जालोर- राजस्थान के जालोर जिले के सायला क्षेत्र से एक अत्यंत चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां भांडवपुर जैन तीर्थ के साधु जयरत्न सूरी और संबंधित ट्रस्टों पर गुजरात के छोटा उदयपुर के भगवानपुरा से आने वाले एक गैर-जैन, गरीब कृषक परिवार के 10 वर्षीय बालक की दीक्षा करवाने का गंभीर आरोप लगा है।
बाल अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता भेरू जैन द्वारा उजागर किए गए इस मामले ने बाल अधिकारों के उल्लंघन, वित्तीय शोषण और धार्मिक प्रथाओं के दुरुपयोग के जरिए अवैध लाभ कमाने की आशंकाओं को जन्म दिया है। जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को दी गई कानूनी सूचना के बावजूद दो दिवसीय दीक्षा समारोह 4 और 5 जून को निर्धारित रूप से हुआ। नोटिस में जयरत्न सूरी के साथ-साथ श्री महावीर जैन श्वेताम्बर पेढी ट्रस्ट, श्री वर्धमान जैन भाग्योदय ट्रस्ट संघ और दीक्षा महोत्सव आयोजक समिति को धार्मिक प्रथाओं के तहत नाबालिग के व्यावसायीकरण को सुगम बनाने का दोषी ठहराया गया है।
द मूकनायक से बात करते हुए भेरू जैन ने बताया कि नाबालिग गुजरात के गरीब परिवार से है और उसके माता पिता अरविंदभाई और अरुणाबेन ने पैसों के एवज में अपने बच्चे को बेच दिया जिसे अब जबरन मुनि बनाया जा रहा है। साधु पर दस वर्षीय बच्चे को मोक्ष, धार्मिक जीवन और आध्यात्मिक आकर्षण के सपने दिखाकर संत बनने के लिए प्रेरित करने का आरोप है। जैन का कहना है कि नाबालिग इस उम्र में दीक्षा लेने जैसे कठोर फैसले लेने के लिए सक्षम नहीं है, ब्रह्मचर्य, परिवार का त्याग और शिक्षा छोड़ने जैसे जीवन बदलने वाले फैसलों के लिए उसकी सहमति देने की क्षमता नहीं है। ऐसे अनगिनत मामले हुए हैं जहाँ नाबालिग बच्चों के साथ आश्रमों में यौन दुराचार और मजदूरी/श्रम करवाया गया है।
भेरू जैन द्वारा 27 मई को जालोर के जिला कलेक्टर को जारी कानूनी नोटिस के अनुसार, माता-पिता को नकद या अन्य लाभ के रूप में मुआवजा देने की पेशकश की गई थी, जिसे वे बाल तस्करी और व्यावसायिक शोषण मानते हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बच्चे के माता-पिता को दीक्षा के बदले विशेष लाभ और लालच देकर सहमति के लिए तैयार किया है। जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, स्थानीय मीडिया टीम भांडवपुर तीर्थ पहुंची, लेकिन ट्रस्टियों ने पहले साधु महाराज से मिलने से मना कर दिया। बाद में सीमित समय के लिए महाराज से बातचीत की अनुमति दी गई, परंतु दीक्षार्थी बालक से मिलने की अनुमति स्पष्ट रूप से नहीं दी गई, जिससे संदेह और गहराता गया।
दीक्षा समारोह को लेकर वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप हैं। इस आयोजन को भारी व्यावसायीकरण का आरोप लगाया गया है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों को सबसे ऊंची बोली लगाने वालों को नीलाम करने और बिना पारदर्शिता के करोड़ों रुपये की दान राशि एकत्र करने की बात कही गई है। कानूनी नोटिस में दावा किया गया है कि ये धनराशि हवाला चैनलों, घोटाले से जुड़े व्यक्तियों और कर चोरी, तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल व्यवसायियों से प्राप्त हुई है, जो आयकर अधिनियम, 1961, मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 और बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम का उल्लंघन है। दीक्षा महोत्सव आयोजक समिति द्वारा घोषित खातों या पंजीकृत संचालन के अभाव ने प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और राज्य प्राधिकरणों से धार्मिक गतिविधि की आड़ में सार्वजनिक धोखाधड़ी की जांच की मांग की है।
शिकायतकर्ता भेरू जैन ने जिला प्रशासन की समय पर कार्रवाई न करने पर निराशा व्यक्त की, जिसके कारण दीक्षा समारोह पूर्ण हुआ। द मूकनायक से बात करते हुए, उन्होंने संकेत दिया कि उनके संगठन के साथ आगे की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी, इस मामले में राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार आयोग, मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत भेजी गयी है।
उच्च न्यायालय में जनहित याचिका, या भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय अधिनियम और बाल यौन शोषण से संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत आपराधिक प्राथमिकी जैसे कानूनी रास्तों के माध्यम से कारवाई पर विचार किया जा रहा है।
इस मामले में द मूकनायक ने जालोर जिला कलेक्टर डॉ प्रदीप गवांडे, पुलिस अधीक्षक ज्ञानचंद्र यादव से जरिये ईमेल घटना के संबध में दी गई शिकायत और उसपर जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा की गयी कारवाई की जानकरी चाही है, अधिकारियों से जवाब प्राप्त होने पर खबर अपडेट की जायेगी।