लखनऊ: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर आगामी 5 फरवरी को होने वाले उपचुनाव में दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी के चुनाव से हटने के बाद भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधी टक्कर ने इस सीट को और भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया है।
2024 लोकसभा चुनाव में अयोध्या में सपा से हारने की यादें अभी ताजा हैं। भाजपा ने दलित मतदाताओं, जो इस आरक्षित सीट के लगभग 27% हैं, को जुटाने के लिए आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा ने दलित नेताओं की एक टीम को समर्थन मजबूत करने के लिए तैनात किया है। दलित नेता पुष्पेंद्र पासी को मिल्कीपुर सीट का संयोजक बनाया गया है। वह जिला महासचिव राधेश्याम त्यागी और शैलेन्द्र कोरी, जो कोरी दलित समुदाय से हैं, के साथ मिलकर एससी बहुल बूथों पर काम कर रहे हैं।
जिला सचिव काशीराम रावत, जो पासी समुदाय से हैं, को भी जमीनी स्तर पर संपर्क मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह टीम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर छह वरिष्ठ यूपी मंत्रियों, जैसे सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह और जेपीएस राठौर के साथ समन्वय कर रही है।
सपा की जवाबी रणनीति
सपा ने अजय प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जो 2012 में सीट जीतने वाले और 2022 में इसे फिर से हासिल करने वाले अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। अजय की उम्मीदवारी सपा की पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) रणनीति के साथ मेल खाती है, जिसने 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटों की संख्या को 63 से घटाकर 33 कर दिया था।
सपा के अयोध्या जिला अध्यक्ष पारसनाथ यादव ने पार्टी की जमीनी ताकत और दलित, ओबीसी, और मुस्लिम समुदायों में अपनी पकड़ पर जोर दिया। सपा अम्बेडकर वाहिनी, सपा की दलित शाखा, को भी अभियान को मजबूती देने के लिए सक्रिय किया गया है।
चुनावी समीकरण
इतिहास में मिल्कीपुर सीट भाजपा और सपा के बीच बदलती रही है, जबकि बीएसपी ने वोटों का बंटवारा किया है। भाजपा ने 2017 में यह सीट जीती, जबकि 2022 में सपा ने इसे वापस जीत लिया। इस बार बीएसपी के न होने से मुकाबला भाजपा और सपा के बीच हाई-स्टेक लड़ाई बन गया है।
इस क्षेत्र के दलित मतदाताओं में पासी, कोरी, जाटव और कन्नौजिया शामिल हैं। इसके अलावा, मिल्कीपुर में यादव, मौर्य और पाल जैसे ओबीसी समुदायों के साथ ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और कायस्थ जैसे सवर्णों की भी अच्छी उपस्थिति है, जो 1990 के दशक के राम मंदिर आंदोलन के बाद से भाजपा को समर्थन देते रहे हैं।
असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस उपचुनाव का परिणाम 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक बैरोमीटर के रूप में काम कर सकता है। भाजपा और सपा दोनों ही जाति और समुदाय के वोटों को सुरक्षित करने के लिए अपने प्रयास तेज कर रहे हैं।
भाजपा के अयोध्या महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव ने पार्टी के विकासात्मक एजेंडे पर जोर दिया। वहीं, सपा ने अपनी संगठनात्मक ताकत और पीडीए रणनीति के माध्यम से हाशिये पर पड़े वर्गों के साथ तालमेल बिठाने पर जोर दिया है।