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ना मां, ना बाप... बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर सिर्फ 'Parent'! केरल के ट्रांसजेंडर दंपत्ति ने जीत ली कोर्ट में अनोखी जंग!

नई दिल्ली— केरल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर दंपत्ति को उनके बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में 'पिता' और 'माता' की जगह 'Parent' के रूप में दर्ज करने की अनुमति दे दी है। यह ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए.ए. ने सुनाया। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे बच्चे का एक संशोधित जन्म प्रमाणपत्र जारी करें जिसमें ज़हद (ट्रांस मैन) और ज़िया पावल (ट्रांस वुमन) को केवल ‘Parents’ के रूप में दर्शाया जाए, न कि लिंग-आधारित शब्दों 'पिता' या 'माता' के रूप में।

बार एंड बेंच के मुताबिक, अदालत ने कहा:

"यह याचिका इस निर्देश के साथ समाप्त की जाती है कि पांचवे उत्तरदाता एक संशोधित जन्म प्रमाणपत्र जारी करें, जिसमें पिता और माता के कॉलम को हटाकर याचिकाकर्ताओं को लिंग निर्दिष्ट किए बिना 'Parents' के रूप में दर्शाया जाए।"

केरल के इस पहले ट्रांसजेंडर माता-पिता ने 2023 में हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। कोझिकोड निगम ने पहले ज़हद को 'माता (ट्रांसजेंडर)' और ज़िया को 'पिता (ट्रांसजेंडर)' के रूप में दर्ज किया था, लेकिन दंपत्ति का आग्रह था कि वे केवल 'Parent' कहलाना चाहते हैं ताकि उनके बच्चे को किसी भ्रम या सामाजिक भेदभाव का सामना न करना पड़े।

जब स्थानीय प्रशासन ने इस मांग को नज़रअंदाज़ किया, तब दंपत्ति ने इसे अपने और अपने बच्चे के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए अदालत में चुनौती दी।

याचिका में कहा गया:

"वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पुरुष के द्वारा बच्चे को जन्म देना समाज में एक जटिल विषय है। ऐसे में हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे को भविष्य में स्कूल, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, नौकरी या अन्य दस्तावेजों में किसी असहजता का सामना न करना पड़े। इसलिए पिता-माता के स्थान पर 'Parent' ही लिखा जाए।"

दंपत्ति ने यह भी तर्क दिया कि कई देशों में समलैंगिक या ट्रांसजेंडर दंपत्तियों को 'माता', 'पिता' और 'Parent' जैसे विकल्प चुनने की स्वतंत्रता दी जाती है।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक NALSA फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें 2014 में ट्रांसजेंडर समुदाय को 'तीसरे लिंग' के रूप में मान्यता दी गई थी और उनके मौलिक अधिकारों को संविधान द्वारा संरक्षित किया गया था।

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