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कब तक झेलेंगे? UDF ने रेजिडेंट डॉक्टर्स के 'अमानवीय' कार्य घंटों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की जनहित याचिका

नई दिल्ली- यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है। यह याचिका देश भर में रेजिडेंट डॉक्टर्स पर थोपे गए शोषणकारी और असंवैधानिक कार्य परिस्थितियों को चुनौती देती है। UDF अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल की ओर से याचिका लगाई गयी है।

इस याचिका (डायरी नंबर 211832/2025) में सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है ताकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 1992 के निर्देश का पालन सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें कहा गया है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स को प्रतिदिन 12 घंटे और साप्ताहिक 48 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जाना चाहिए।

UDF अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने कहा, "रेजिडेंट डॉक्टर्स को अक्सर सप्ताह में 70-100 घंटे काम करने को मजबूर किया जाता है, जिससे उनमें तनाव, शारीरिक थकान और मानसिक स्वास्थ्य का ह्रास हो रहा है। यह न केवल डॉक्टर्स के लिए खतरनाक है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।"

PIL में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सुप्रीम कोर्ट के तीन दशक पुराने स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, मेडिकल संस्थान निर्धारित मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में "मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स" की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में काम के तनाव और नींद की कमी के कारण 150 से अधिक मेडिकल छात्रों के आत्महत्या करने की बात सामने आई है।

UDF की ओर से वकील सत्यम सिंह और नीमा (AOR) ने न्यायालय से निम्नलिखित अनुरोध किए हैं:

  1. सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों को 1992 के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया जाए।

  2. संबंधित अधिकारियों को ड्यूटी रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया जाए, जो मानवीय शारीरिक और मानसिक सीमाओं का सम्मान करें।

  3. नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रवर्तन तंत्र स्थापित किया जाए।

अधिवक्ता सत्यम सिंह ने कहा, "यह केवल श्रमिक अधिकारों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीवन जीने के मौलिक अधिकार का प्रश्न है।"

यह PIL सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल "RG कर मेडिकल कॉलेज" मामले में दिए गए उनके ही अवलोकन के बाद आई है, जिसमें कोर्ट ने रेजिडेंट डॉक्टर्स की कार्य परिस्थितियों को "अमानवीय" करार दिया था। मामले की सुनवाई आने वाले हफ्तों में होने की संभावना है।

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