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दलित छात्र गणेश की मौत: पुलिस पर गंभीर आरोप, परिजनों ने 10 दिन तक नहीं लिया शव, राहुल गांधी ने खोला मोर्चा!

हिसार (हरियाणा): हिसार में पुलिस की कार्रवाई के दौरान 16 वर्षीय दलित छात्र गणेश वाल्मीकि की संदिग्ध मौत को लेकर चल रहे गतिरोध का शुक्रवार को पटाक्षेप होने की उम्मीद है। 10 दिनों तक शव लेने से इनकार करने और न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे परिवार ने अब अंतिम संस्कार के लिए सहमति जताई है। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि गणेश की मौत पुलिस द्वारा उसे छत से धक्का देने के कारण हुई।

इस मुद्दे ने गुरुवार को तब राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला।

राहुल गांधी ने हिंदी में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “जब सत्ता मनुवादी सोच की गोद में बैठती है, तो दलितों की जान की कोई कीमत नहीं बचती! हरियाणा के हिसार में दलित युवक गणेश वाल्मीकि की हत्या और उसके परिवार के साथ हुई बर्बरता सिर्फ एक अपराध नहीं है - यह BJP-RSS की मनुवादी सिस्टम का वो घिनौना चेहरा है जो आज भारत में बहुजनों के जीवन को सस्ता समझता है, जो उन्हें समानता और सम्मान का हकदार नहीं मानता।”

इसके बाद पूर्व पंजाब मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने भी हिसार पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इससे एक दिन पहले पार्टी की वरिष्ठ दलित नेत्री कुमारी शैलजा ने भी परिवार से मिलकर समर्थन जताया था।

हालांकि, हरियाणा सरकार पहले ही विशेष जांच दल (SIT) गठित कर चुकी है और सामाजिक न्याय मंत्री कृष्ण बेदी ने परिवार से मुलाकात भी की थी, लेकिन परिजन लगातार हिसार सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे रहे, जहां गणेश का शव रखा गया है। सोमवार को बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोगों ने एक महापंचायत कर परिवार की मांगों का समर्थन किया।

गुरुवार को हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि अब समझौता हो गया है।

उन्होंने कहा, “हम परिवार के प्रतिनिधियों से लगातार संपर्क में हैं। आज मुख्यमंत्री निवास पर बैठक हुई जिसमें गणेश के पिता विक्रम, चाचा दिनेश और अन्य दलित समाज के लोग शामिल हुए। मामला सुलझ गया है। हम शुक्रवार सुबह हिसार जाकर अंतिम संस्कार करेंगे।”

सरकार ने इस बीच पहली बार हरियाणा सम्मानजनक शव दाह अधिनियम, 2024 के तहत परिवार को नोटिस भी जारी किया था, जिसके अनुसार यदि परिवार शव लेने से इनकार करे तो प्रशासन समयबद्ध और गरिमामय अंतिम संस्कार सुनिश्चित कर सकता है।

क्या हुआ था 7 जुलाई की रात?

यह मामला 7 जुलाई की रात का है, जब पुलिस को शिकायत मिली कि इलाके में 10 बजे के बाद भी लाउडस्पीकर पर तेज़ आवाज़ में संगीत बजाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, गणेश और उसके दोस्त एक जन्मदिन मना रहे थे और जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन पर हमला कर दिया गया।

पुलिस का दावा है कि इसके बाद गणेश और उसका एक दोस्त आकाश पास के एक मकान की छत पर भाग गए और वहां से कूद पड़े। गणेश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आकाश घायल हो गया। पुलिस अब 10-15 और युवकों की तलाश कर रही है जो कथित रूप से पुलिस पर हमले में शामिल थे।

वहीं, गणेश के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे छत से धक्का दिया, और वे आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने अपने पक्ष में कुछ सीसीटीवी फुटेज भी जारी किए हैं।

एक वीडियो में गणेश रात 9 बजे अपनी छत पर खड़ा दिखता है। 10:45 बजे वह अपने घर के बाहर सड़क पर खाट पर लेटा नजर आता है। 10:55 बजे दो युवक बाइक पर एक बड़ा लाउडस्पीकर लेकर आते हैं और वहां तेज़ आवाज़ में संगीत बजाया जाता है। 11:32 बजे जब युवकों का समूह सड़क पर नाच रहा होता है, पुलिस वहां पहुंचती है। वीडियो में देखा जा सकता है कि युवकों ने लाठियों से हमला किया और पत्थरबाज़ी की, जिससे पुलिसकर्मियों को पास के घर में शरण लेनी पड़ी।

घायल आकाश ने पुलिस को दिए बयान में स्वीकार किया है कि उन्होंने पुलिस पर हमला किया और जब पुलिस ने पीछा किया तो वे दोनों भागने के लिए छत से कूद गए। इसी दौरान गणेश की मौत हो गई जबकि वह घायल हुआ।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) के.के. राव ने कहा,“पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए तैयार है। हम सिर्फ अपनी रक्षा कर रहे थे। इलाके के लोगों ने तेज़ आवाज़ में संगीत बजने की शिकायत की थी।”

हालांकि, पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर पुलिस कार्रवाई की जवाबदेही और दलित समुदाय के खिलाफ कथित भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दों को सामने ला दिया है। न्याय की मांग अब केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की बनती जा रही है।

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