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आ रही है भारत की सबसे बड़ी जनगणना! 2027 में होगी जाति की गिनती, राजनीति में मचेगा भूचाल!

नई दिल्ली — भारत 1 मार्च 2027 तक अपनी बहुप्रतीक्षित जनगणना करेगा, जो देश में 16 वर्षों के अभूतपूर्व अंतराल के बाद की जा रही है। यह पहली बार होगा जब जनगणना पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से की जाएगी और इसमें स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जातियों की भी गणना की जाएगी। इस बात की घोषणा बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की।

जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी, जिसकी अंतिम तिथि 28 फरवरी 2027 रखी गई है। इसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि (12 बजे) तय की गई है। हालांकि, सरकार ने अभी तक जनगणना प्रारंभ होने की तिथि अधिसूचित नहीं की है। सरकार की ओर से जनगणना कराने की मंशा और दोनों चरणों की तिथियों की अधिसूचना जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत 16 जून को राजपत्र में प्रकाशित की जा सकती है।

गौरतलब है कि भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसके बाद 2021 में होने वाली जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई थी। 30 अप्रैल 2025 को केंद्रीय कैबिनेट ने अगली जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की मंजूरी दी थी।

दो चरणों में होगी जनगणना

जनगणना आमतौर पर दो चरणों में होती है—पहला चरण ‘गृह सूचीकरण एवं आवास गणना’ और दूसरा ‘जनसंख्या गणना’। यह प्रक्रिया आम तौर पर 11 महीने तक चलती है। इस बार जाति की गणना दूसरे चरण में की जाएगी।

लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के बर्फबारी वाले इलाकों में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी।

इस बार की जनगणना को डिजिटल रूप से किया जाएगा। इसके लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया गया है, जिसके जरिए आंकड़े जुटाए जाएंगे।

कर्मचारियों का पुनः प्रशिक्षण

2021 की जनगणना के लिए बनाए गए लगभग 24 लाख एन्युमरेशन ब्लॉक्स (गणना क्षेत्र) का उपयोग 2027 की जनगणना में भी किया जाएगा। इसके लिए करीब 30 लाख गणनाकारों को — जिनमें बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों के शिक्षक होंगे — दोबारा प्रशिक्षित किया जाएगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "इस बार प्रशिक्षण पुस्तिका में जातिगत गणना एक महत्वपूर्ण नया हिस्सा होगा। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) तालिकाओं के साथ एक अतिरिक्त ड्रॉप-डाउन मेन्यू भी जोड़ा जा सकता है जिसमें अन्य जातियों को दर्ज किया जा सके।"

एनपीआर अपडेट का कोई ज़िक्र नहीं

गौर करने वाली बात यह है कि इस बार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) के अपडेट को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है, जबकि NPR में पहले से ही 119 करोड़ लोगों का डाटा मौजूद है। 2021 की प्रस्तावित जनगणना के पहले चरण में NPR को अपडेट किया जाना था।

जनगणना महानियंत्रक (RGI) द्वारा तैयार की गई सेल्फ एन्युमरेशन पोर्टल भी इस बार उपलब्ध हो सकती है, लेकिन यह सुविधा केवल उन्हीं घरों को मिलेगी जिन्होंने NPR ऑनलाइन अपडेट कर रखा है।

नागरिकता नियम 2003 के अनुसार, NPR एनआरआईसी (NRC) की ओर पहला कदम माना जाता है, जिसका कई विपक्षी शासित राज्यों ने विरोध किया है।

परिसीमन और महिला आरक्षण पर प्रभाव

जनगणना का सबसे बड़ा राजनीतिक असर लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन पर पड़ेगा। 84वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 के अनुसार, 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना को आधार बनाकर नए सिरे से सीटों का परिसीमन किया जाएगा।

यह मुद्दा विशेषकर दक्षिणी राज्यों के लिए संवेदनशील है, क्योंकि जनसंख्या आधारित परिसीमन से उनके प्रतिनिधित्व में कमी आने की आशंका जताई जाती है।

इसके अलावा, 33% महिला आरक्षण को लागू करने के लिए भी यही जनगणना आधार बनेगी। महिला आरक्षण कानून के तहत, लोकसभा और विधानसभा सीटों में एक-तिहाई आरक्षण उसी समय प्रभावी होगा जब नई जनगणना के आधार पर परिसीमन किया जाएगा।

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