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MP के गैरतगंज में नागा बाबाओं ने दलित व्यक्ति को दी गालियां, पुलिस ने की FIR दर्ज

भोपाल। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के केम्पा गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां नागा बाबाओं के एक समूह ने खुलेआम एक दलित नागरिक और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री को कतिथ जाति सूचक गालियां दी। इसके बाद पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की और फिर मामला दर्ज हुआ।

पीड़ित गोरेलाल अहिरवार पेशे से जूते पॉलिश करने वाले हैं और सड़क किनारे छोटी सी दुकान लगाकर अपने परिवार का गुज़ारा करते हैं। 5 अप्रैल को कुछ नागा बाबाओं ने उनकी दुकान के पास आकर उन्हें जातिसूचक गालियां दीं और अभद्र भाषा का प्रयोग किया।

द मूकनायक से बातचीत में गोरेलाल ने बताया कि, "शाम के समय कुछ नागा साधू अपनी बोलेरो से आए थे। जब उनके ड्राइवर को दुकान के सामने से गाड़ी को आगे-पीछे हटा लेने को कहा, तो वह आक्रोशित हो गए उन्होंने उन्होंने मेरी जाति को लेकर अपशब्द कहे और गालियां देना शुरू कर दिया। मैंने विरोध किया तो धमकी दी कि कहीं का नहीं छोड़ेंगे।"

दलित पूर्व मंत्री को भी दी गालियां

नागा बाबाओं ने डॉ. प्रभुराम चौधरी, जो राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में सांची से विधायक हैं, ,उनको भी जाति सूचक गालियां दी। डॉ. चौधरी स्वयं दलित समाज से आते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नागा बाबाओं ने उन्हें “दलित नेता” कहकर निशाना बनाया और भद्दी गालियां दीं।

पुलिस ने टाली कार्रवाई, FIR में नहीं जोड़ी गई SC/ST एक्ट की धाराएं

पीड़ित जब गैरतगंज थाने पहुंचे, तो वहां उन्हें घंटों बैठाया गया और रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी की गई। कई घंटे की मशक्कत के बाद 6 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन इसमें केवल गाली गलौच और धमकी की धाराएं ही लगाई गेन। जबकि SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, जो ऐसे मामलों में अनिवार्य है, उसे जानबूझकर नहीं जोड़ा गया।

कानून क्या कहता है?

अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अनुसार, किसी भी दलित व्यक्ति के साथ उसकी जाति को लेकर गाली-गलौच या अपमान करना एक गैर-जमानती अपराध है, जिसमें सख्त सज़ा का प्रावधान है।

दबाव में पुलिस?

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह टालमटोल इसलिए हुई क्योंकि 6 अप्रैल को केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गैरतगंज दौरा प्रस्तावित था। प्रशासन नहीं चाहता था कि कोई विवाद उनके कार्यक्रम को प्रभावित करे।

आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन आंखें मूंदे बैठे हैं। उन्होंने रायसेन की घटना का ज़िक्र करते हुए सवाल उठाया कि जब दलितों को साधुओं द्वारा जातिसूचक गालियां दी गईं, तो पुलिस ने अब तक आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की। सुनील अस्तेय ने आगे कहा, "जब तक आरोपी जेल नहीं भेजे जाते, तब तक यह माना जाएगा कि पुलिस मनुवादी ताकतों के दबाव में काम कर रही है। हम रायसेन जा रहे हैं।"

दलित समाज में आक्रोश

घटना के बाद इलाके में रोष का माहौल है। सामाजिक संगठनों और दलित समुदाय के नेताओं ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए दोषियों पर SC/ST एक्ट की धाराएं जोड़ने और तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।

दलित समाज और सामाजिक संगठनों ने एक सुर में मांग की है कि इस मामले को हल्के में लेने की बजाय आरोपियों पर SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं तत्काल जोड़ी जाएं और उन्हें गिरफ्तार किया जाए। साथ ही, पीड़ित गोरेलाल अहिरवार को सुरक्षा दिए जाने तथा थाने में शिकायत दर्ज करने में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई हो। उनका कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, पूरे दलित समाज का अपमान है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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