भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने शनिवार को इंदौर स्थित एक हॉटेल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस के 'संविधान बचाओ अभियान' की रूपरेखा और उसके उद्देश्य को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार निरंतर देशवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला कर रही है और इसी के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने यह आंदोलन शुरू किया है।
"संविधान बचाओ" अभियान का मकसद
उमंग सिंघार ने कहा कि कांग्रेस का "संविधान बचाओ" अभियान केवल एक राजनैतिक पहल नहीं, बल्कि आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का राष्ट्रीय आह्वान है। यह आंदोलन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की पुनः स्थापना के लिए है, जिसे भाजपा सरकार ने कमजोर कर दिया है। उन्होंने साफ किया कि यह सिर्फ कांग्रेस का आंदोलन नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक का आंदोलन है जो लोकतंत्र और संविधान में आस्था रखता है।
अभियान की विस्तृत योजना
उन्होंने बताया कि "संविधान बचाओ" अभियान 25 अप्रैल से 30 मई 2025 तक चार चरणों में चलेगा:
25-30 अप्रैल: जिला स्तर पर जनसभाएँ
5-10 मई: ब्लॉक स्तर पर सभाएँ
11-17 मई: प्रदेश विधानसभाओं में संवाद कार्यक्रम
20-30 मई: घर-घर जाकर संविधान बचाओ का संदेश
प्रमुख माँगें
उमंग सिंघार ने अभियान की चार प्रमुख माँगों को रेखांकित किया:
जातीय जनगणना कराई जाए ताकि सामाजिक न्याय की नीतियों को मजबूती मिले।
निजी शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण लागू किया जाए ताकि समान अवसर सुनिश्चित हो।
आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाई जाए, ताकि वर्तमान सामाजिक-आर्थिक हालातों के अनुसार न्याय हो सके।
किसानों के लिए एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाए और उन्हें आर्थिक राहत प्रदान की जाए।
साथ ही, उन्होंने राजनीतिक न्याय की बात करते हुए सभी सामाजिक समूहों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समान भागीदारी का अवसर देने की आवश्यकता पर बल दिया।
सरकार पर तीखे हमले
प्रेसवार्ता में उमंग सिंघार ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, न्यायपालिका की गिरती साख और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग ने लोकतंत्र को गंभीर खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा, "आज देश के युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं और सरकार विदेशी कंपनियों को ठेके दे रही है, जबकि देश के युवाओं को प्राथमिकता नहीं दी जा रही।"
उमंग सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान द्वारा प्रदत्त बोलने की आजादी पर हमला कर रही है। पत्रकारों पर हमले, गिरफ्तारियाँ, समाचार माध्यमों पर दबाव और सोशल मीडिया पर निगरानी यह दर्शाता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सवाल उठाने का अवसर नहीं दिया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए घातक संकेत है।
उन्होंने प्रदेश में आदिवासी और दलित समुदायों पर बढ़ते अत्याचारों पर भी चिंता जताई। विशेष रूप से बालाघाट में आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार की घटना को निंदनीय बताते हुए कांग्रेस ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की।
उमंग सिंघार ने जातिगत जनगणना न कराए जाने पर भाजपा सरकार पर षड्यंत्र का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यदि जातिगत जनगणना कराई जाए, तो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के असली हालात सामने आ सकते हैं। उन्होंने पूछा, "जब देश इससे भी कठिन परिस्थितियों में जनगणना करवा चुका है, तो अब जातिगत जनगणना से क्यों भाग रही है सरकार?"
उमंग सिंघार ने दतिया जिले में नरोत्तम मिश्रा के प्रभाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिले में कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होने वाले लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया जाता है, जिससे आम जनता में भय का माहौल बना हुआ है। सिंघार ने बताया कि उनका खुद का एक कार्यक्रम दतिया में प्रस्तावित था, लेकिन स्थानीय सप्लायर्स डर के कारण टेंट और अन्य जरूरी व्यवस्थाएं देने से पीछे हट गए। अंततः उन्हें टेंट की व्यवस्था उत्तर प्रदेश से करनी पड़ी। सिंघार ने आरोप लगाया कि नरोत्तम मिश्रा का ऐसा दबदबा है कि लोग कांग्रेस से जुड़ने या उसके कार्यक्रमों में भाग लेने से भी हिचकते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर निशाना साधते हुए उनके कार्यक्रमों में शामिल 'डेढ़ घंटे के एकल विश्राम' को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मंत्री रहते हुए भी मिश्रा के शेड्यूल में इस विश्राम का उल्लेख होता था, और अब जनता को यह जानने का हक है कि यह समय किस कार्य में बिताया जाता था। सिंघार के इस बयान को नरोत्तम मिश्रा के व्यक्तिगत आचरण पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट आरोप नहीं लगाया, लेकिन उनके शब्दों से पूर्व गृहमंत्री के चरित्र को लेकर संदेह की छाया जरूर पैदा हो गई है।