भोपाल। मोदी सरकार के 11 वर्षों की उपलब्धियां गिनाने ग्वालियर जिले के डबरा पहुंचे प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को गुरुवार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। जब मंत्री शांति पैलेस होटल में प्रेस वार्ता के जरिए केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे थे, तभी होटल के बाहर स्थानीय लोग प्रदर्शन करने पहुंच गए और वहीं धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों ने शहर में लगातार हो रही बिजली कटौती को लेकर नाराजगी जताई।
हालांकि होटल के बाहर पहले से भारी पुलिस बल तैनात था और किसी भी प्रदर्शनकारी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। जैसे ही ऊर्जा मंत्री को प्रदर्शन की जानकारी मिली, वे स्वयं बाहर आए और लोगों से बात की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि डबरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से 18-18 घंटे बिजली गायब है, जिससे आमजन, विशेषकर बुजुर्ग, महिलाएं और छात्र-छात्राएं बुरी तरह प्रभावित हैं।

बिजली संकट पर मंत्री का जवाब
प्रदर्शनकारियों की शिकायतों पर जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री ने बताया कि क्षेत्र के पुराने डीई (डिवीजनल इंजीनियर) को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन जब उपस्थित लोगों ने एई (असिस्टेंट इंजीनियर) के बारे में सवाल किया तो मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने सिर्फ यह कहा कि व्यवस्था में जल्द सुधार किया जाएगा और वे खुद दोबारा डबरा आकर स्थिति की समीक्षा करेंगे।
मंत्री ने अपनी प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 11 वर्षों की उपलब्धियों को गिनाते हुए बताया कि किस तरह से देश में बिजली, सड़क, गैस कनेक्शन और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाएं सफल हुई हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों के सामने मंत्री को अपने ही विभाग की स्थिति को लेकर सफाई देनी पड़ी।
बिजली संकट से जूझ रहा डबरा
डबरा में बिजली की स्थिति पिछले कई हफ्तों से बदतर बनी हुई है। बुधवार की रात भी रामगढ़, बुजुर्ग रोड और जवाहरगंज इलाकों के सैकड़ों लोग बस स्टैंड स्थित पावर हाउस के बाहर इकट्ठा हुए थे और देर रात तक प्रदर्शन करते रहे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उनके मोहल्लों में 18-18 घंटे तक बिजली नहीं रहती, जबकि कई स्थानों पर तीन-तीन दिन से बिजली पूरी तरह गुल है।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा, "हम लोग दिन-रात परेशान हैं। न तो बच्चे पढ़ पा रहे हैं और न ही घरों में बिजली से चलने वाले उपकरण। शिकायत करने पर कोई कर्मचारी नहीं मिलता, और अगर मिल भी जाए तो समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है।"
प्रदर्शनकारियों का यह भी आरोप था कि बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जनता की शिकायतें सुनने तक को तैयार नहीं हैं। पावर हाउस में नियमित स्टाफ की कमी है और जो मौजूद हैं, वे भी लापरवाही बरत रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर लापरवाही हो रही है।
जनता को दिया आश्वासन
ऊर्जा मंत्री ने प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही बिजली व्यवस्था में सुधार होगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जनता का भरोसा अब आश्वासनों से उठ चुका है। लोग ठोस कार्रवाई और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।