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SC/ST/ओबीसी को ही क्यों मिलती है सीमान्त जिलों में पोस्टिंग? — AJAK ने राजस्थान में आरक्षित वर्गों के लिए निष्पक्ष नियुक्ति की मांग की

जयपुर- राजस्थान में सरकारी नौकरियों में प्रथम नियुक्ति की काउंसलिंग प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ रहा है। डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (AJAK), राजस्थान ने इस प्रक्रिया को OBC, EWS, MBC, SC, ST और महिला वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अन्यायपूर्ण बताते हुए राज्य सरकार से तत्काल बदलाव की मांग की है। AJAK के अध्यक्ष श्रीराम चोर्डिया द्वारा लिखे गए पत्र में इस मुद्दे को विस्तार से उठाया गया है, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान प्रणाली इन वर्गों के अभ्यर्थियों को उनके परिवार और समाज से दूर, सीमांत और दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा के लिए मजबूर कर रही है।

पत्र के अनुसार, राज्य सरकार के 18 मई 2020 के परिपत्र (क्रमांक 5.1(1) प्र.सु/अनु-3/2020/पार्ट) के तहत राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और अन्य भर्ती एजेंसियों द्वारा सीधी भर्ती से चयनित अभ्यर्थियों को वरीयता सूची के आधार पर जिला आवंटन किया जाता है। विशेष श्रेणी के अभ्यर्थियों को छोड़कर, अन्य अभ्यर्थियों को क्रम के अनुसार जिले आवंटित किए जाते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में OBC, EWS, MBC, SC, ST और महिला वर्ग के अभ्यर्थियों को मध्यप्रदेश, गुजरात और पाकिस्तान की सीमा से सटे जिलों में दूरस्थ रिक्त पदों पर नियुक्त किया जा रहा है।

AJAK का कहना है कि, "आरक्षित एवं अनारक्षित वगों के अभ्यर्थियों की परीक्षा में प्राप्तांक के आधार पर वरीयता सूची के आधार पर काउसलिंग प्रक्रिया उपरी तौर पर अच्छी दिखाई देती है, परन्तु कालान्तर में इसके सामाजिक दुष्प्रभाव पड़ते दिखाई दे रहे है। उपरोक्त आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सदा के लिए अपने घर, परिवार, समाज से दूर मध्यप्रदेश, गुजरात, पाकिस्तान की सीमाओं से लगे जिलों में प्रथम पदस्थापन मिलता है तथा OBC/EWS/MBC/SC/ST/महिला वर्गों का राजनीतिक दबाव समूह (Political Pressure Group) बहुत ही कमजोर / नगण्य होने के कारण इन असहाय अभ्यार्थियों को पूरा सेवाकाल अपने घर, परिवार, समाज से दूर सीमान्त जिलों में रहने के लिये मजबूर होना पड़ता है। इस प्रकार OBC/EWS/MBC/SC/ST/महिला वर्गों के गरीब अभ्यार्थियों को बिना कोई आपराधिक कृत्य किये केवल गरीब/वर्ग और समाज से संबंधित होने के कारण उपरोक्त सजा भुगतना जैसा है।"

रोस्टर आधारित नियुक्ति की मांग

एसोसिएशन ने 24 फरवरी 2025 के सरकारी निर्देश का हवाला देते हुए कहा है कि वरीयता के बजाय रोस्टर बिंदुओं के आधार पर नियुक्ति से सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। AJAK ने प्रथम नियुक्ति की काउंसलिंग प्रक्रिया में संशोधन की मांग की है, जिसमें नियुक्तियां आरक्षण नीति के प्रचलित रोस्टर बिंदुओं के आधार पर हों।


AJAK के अध्यक्ष श्रीराम चोर्डिया ने पत्र में लिखा, "लोकतांत्रिक और कल्याणकारी राज्य में आरक्षित वर्ग के हितों की रक्षा सरकार का कर्तव्य है। वर्तमान प्रणाली इन अभ्यर्थियों को उनके मूल स्थान से दूर रखकर सामाजिक और पारिवारिक विघटन को बढ़ावा दे रही है।" उन्होंने कहा कि यह प्रथा न केवल अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि समाज के समग्र विकास के लिए भी हानिकारक है।


यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब राजस्थान में जाति-आधारित जनगणना, सामाजिक न्याय और समावेशी नीतियों पर बहस तेज हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इस मांग पर विचार नहीं करती, तो यह मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन का रूप ले सकता है।

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