Tribal Army संस्थापक हंसराज मीणा पर FIR: मीरा मीणा हत्याकांड में न्याय की आवाज़ उठाने पर मुकदमा, पढ़ें पूरा मामला

01:57 PM Jul 18, 2025 | Geetha Sunil Pillai

करौली- जिले के सपोटरा थाना क्षेत्र में मीरा मीणा हत्याकांड के बाद उपजे तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। ट्राइबल आर्मी के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्त्ता हंसराज मीणा सहित 35 से अधिक लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। यह कार्रवाई डाबरा गांव में मीरा मीणा के शव को सड़क पर रखकर रोड जाम करने और प्रदर्शन करने के मामले में की गई है। हंसराज मीणा ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुकदमे की जानकारी साझा करते हुए बीजेपी सरकार और स्थानीय विधायक भजनलाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

गौरतलब है कि 13 जुलाई को डाबरा गांव में एक जमीन विवाद को लेकर चल रही आपसी रंजिश में 20 वर्षीया मीरा मीणा को कुए में धकेलने का आरोप लगाया गया था, घायल मीरा की उपचार के दौरान जयपुर में मृत्यु हुई थी जिसके बाद इलाके में तनाव व्याप्त हो गया और उसके परिजन और समुदाय के लोग करीब चौतीस घंटे धरने पर बैठे।

हंसराज मीणा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मेरे पड़ोस के डाबरा गांव में मीरा मीणा हत्याकांड के पीड़ित परिवार से मिलने और शांतिपूर्ण न्याय की आवाज़ उठाने पर मुझे थाने से मुक़दमे का तोहफा दिया है। यह मुकदमा नहीं, सरकार का अंत लिखा है। मैं नहीं, इस अन्याय पर समाज और देश इसकी प्रतिक्रिया देगा।" उन्होंने आगे चेतावनी दी, "अगर मेरा नाम इस झूठे मुकदमे से नहीं हटाया गया, तो याद रखिए बनास नदी की लहरें केवल पानी नहीं बहातीं, वे जनआक्रोश की प्रतीक भी बन सकती हैं। यह सिर्फ मेरी नहीं, हर उस नागरिक की आवाज़ है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।"

मीणा ने यह भी बताया कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में उनके खिलाफ तीन बार मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को कई बार बंद किया गया, और उन्हें जान से मारने की धमकियाँ और गालियाँ भी मिली हैं। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी और कहा, "यह संघर्ष सिर्फ मेरी निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि उन तमाम लोगों की आवाज़ है जो हाशिए पर हैं, जिनके हक़ और सम्मान को बार-बार कुचला जाता है।"

FIR में लिखा- शव को सड़क पर रखकर यातायात बाधित किया

पुलिस द्वारा दर्ज FIR के अनुसार दिनांक 13 जुलाई को सुबह 6:05 बजे सपोटरा थाने के उप-निरीक्षक (SI) सुरेश चंद को सूचना मिली कि डाबरा गांव में मृतका मीरा बाई (उम्र 22 वर्ष, पुत्री अमृतलाल मीणा) के शव को परिजनों और ग्रामीणों ने कुडगाँव-सपोटरा मार्ग पर रखकर रोड जाम कर दिया था। इस सूचना पर SI सुरेश चंद पुलिस जाप्ते के साथ घटनास्थल पर पहुँचे।

FIR में बताया गया कि प्रदर्शनकारियों ने मृतका के शव को सड़क पर रखकर धरना दिया और निम्नलिखित माँगें रखीं:

  1. मुलजिमों की तत्काल गिरफ्तारी।

  2. पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को संविदा पर नौकरी।

  3. पीड़ित परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था और आर्थिक सहायता।

  4. जमीन बँटवारे के विवाद का स्थायी समाधान।

  5. प्रदर्शनकारियों पर कोई कानूनी कार्रवाई न हो और मृतका के भाई गोविंद सहाय मीणा को कानूनी सुरक्षा दी जाए।

FIR के मुताबिक पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कई बार प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी माँगों पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारियों ने शव को सड़क पर रखकर यातायात बाधित किया, जिससे आम जनता को परेशानी हुई। शव से दुर्गंध आने लगी थी और बारिश के कारण शव के खराब होने की आशंका थी। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारी नहीं माने और नारेबाजी करते हुए पुलिस को ड्यूटी करने से रोकने की कोशिश की।

FIR में 32 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं, जिनमें हंसराज मीणा, भूरा पटेल, रामस्वरूप डीलर, अंगद पटेल, महेंद्र, धर्मराज उर्फ डैनी, भागीरथ मीणा, विश्राम मीणा, लाला मीणा, पिंटू मीणा, मानसिंह मीणा, और अन्य शामिल हैं। इनके साथ 40-50 अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

मामला भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 308(2), 189(2), 221, 223(a), 195(1), 190, 285 और राजस्थान मृत शरीर का सम्मान अधिनियम 2023 की धारा 16, 17, 18, 20 के तहत दर्ज किया गया है। लगभग 34 घंटे तक चले धरने के बाद 14 जुलाई को दोपहर में प्रदर्शनकारी मृतका के शव को दाह संस्कार के लिए श्मशान भूमि ले गए। पुलिस ने यातायात को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जाप्ता तैनात किया।

हंसराज मीणा ने इस मुकदमे को "झूठा" करार देते हुए कहा कि यह उनकी आवाज़ को दबाने की साजिश है। उन्होंने आगे कहा, " अगर यही घटना CM की बेटी के साथ हुई होती और हत्या के दो दिन बाद तक भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करती, तो क्या वे खुद न्याय के लिए नहीं बैठते? क्या वे भी ऐसे ही चुप रहते? मैं तो सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता के नाते डाबरा गांव गया था पीड़ित परिवार को संवेदना देने, उनका दर्द साझा करने और न्याय की मांग में उनका साथ देने। लेकिन मेरी इस मानवीय पहल का जवाब मुझे एक झूठे मुकदमे के रूप में मिला है। क्या अब न्याय की मांग करना भी अपराध है? यह मुकदमा मेरे खिलाफ नहीं, उस सच्चाई और इंसानियत के खिलाफ है जिसे कोई भी सत्ता दबा नहीं सकती।"