने भी घोषणाएं की थी. लेकिन सब अपूर्ण हैं.
महासभा ने राज्य भवन के समीप एक दिवसीय धरना आयोजित कर सरकार को लंबित घोषणाओं और जनहित के मुद्दों की याद दिलाई।
धरने की शुरुआत में एलीना होरो ने कहा कि 2024 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन दलों ने जल, जंगल, जमीन, पहचान और स्वशासन से जुड़े कई वादे किए थे। सितंबर 2024 में भी महासभा ने इन मुद्दों पर धरना दिया था और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन आज फिर लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। आलोका कुजूर ने कहा कि आदिवासी-मूलवासियों ने भाजपा के खिलाफ गठबंधन को चुना था, उम्मीद थी कि जन मुद्दों पर कार्रवाई होगी, लेकिन सरकार ने कई मामलों में झारखंडी हितों के विपरीत फैसले लिए।
डेमका सोय ने बताया कि रघुवर सरकार ने 22 लाख एकड़ गैर-मजरुआ और सामुदायिक जमीन को लैंड बैंक में डाला था और 2017 में भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर जबरन अधिग्रहण का रास्ता खोला था। गठबंधन सरकार ने इसे रद्द करने का वादा किया, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। बासिंग हेस्सा ने कहा कि पेसा कानून लागू करने में सरकार की उदासीनता से साफ है कि वह आदिवासी-मूलवासियों के लिए 'अबुआ राज' नहीं चाहती।
श्यामल मार्डी ने बताया कि पांडित बांध की नीलामी बाहרי लोगों को दी गई है। पश्चिमी सिंहभूम के ईचाखड़काई बांध विरोधी संघ से रियांस समद ने कहा कि झामुमो हर चुनाव में बांध न बनाने का वादा करती है, लेकिन हाल के TAC में इसे बनाने का फैसला लिया गया, जिससे सैकड़ों आदिवासी परिवार विस्थापित होंगे। लातेहार और पलामू से आए लोगों ने वन अधिकार कानून के तहत निजी और सामुदायिक पट्टा न मिलने की शिकायत की। नंदकिशोर गंझू ने कहा कि निजी पट्टा में कटौती हो रही है और सामुदायिक वन अधिकार मिल ही नहीं रहे।

बीरेंद्र भगत ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार अडानी के साथ मिलकर झारखंड की जमीन बेचने की योजना बना रही है। मिथिलेश दांगी ने कहा कि गोंदुलपुरा कोयला खदान के खिलाफ ग्रामीण 25 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार अडानी के पक्ष में खड़ी है। हेलन सुंडी ने बताया कि आदिवासी-दलितों पर फर्जी मामले और जेल में विचाराधीन रहना जारी है। शिराज दत्ता ने कहा कि बिना ग्राम सभा की सहमति के सुरक्षा बल कैंप बनाए जा रहे हैं और जेलों में 80% विचाराधीन कैदी हैं।
सफाई कर्मचारी आंदोलन से धर्म वाल्मीकि ने कहा कि दलितों के लिए जाति प्रमाण पत्र बनवाना एक संघर्ष है, जिसके कारण कई युवा पढ़ाई और रोजगार से वंचित हैं। रश्मि यादव ने बताया कि मध्याह्न भोजन और आंगनवाड़ी में बच्चों को नियमित अंडे नहीं मिल रहे। यूनाइटेड मिली फोरम के अफजल अनीस ने कहा कि हेमंत सरकार में भी अल्पसंख्यकों पर धार्मिक हिंसा जारी है और मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने का वादा अधूरा है।
महासभा ने मुख्यमंत्री के नाम दिया मांग पत्र
भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून (2017) और लैंड बैंक नीति को रद्द करना।
पेसा कानून को पूर्ण रूप से लागू करना।
वन अधिकार दावों पर बिना कटौती के तुरंत पट्टा देना।
भूमिहीन दलितों को जाति प्रमाण पत्र और भूमि पट्टा देना।
आदिवासी-मूलवासियों के हित में स्थानीयता और नियोजन नीति बनाना।
विचाराधीन कैदियों की रिहाई और फर्जी मामलों को रद्द करना।
मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून बनाना।
आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन में रोज अंडे देना।