भोपाल। मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने प्रदेशभर की जिला और जनपद पंचायतों को पत्र जारी कर जल जीवन मिशन के अंतर्गत बनने वाली जल प्रदाय योजनाओं की लागत का हिस्सा ग्रामीणों से वसूलने के निर्देश दिए हैं। विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी द्वारा जारी इस पत्र में कहा गया है कि जल प्रदाय योजनाओं में सामुदायिक अंशदान के रूप में अब ग्रामीणों से 5 से 10 प्रतिशत तक की राशि ली जाएगी। यह वसूली गांव की सामाजिक संरचना पर निर्भर करेगी।
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी गांव में अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, तो वहां योजना की कुल लागत का 5 प्रतिशत अंशदान इन परिवारों से लिया जाएगा। वहीं, अन्य गांवों में योजना लागत का 10 प्रतिशत हिस्सा बाकी सामान्य, पिछड़े वर्ग और अन्य गैर-SC/ST परिवारों से वसूला जाएगा। यह निर्देश भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 25 दिसंबर 2019 को जारी दिशा-निर्देशों और मध्यप्रदेश ग्राम पंचायत (ग्रामीण जल प्रदाय योजना क्रियान्वयन एवं प्रबंधन) नियम 2020 के तहत लागू किया गया है, जिसे 26 सितंबर 2020 को अधिसूचित किया गया था।
प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने पत्र में लिखा है कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में गांव-गांव तक पाइपलाइन के माध्यम से गुणवत्तायुक्त पेयजल पहुंचाने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस योजना की सफलता और दीर्घकालिक संचालन के लिए ग्रामीण समुदाय की भागीदारी बेहद जरूरी है। सामुदायिक अंशदान के रूप में जनसहयोग लेने का उद्देश्य ग्रामीणों में जल स्रोतों और पेयजल योजनाओं के प्रति स्वामित्व की भावना को मजबूत करना है।
श्रमदान और सामग्री के रूप में भी लिया जाएगा अंशदान
योजना की लागत का अंशदान ग्रामवासियों से नकद, श्रमदान या सामग्री के रूप में लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी गांव में पेयजल योजना पर कुल 20 लाख रुपये खर्च होते हैं, और वह गांव SC/ST बाहुल्य है, तो वहां के परिवारों से 1 लाख रुपये तक की राशि ली जाएगी। वहीं, यदि गांव में 40 अन्य सामान्य परिवार हैं, तो उनसे कुल दो लाख रुपये जनसहयोग के रूप में एकत्र किए जाएंगे। इस तरह औसतन प्रति परिवार 5 हजार रुपये की राशि देने की बात सामने आती है। हालांकि, अगर किसी गांव में परिवारों की संख्या कम है, तो प्रति परिवार सहयोग राशि बढ़ सकती है, और यदि परिवार अधिक हैं तो यह प्रति परिवार कम भी हो सकती है।
इन परिवारों को मिलेगी छूट
हालांकि, सरकार ने कुछ वर्गों को जनसहयोग से छूट भी दी है। जिन परिवारों के पास नियमित आय का स्रोत नहीं है, जैसे अन्त्योदय कार्डधारी, विधवा महिलाएं, दिव्यांगजन या अत्यंत गरीब परिवार उनसे जनसहयोग की राशि नहीं ली जाएगी। इसके साथ ही पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यह राशि नए जल कनेक्शन की लागत में समाहित रहेगी और ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति इसे किस्तों में वसूल सकती है।
विभाग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल भुगतान और निगरानी की व्यवस्था भी की है। ग्रामीण जन सहयोग की राशि अब घर बैठे डिजिटल प्लेटफॉर्म से जमा कर सकेंगे। भुगतान की रसीद स्वतः जनरेट होगी और सभी लेनदेन का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा। ग्राम पंचायतें और ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां अपने क्षेत्र की वसूली की निगरानी ऑनलाइन कर सकेंगी। यह पूरी प्रक्रिया बैंक लिंकिंग और ऑनलाइन गेटवे के माध्यम से संचालित होगी जिससे वित्तीय लेनदेन सुरक्षित और प्रमाणिक रहेंगे।
विभाग का मानना है कि जनसहयोग से न केवल ग्रामीणों में योजनाओं के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी, बल्कि योजना का संचालन और रखरखाव भी लंबे समय तक सुचारु बना रहेगा। एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डेटा उपलब्ध होने से योजनाओं का विश्लेषण और रिपोर्टिंग भी सरल हो जाएगी। इससे शासन-प्रशासन योजनाओं की स्थिति का वास्तविक समय में आकलन कर सकेंगे।