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राहुल गांधी का भोपाल दौरा: संगठन सृजन अभियान की शुरुआत, कार्यकर्ताओं को 'रेस का घोड़ा' बनने की सीख

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 'संगठन सृजन अभियान' की औपचारिक शुरुआत की। इस अभियान के तहत पार्टी प्रदेश में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटेगी। राहुल गांधी का यह दौरा करीब 6 घंटे चला, जिसमें उन्होंने अलग-अलग स्तर की बैठकों में हिस्सा लिया और कार्यकर्ताओं से संवाद किया।

कार्यकर्ताओं को कहानी के ज़रिए दी सीख

राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक दिलचस्प कहानी सुनाई। उन्होंने कहा— “तीन तरह के घोड़े होते हैं। पहला, रेस वाला घोड़ा जो दौड़कर सबसे आगे निकल जाता है। दूसरा, बारात का घोड़ा जो सिर्फ सज-धजकर चलता है लेकिन मंज़िल नहीं तय करता। तीसरा, लंगड़ा घोड़ा जो किसी काम का नहीं होता।”

उन्होंने कहा, “हमें रेस का घोड़ा बनना है। मेहनत करनी है और संगठन को आगे ले जाना है।”

इस टिप्पणी के ज़रिए राहुल गांधी ने स्पष्ट संकेत दिया कि अब कांग्रेस में सिर्फ दिखावे की राजनीति नहीं चलेगी, बल्कि जमीनी मेहनत और ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ताओं को ही आगे बढ़ाया जाएगा।

टिकट उन्हीं को मिलेगा जो संगठन के प्रस्तावित होंगे

राहुल गांधी ने साफ किया कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण का आधार ब्लॉक और जिला कांग्रेस कमेटियों की सिफारिश होगी।

उन्होंने कहा— “अगर आप टिकट चाहते हैं, तो पहले ब्लॉक और ज़िला संगठन को अपने काम से प्रभावित करें। संगठन ही तय करेगा कि किसे टिकट मिलना चाहिए।”

PAC और विधायकों के साथ अहम बैठकें

राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यालय में सबसे पहले पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक ली। इस बैठक में प्रमुख नेता शामिल हुए, हालांकि छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ बैठक में शामिल नहीं हुए, जिस पर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं।

इसके बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस विधायकों की बैठक ली। इस बैठक के दौरान सेमरिया से विधायक अभय मिश्रा ने एक भावुक टिप्पणी करते हुए कहा— “हमें मध्यप्रदेश में कोई ऐसा चेहरा नजर नहीं आता, जिसके भरोसे हम चुनाव जीत पाएंगे।”

इस पर राहुल गांधी ने दो टूक जवाब देते हुए कहा— “आपको भले ऐसा न लगे, लेकिन मुझे ऐसे 10 नेता नजर आते हैं, जो मध्यप्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व करने और सरकार बनाने की पूरी क्षमता रखते हैं।”

राहुल का यह बयान कार्यकर्ताओं को यह बताने के लिए था कि नेतृत्व का संकट केवल धारणा है, हकीकत नहीं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव का हमला: “संस्कृति के विरुद्ध काम किया”

राहुल गांधी के भोपाल दौरे को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी तंज कसा। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने अपनी दादी इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देते समय जूते नहीं उतारे।

यह बयान राज्य में सियासी गर्मी बढ़ाने वाला रहा। भाजपा ने इस मुद्दे को तेजी से सोशल मीडिया पर उठाया, जबकि कांग्रेस नेताओं ने इसे “घटिया स्तर की राजनीति” करार दिया।

संगठन मजबूत करने की तैयारी

राहुल गांधी का यह दौरा कांग्रेस के संगठनात्मक सुधारों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। कार्यकर्ताओं को सीधे संवाद के ज़रिए संदेश दिया गया है कि अब पार्टी जमीनी परिश्रम, अनुशासन और निष्ठा को प्राथमिकता देगी। साथ ही, पार्टी नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों का भी राहुल गांधी ने मुखर होकर जवाब दिया। मध्य प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर से काम शुरू किया जाएगा।

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