भोपाल। इंदौर के नेहरू पार्क स्थित सिंदूर वाटिका में गुरुवार को आयोजित एक पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए। इस बार उन्होंने लड़कियों के पहनावे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें "कम कपड़े पहनने वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं।" इस बयान ने एक बार फिर उन्हें विवादों के घेरे में ला खड़ा किया है।
कार्यक्रम का आयोजन ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत किया गया था, जिसमें इंदौर नगर निगम द्वारा नेहरू पार्क स्थित सिंदूर वाटिका में पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव, भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा सहित कई लोग उपस्थित थे।
मंत्री विजयवर्गीय ने अपने भाषण की शुरुआत भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की प्रशंसा करते हुए की। उन्होंने कहा— “सुमित ने बोला कि आज मेरी जिंदगी का सबसे छोटा भाषण है। बहुत सुंदर भाषण दिया है। हमेशा छोटा भाषण देना चाहिए।”
इसके बाद उन्होंने महिलाओं के पहनावे को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी कर दी।
मंत्री ने कहा, "कम कपड़े पहनने वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं"
मंत्री ने विदेशी और भारतीय संस्कृति की तुलना करते हुए कहा, “एक पाश्चात्य कहावत है, जो मुझे अच्छी नहीं लगती। विदेशों में कम कपड़े पहनने वाली लड़कियों को अच्छा मानते हैं, लेकिन हमारे यहां अगर महिलाएं अच्छे कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं, तो उन्हें देवी का स्वरूप माना जाता है।”
विजयवर्गीय ने आगे कहा— “मुझे तो कम कपड़े वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं। जब सेल्फी लेने आती हैं, तो मैं कहता हूं कि बेटा, अच्छे कपड़े पहनकर आना, फिर सेल्फी खिंचवाना।”
इस टिप्पणी ने महिला संगठनों और विपक्षी दलों में रोष पैदा कर दिया है।
महिला आयोग की पूर्व सदस्य ने की निंदा
राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा अब सबके सामने है। उन्होंने भाजपा नेता, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के हालिया बयान की तीखी निंदा की और कहा कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की हो। "उन्होंने पहले भी महिलाओं की तुलना शूर्पणखा से की थी, यह उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है,"
संगीता शर्मा ने कहा कि भारतीय संविधान हर नागरिक को अपने अनुसार खानपान, रहन-सहन और पहनावे की आज़ादी देता है। किसी नेता को यह अधिकार नहीं है कि वह महिलाओं की वेशभूषा को लेकर सार्वजनिक रूप से इस तरह की टिप्पणियां करे। यह न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाने वाला है।
उन्होंने मांग की कि राष्ट्रीय महिला आयोग को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। "यह बयान सिर्फ विवादित नहीं, बल्कि महिलाओं को अपमानित करने वाला है। ऐसे वक्तव्यों से समाज में गलत संदेश जाता है और महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह को बढ़ावा मिलता है। ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए," शर्मा ने कहा।
पहले भी कर चुके हैं ऐसे बयान
यह पहली बार नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय ने महिलाओं के पहनावे को लेकर टिप्पणी की हो। 12 अप्रैल 2023 को हनुमान जयंती के अवसर पर उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था— “लड़कियां इतने गंदे कपड़े पहनकर निकलती हैं कि बिल्कुल शूर्पणखा लगती हैं। पढ़े-लिखे नौजवान नशे में झूमते हैं। मन करता है कि पांच-सात मारूं कि नशा उतर जाए। मैं झूठ नहीं बोल रहा, भगवान की कसम।”
इस बयान पर भी तब काफी बवाल मचा था और कई संगठनों ने इसे महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताया था।