मुंबई: महाराष्ट्र सरकार को गुरुवार को बड़ा झटका देते हुए बंबई हाईकोर्ट ने पहले वर्ष की जूनियर कॉलेज (FYJC) में दाखिले को लेकर अल्पसंख्यक ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेजों पर SC/ST/OBC आरक्षण लागू करने के फैसले पर रोक लगा दी है।
यह अंतरिम राहत महाराष्ट्र अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान संघ और मुंबई व सोलापुर के प्रमुख अल्पसंख्यक कॉलेजों — जैसे जय हिंद, केसी, एचआर और सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज — द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी गई।
हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश: अल्पसंख्यक संस्थानों पर सामाजिक आरक्षण लागू नहीं होगा
न्यायमूर्ति मकरंद एस कर्णिक और न्यायमूर्ति नितिन आर बोरकर की खंडपीठ ने कहा, “कक्षा 11 में दाखिले के संबंध में सामाजिक आरक्षण का प्रावधान किसी भी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान पर लागू नहीं किया जाएगा।” कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि FYJC ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल को इसी के अनुसार संशोधित किया जाए।
बुधवार को ही कोर्ट ने सरकार को इस विवादास्पद निर्णय पर पुनर्विचार करने और उसे वापस लेने का सुझाव दिया था, लेकिन सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें संबंधित अधिकारियों से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
याचिकाकर्ताओं ने फैसले को बताया मनमाना और असंवैधानिक
याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे और अधिवक्ता एस. सी. नायडू ने दलील दी कि सरकार का यह फैसला “मनमाना, विधिसम्मत अधिकार के बिना और बिना परामर्श के थोपा गया” है।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 30(1) का हवाला देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित और संचालित करने का मौलिक अधिकार है, और वे अनुच्छेद 15(5) के तहत सामाजिक आरक्षण के दायरे में नहीं आते।
सरकार का पक्ष: केवल छोड़ी गई सीटों पर लागू है आरक्षण
सरकारी अधिवक्ता ने दलील दी कि यह आरक्षण केवल अल्पसंख्यक कोटे की छोड़ी गई (सरेण्डर की गई) सीटों पर लागू होता है, जिससे अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
खुले कोटे की सीटों पर आरक्षण लागू करने से उपजा विवाद
पिछले वर्षों की परंपरा के अनुसार, अल्पसंख्यक संस्थानों में:
50% सीटें संबंधित अल्पसंख्यक समुदाय के लिए,
5% प्रबंधन कोटे के लिए,
और 45% सभी श्रेणियों के छात्रों के लिए खुली होती थीं।
6 मई को जारी शालेय शिक्षण विभाग की सरकार की अधिसूचना के अनुसार, इस बार FYJC पोर्टल पर इन 45% खुली सीटों पर भी SC/ST/OBC आरक्षण दर्शाया गया, जिससे भ्रम और विवाद उत्पन्न हो गया।
जारी हुई "सुधारात्मक" अधिसूचनाएं लेकिन विवाद कायम
राज्य सरकार ने पहले 2 जून और फिर 10 जून को "सुधारात्मक" अधिसूचनाएं जारी कीं, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इनमें मूल विवादित धाराएं जस की तस बनी रहीं।
संघ ने अपनी याचिका में अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह संबंधित अधिकारियों को FYJC प्रवेश पोर्टल में तुरंत संशोधन करने का निर्देश दे ताकि अल्पसंख्यक संस्थानों में दाखिले के लिए स्पष्टता बनी रहे।
सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा, अगली सुनवाई 6 अगस्त को
कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को निर्धारित की गई है।