नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक दलित महिला जज द्वारा दायर ताजा आवेदन पर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि चाइल्डकेयर लीव न मिलने के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करने के बाद उनके वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में प्रतिकूल टिप्पणियां की गईं।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता ए.के. सिन्हा की दलील को दर्ज किया, जो झारखंड हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 6 जून को दिए गए सुझाव के अनुसार हाईकोर्ट ने अब महिला जज को 92 दिनों की चाइल्डकेयर लीव देने का निर्णय लिया है।
हालांकि, जज की ओर से पेश वकील ने पीठ के समक्ष गंभीर चिंता जाहिर की और कहा कि 23 मई को याचिका दाखिल करने के बाद ही ACR में प्रतिकूल टिप्पणियां दर्ज की गईं।
जज के वकील ने कहा, “एक और बात बहुत परेशान करने वाली है। मेरी ACR में अब कुछ टिप्पणियां की गई हैं, जो इस याचिका के दाखिल होने के बाद की गई हैं। मैं अनुसूचित जाति वर्ग की अधिकारी हूं और मैंने बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित जज “सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों में से एक हैं।”
वकील ने ACR टिप्पणियों के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, “कृपया समय को देखें…” इस पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट प्रशासन को निर्देश दिया कि वह जज द्वारा लगाए गए आरोपों पर जवाब दाखिल करे, जिसमें कहा गया है कि याचिका दाखिल करने के बाद उनके ACR में प्रतिकूल टिप्पणियां की गईं।