+

सेल्स टारगेट पूरा न करने पर अमानवीय बर्ताव— केरल में निजी फर्म के कर्मचारियों पर जुल्म का वीडियो देख हर कोई स्तब्ध, जानें पूरा मामला

कोच्चि- God's Own Country यानी "ईश्वर का अपना देश" कहे जाने वाले और 100 प्रतिशत साक्षरता दर के लिए मशहूर प्रांत केरल से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने पूरे राज्य और देश को शर्मसार कर दिया है। यह वीडियो न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि मानवता पर एक गहरा सवाल उठाता है। कोच्चि के कल्लूर में पिछले 20 साल से संचालित मार्केटिंग फर्म हिंदुस्तान पावर लिंक्स पर आरोप है कि उसने अपने कर्मचारियों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया।

सेल्स टारगेट पूरा न करने वाले कर्मचारियों को कथित तौर पर पट्टा गले में डालकर घुमाया गया, जमीन से सिक्के चटवाए गए, थूक चटवाया गया, नग्न कर निजी अंगों को छूने के लिए मजबूर किया गया और कुत्तों की तरह भौंकने के लिए विवश किया गया। यह सब महज 6000 से 8000 रुपये की मासिक तनख्वाह के लिए! इस वीडियो के वायरल होने के बाद जनता भड़क उठी है और केरल सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।वीडियो वायरल होने पर केरल के लेबर डिपार्टमेंट ने वर्क प्लेस पर कर्मचारियों के कथित उत्पीड़न की जांच के आदेश दिए हैं और मामले की रिपोर्ट मांगी है.

5 अप्रैल को स्थानीय टीवी चैनलों पर प्रसारित और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए इस अनडेटेड वीडियो में एक कर्मचारी को कुत्ते की तरह चारों पैरों पर रेंगते हुए दिखाया गया है, जिसके गले में पट्टा बंधा हुआ है। एक अन्य दृश्य में कर्मचारी को जमीन पर पड़े सिक्के चाटते हुए देखा जा सकता है, जबकि आसपास खड़े लोग उसका मजाक उड़ा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सजा उन कर्मचारियों को दी जाती थी जो अपने प्रदर्शन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाते थे। यह फर्म कथित तौर पर डोर-टू-डोर प्रोडक्ट सेल्स में लगे कर्मचारियों को नियुक्त करती है।

वीडियो के सामने आने के बाद केरल के श्रम मंत्री वी. शिवकुट्टी ने इसे "हैरान और परेशान करने वाला" करार दिया। उन्होंने तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दिए। पीटीआई न्यूज एजेंसी के हवाले से उन्होंने कहा, "मैंने इस घटना की जांच का आदेश दिया है और जिला श्रम अधिकारी को जांच के बाद इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।" मंत्री ने यह भी कहा कि केरल जैसे राज्य में इस तरह की जघन्य घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

शुरुआती रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह घटना एर्नाकुलम जिले के कल्लूर में स्थित हिंदुस्तान पावर लिंक्स के दफ्तर में हुई। हालांकि, स्थानीय पुलिस और श्रम अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि यह घटना संभवतः पेरुंबावूर में केल्ट्रा नामक एक मार्केटिंग कंपनी की शाखा में हुई, जो हिंदुस्तान पावर लिंक्स से जुड़ी हुई है। पेरुंबावूर पुलिस ने खुलासा किया कि इस फर्म के मालिक को पहले एक यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में जमानत पर बाहर है।

ये क्रूरताएँ उन मार्केटिंग कर्मचारियों के खिलाफ की जाती थीं जो घर-घर जाकर उत्पाद बेचते थे, और यह सब फर्म के मालिक द्वारा अंजाम दिया जाता था। एक कटोरे में सिक्का रखा जाता था, और कर्मचारियों के गले में बेल्ट बाँधकर उन्हें कुत्तों की तरह रेंगने और कटोरे से सिक्का चाटने के लिए मजबूर किया जाता था। उन्हें कमरे के चारों कोनों में कुत्तों की तरह मूत्र करने का अभिनय करने, अपनी पैंट उतारकर एक-दूसरे के निजी अंगों को पकड़ने, किसी और के चबाए और थूक दिए गए फल को चाटने, मुँह में नमक डालने, और जमीन से सिक्का चाटकर कमरे में इधर-उधर घूमने के लिए भी बाध्य किया जाता था। ये वे क्रूर यातनाएँ थीं जिनका शिकार कर्मचारी बनते थे। इस पीड़ा का कारण टारगेट पूरा न कर पाना था, जिसे अगले दिन टारगेट हासिल करने के लिए प्रेरित करने के तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। एक पूर्व कर्मचारी, जिसने यह यातना सही थी, ने बताया कि कर्मचारी प्रतिक्रिया देने से डरते थे, क्योंकि उनके साथ धमकी भरे लहजे में बात की जाती थी। उन्हें कहा जाता था कि ऐसी घटनाएँ केवल तब होती हैं जब टारगेट पूरे नहीं होते, और आज की खराब बिक्री को कल बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरणा देने के तौर पर देखा जाता है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस स्टेशन हाउस ऑफिसर राजेश एमके ने बताया कि यह वीडियो करीब छह महीने पहले एक पूर्व मैनेजर द्वारा रिकॉर्ड किया गया था, जो अब कंपनी छोड़ चुका है। उन्होंने कहा, "हमें बताया गया कि यह एक ट्रेनिंग गतिविधि का हिस्सा था। अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।"

वीडियो में दिख रहे कर्मचारी ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि उसे परेशान नहीं किया गया। उसने कहा, "ये दृश्य महीनों पहले एक पूर्व मैनेजर ने जबरदस्ती रिकॉर्ड किए थे, जिसे बाद में नौकरी से निकाल दिया गया। वह अब इनका इस्तेमाल फर्म को बदनाम करने के लिए कर रहा है।" इस कर्मचारी ने कथित तौर पर पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों को भी यही बताया। हालांकि, मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों में से कुछ ने एक स्थानीय टीवी चैनल को बताया कि टारगेट पूरा न करने पर ऐसा व्यवहार आम था।

यह सजा उन कर्मचारियों को दी जाती थी जो अपने प्रदर्शन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाते थे। यह फर्म कथित तौर पर डोर-टू-डोर प्रोडक्ट सेल्स में लगे कर्मचारियों को नियुक्त करती है।

हिंदुस्तान पावर लिंक्स के मालिक ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि कल्लूर स्थित उनकी कंपनी का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। उनका दावा है कि यह शायद पेरुंबावूर में एक अन्य कंपनी में हुआ होगा, जो उनके उत्पादों का विपणन करती थी। इसके बावजूद, कर्मचारियों के बयानों और वीडियो सबूतों ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस बढ़ते विवाद के जवाब में केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने केरल हाई कोर्ट के वकील कुलथूर जयसिंह की शिकायत के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही, केरल राज्य युवा आयोग ने भी हस्तक्षेप किया और जिला पुलिस को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। आयोग के अध्यक्ष एम. शजर ने कहा, "ऐसी प्रथाएं जो एक सभ्य और लोकतांत्रिक समाज में अस्वीकार्य हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।"

इस वीडियो के प्रति जनता की प्रतिक्रिया तीखी और त्वरित रही है। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कालूर में फर्म के कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला और जवाबदेही व कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एक यूजर ने लिखा, "यह आधुनिक गुलामी की सबसे खराब मिसाल है। क्या इंसानियत इतनी सस्ती हो गई कि 6000-8000 रुपये के लिए लोगों को कुत्तों की तरह व्यवहार करना पड़े?"

वर्तमान में इस मामले की कई स्तरों पर जांच चल रही है। श्रम विभाग, पुलिस, मानवाधिकार आयोग और युवा आयोग अलग-अलग जांच कर रहे हैं। अधिकारी वीडियो की प्रामाणिकता और आपराधिक आरोपों की संभावना को तय करने के लिए काम कर रहे हैं। श्रम विभाग ने जनता को आश्वासन दिया है कि किसी भी उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को सख्त परिणाम भुगतना होगा।

इधर, रविवार को मामले में एक अपडेट आया जिसके मुताबिक पुलिस ने कंपनी के उस पूर्व कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज किया जिसने मूल रूप से ये आरोप लगाए थे। पेरुंबवूर में रहने वाली एक महिला की शिकायत के बाद कोझिकोड निवासी मनाफ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ता ने दावा किया कि व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो मनाफ के दबाव में बनाया गया था जिसमें कर्मचारियों को कुत्तों की तरह व्यवहार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पहले कंपनी में वरिष्ठ पद पर तैनात रहे मनाफ ने कथित तौर पर कर्मचारियों पर परेशान करने वाले कृत्य में भाग लेने के लिए दबाव डाला।

पेरुंबवूर थाने के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसके बाद मनाफ के खिलाफ एक महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से उस पर हमला करने और आपराधिक बल का प्रयोग करने का मामला दर्ज किया गया है।

इस बीच, श्रम विभाग के सूत्रों ने बताया कि एर्नाकुलम जिला श्रम अधिकारी ने राज्य श्रम आयुक्त को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि वीडियो के आधार पर कार्यस्थल पर उत्पीड़न का मामला नहीं बनता है।

केरल, जो अपनी प्रगतिशीलता और मजबूत श्रम कानूनों के लिए जाना जाता है, के लिए यह घटना एक बड़ा धक्का है। यह सवाल उठता है कि क्या राज्य में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के दावे सिर्फ कागजी हैं?

Trending :
facebook twitter