रांची- झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन संगठनों के सामूहिक मंच- झारखंड जनाधिकार महासभा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखकर पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA) को राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है। महासभा ने विधानसभा के चालू मानसून सत्र में ही झारखंड पंचायत राज अधिनियम (JPRA) में संशोधन कर PESA के प्रावधानों को शामिल करने और नियमावली को अधिसूचित करने की अपील की है।
महासभा के अनुसार PESA आदिवासी-मूलवासियों की सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक स्वायत्तता और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। 2024 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी समुदाय ने 'अबुआ राज' (हमारा राज) के वादे पर INDIA गठबंधन को जिताया था, लेकिन सरकार ने अभी तक PESA को पूरी तरह लागू नहीं किया है। इस देरी से जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
महासभा समेत राज्य के कई संगठन पिछले कुछ सालों से लगातार PESA लागू करने की मांग करते रहे हैं और इसी को लेकर एक सार्वजनिक पत्र के माध्यम से हेमंत सरकार को उनके वादों और जन अपेक्षा को फिर याद दिलाने का प्रयास किया।
पत्र में लिखा कि " संवैधानिक व्यवस्था अनुसार PESA के प्रावधान राज्य के पंचायत राज कानून से ही लागू हो सकते हैं, लेकिन झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 (IPRA) में PESA के अधिकांश प्रावधान सम्मिलित नहीं है इसलिए PESA को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए सबसे पहले PESA के सभी अपवादों और उपान्तरणों अनुरूप JPRA को संशोधित कर सभी प्रावधानों को जोड़ने की ज़रूरत है. इसके बाद ही, इन प्रावधानों अनुरूप PESA नियमावली का गठन किया जाना है. लगातार जन दबाव के बाद सरकार द्वारा 9 मई 2025 को PESA नियमावली का ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया और एक महीने में सुझाव आमंत्रित किये गए महासभा ने JPRA में आवश्यक संशोधनों व प्रस्तावित नियमावली में संशोधनों के सुझावों को विभागीय मंत्री, अन्य मंत्रियों व विभाग को कई बार दिया है. अन्य कई संगठनों ने भी सुझाव दिया है. लेकिन PESA को जल्द से जल्द पूर्ण रूप से लागू करने के लिए आवश्यक कार्यवाई पर सरकार उदासीन है. यह झारखंडियों के भावनाओं के साथ धोखा है।"
महासभा ने चेतावनी दी है कि अगर PESA को लागू नहीं किया गया, तो ग्राम सभाओं और पारंपरिक स्वशासन प्रणालियों के अधिकार सीमित रह जाएंगे और नौकरशाही के हाथ में ही सारी शक्तियां केंद्रित रहेंगी। उन्होंने कहा कि झारखंड की नौकरशाही जनहित के प्रति असंवेदनशील है, जिससे जनाकांक्षाओं की अनदेखी हो रही है।
आज कैबिनेट मीटिंग के पहले महासभा का मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM के नाम सार्वजनिक पत्र - PESA को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए 2025 मानसून सत्र में JPRA को संशोधित किया जाये एवं PESA नियमावली को सभी प्राप्त जन सुझावों को सम्मिलित करते हुए अधिसूचित किया जाये. @DipikaPS https://t.co/uDSwm7ZPnc pic.twitter.com/ScN8kCkOaG
— Jharkhand Janadhikar Mahasabha (@JharkhandJanad1) July 24, 2025
अन्य कानूनों में भी PESA अनुरूप संशोधन की जरूरत
महासभा ने मांग की है कि PESA लागू होने के बाद अगले छह महीनों में अन्य संबंधित कानूनों जैसे:
झारखंड भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापना नियम, 2015
झारखंड नगरपालिका अधिनियम, 2011
केंदु पत्ता (व्यापार-नियंत्रण) अधिनियम, 1973
झारखंड बालू खनन नीति, 2017
झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली, 2004
में भी PESA के अनुरूप संशोधन किए जाएं।
इस पत्र पर महासभा की ओर से अफजल अनीस, अतोका कुजूर, अमन मरांडी, अम्बिका यादव, अम्बिता किस्कू, अपूर्वा, अशोक वर्मा, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, बिरसिंग महतो, चार्लेश मुर्मू, चंद्रदेव हेम्ब्रम, डेमका सॉय, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, जेम्स हेरेज, जॉर्ज मोनिपल्ली, ज्यां द्रेज़, ज्योति बहन, ज्योति कुजूर आदि ने हस्ताक्षर किए हैं।