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42 डिग्री की तपिश में सूना पड़ा संगम, भूख की कगार पर पहुंचे नाविक – आस्था के शहर में जीविका का संकट!

उत्तर प्रदेश— प्रयागराज में इस समय पड़ रही भीषण गर्मी और उमस ने संगम तट पर आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों की संख्या पर सीधा असर डाला है। गंगा किनारे जहां आमतौर पर रौनक होती है, वहीं इन दिनों वीरानी छाई हुई है, जिससे सैकड़ों नाविकों की रोज़ी-रोटी पर संकट गहराने लगा है।

हाल ही में आयोजित महाकुंभ के दौरान जहां नाविकों को अच्छा लाभ हुआ था, वहीं अब तीर्थयात्रियों की कमी ने उनकी कमाई को बुरी तरह प्रभावित किया है। बहुत कम लोग पवित्र स्नान या धार्मिक कर्मकांडों के लिए संगम पहुंच रहे हैं।

प्रयागराज नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू निषाद ने TOI के हवाले से बताते हैं, "भीषण गर्मी की वजह से संगम पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो गई है। अब मुख्यतः वाराणसी और अयोध्या जैसे धार्मिक शहरों से कुछ ही लोग यहां आते हैं।"

उन्होंने बताया कि वाराणसी और अयोध्या में भगवान शिव और राम का आशीर्वाद लेने वाले श्रद्धालु अक्सर प्रयागराज आकर संगम में स्नान करते हैं और धार्मिक क्रियाएं करते हैं, लेकिन इस समय उनकी संख्या बहुत सीमित है जिससे नाविकों की आमदनी पर बुरा असर पड़ा है।

इस समय क़िला घाट से संगम तक नाव की सवारी का किराया 50 रुपये है, जबकि अन्य घाटों से किराया लगभग इतना ही है। फिर भी नाविकों को पर्याप्त सवारी नहीं मिल रही।

नाविक शंतनु ने बताया, "प्रयागराज के आसपास करीब 1,500 नाविकों में से 75% लोग संगम पर आने वाले तीर्थयात्रियों पर निर्भर करते हैं। लेकिन जब से तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के पार गया है, श्रद्धालुओं की संख्या लगातार घट रही है।"

एक अन्य नाविक राकेश ने कहा, "अब मुश्किल से कुछ ही लोग आते हैं — या तो स्नान के लिए या अस्थि विसर्जन के लिए। हम किसी तरह से गुज़ारा कर पा रहे हैं।" उन्होंने बताया कि कई नाविक अब वैकल्पिक काम करने का मन बना रहे हैं ताकि परिवार का पालन-पोषण हो सके।

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