भोपाल। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट से विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर राज्य में 1950 के राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार गोचर, चारागाह और चरनोई भूमि के अवैध कब्जे और उपयोग पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस मामले में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की है।
विधायक कमलेश्वर डोडियार ने पत्र में बताया कि मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में चारागाह भूमि और गोचर भूमि को अवैध रूप से निजी उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन जमीनों पर निर्माण कार्य और अतिक्रमण बढ़ रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के पशुधन को चरने के लिए स्थान उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
पत्र में यह भी उल्लेख है कि कई क्षेत्रों में इन जमीनों का उपयोग गांवों के विकास और सामुदायिक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए था, लेकिन इनका दुरुपयोग हो रहा है। विधायक ने कहा कि यह स्थिति न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि यह संविधान और पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 2011 में भी इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। विधायक ने पत्र में उल्लेख किया है कि चारागाह और गोचर भूमि के संरक्षण में प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती है।
यह है मांगे:
1. चारागाह भूमि पर अतिक्रमण हटाया जाए: 1950 के राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार भूमि के सही उपयोग को सुनिश्चित किया जाए।
2. संवैधानिक और प्रशासनिक कार्रवाई: दोषी अधिकारियों और व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
3. स्थायी नीति निर्माण: ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी नीति बनाई जाए।
ग्रामीण किसानों और पशुपालकों ने चारागाह भूमि पर अतिक्रमण को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि इन जमीनों पर अवैध कब्जे और निर्माण कार्य के कारण पशुओं के लिए चारा ढूंढना मुश्किल हो गया है। पहले जहां मवेशियों को चरने के लिए पर्याप्त स्थान मिलता था, अब वहां खेती और अन्य गतिविधियां हो रही हैं, जिससे पशुपालकों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
किसानों ने बताया कि चारागाह भूमि की कमी के कारण उन्हें बाजार से चारा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करे और चारागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराए, ताकि पशुधन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा "मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में चारागाह और गोचर भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। 1950 के राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार यह भूमि पशुधन के लिए संरक्षित है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण इसका उपयोग निजी और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। इससे ग्रामीण पशुपालकों को चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी आजीविका पर नकारात्मक असर डाल रहा है। मैंने मुख्य सचिव को इस समस्या पर तत्काल कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि हमारे संवैधानिक सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। चारागाह भूमि का संरक्षण न केवल ग्रामीण पशुधन के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पर्यावरण संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस समस्या के समाधान के लिए एक स्थायी नीति बनाई जाए और अवैध अतिक्रमण को हटाकर इन जमीनों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीण क्षेत्रों में इस मुद्दे को लेकर गहरा असंतोष पनप सकता है। जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई तो मैं इस विषय को विधानसभा में उठाऊंगा"