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Jharkhand: RTI की जिद पर भड़का अधिकारी, महिला को कहा 'पागल आदिवासी', हाईकोर्ट ने खारिज की FIR— 'आदिवासी कोई जाति नहीं

रांची- झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि 'आदिवासी' कोई जाति नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया, जिस पर एक महिला को 'पागल आदिवासी' कहने का आरोप था। यह FIR SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी।

न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने यह आदेश सुनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई व्यक्ति तब तक अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य नहीं माना जा सकता, जब तक उसकी जाति या जनजाति संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश या संबंधित राष्ट्रपति अधिसूचनाओं में शामिल न हो।

यह मामला दुमका में दर्ज FIR से जुड़ा है, जिसमें सुनील कुमार, एक सरकारी अधिकारी, ने याचिका दायर कर FIR रद्द करने की मांग की थी। शिकायत के अनुसार, सुनीता मारांडी नाम की महिला ने RTI आवेदन देने की कोशिश की थी, जिसे सुनील कुमार ने कथित तौर पर नाराज होकर ठुकरा दिया और कहा, "ये पागल आदिवासी हैं, परेशान करने आते हैं।" इसके बाद उन्होंने महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया और उसे कार्यालय से बाहर धकेल दिया।

कोर्ट ने कहा कि शिकायत में केवल यह आरोप है कि सुनील कुमार ने महिला को कार्यालय से बाहर धकेला। इसमें यह नहीं बताया गया कि उन्होंने महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने के इरादे से ऐसा किया। इसलिए, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत कोई अपराध नहीं बनता।

FIR के मुख्य आरोप पर कोर्ट ने कहा, "शिकायत में कहा गया कि सुनील कुमार ने महिला को 'पागल आदिवासी' कहा। लेकिन संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के दस्तावेज के अनुसार, 'आदिवासी' कोई जाति नहीं है। शिकायत में यह भी नहीं कहा गया कि सुनीता मारांडी किसी ऐसी जनजाति से हैं, जो झारखंड के लिए इस आदेश में शामिल है।"

कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में SC/ST अधिनियम की धारा 3(1)(r) या 3(1)(s) के तहत कोई अपराध नहीं बनता। साथ ही, IPC की धारा 323, 504 और 506 के तहत लगाए गए आरोप गैर-संज्ञेय (non-cognizable) हैं, इसलिए उन पर विस्तार से विचार नहीं किया गया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सुनील कुमार एक सरकारी कर्मचारी हैं और यह घटना तब हुई, जब वे अपनी ड्यूटी कर रहे थे। ऐसे में उनके खिलाफ यह आपराधिक कार्रवाई कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

इसके आधार पर, कोर्ट ने दुमका सदर SC/ST पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले (केस नंबर 07/2023) की FIR को रद्द कर दिया।

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