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जिस उम्र में मिलना चाहिए आराम, वो बुजुर्ग सड़कों पर उतरने को मजबूर — राजस्थान के विश्वविद्यालय अपने पेंशनरों को क्यों कर रहे हैं निराश ?

उदयपुर- महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के पेंशनर गंभीर वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई समाधान नहीं निकाला गया है। विश्वविद्यालय से जुड़े 1,370 पेंशनर पिछले दो साल से कई मुद्दों से जूझ रहे हैं। एमपीयूएटी प्रशासन और पेंशनर वेलफेयर सोसाइटी के बीच कई बैठकें और चर्चाएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

अपनी समस्याओं को उजागर करने के लिए, पेंशनरों ने मार्च-अप्रैल 2024 में विश्वविद्यालय परिसर में एक बड़ा प्रदर्शन किया था। हालांकि, विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये के कारण उनकी समस्याएं अनसुलझी रह गईं। एमपीयूएटी पेंशनर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एस.के. भटनागर ने इस मामले में प्रगति की कमी पर निराशा जताई।

यह समस्या सिर्फ एमपीयूएटी तक सीमित नहीं है। राजस्थान के सभी राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशनर इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अखिल राजस्थान राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय पेंशनर सोसाइटी और अखिल राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन ने 25 फरवरी को जयपुर में एक बड़े प्रदर्शन का आह्वान किया है। यह प्रदर्शन शहीद स्मारक, पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने होगा, जहां पेंशन संकट का स्थायी समाधान मांगा जाएगा।

70, 80 और 90 साल की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को अपने हक की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।

पेंशनर सातवें वेतन आयोग के अनुसार बकाया राशि, ग्रेच्युटी, कम्यूटेशन और राहत भत्ते की मांग कर रहे हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों में आर्थिक संकट के कारण ये भुगतान नहीं किए जा रहे हैं, जिससे पेंशनर गंभीर वित्तीय संकट में फंस गए हैं। राज्य के प्रतिनिधियों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री और राज्यपाल से कई बार अपील की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

70, 80 और 90 साल की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को अपने हक की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। वे 1990-91 से ही सरकारी आदेश के तहत पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण अब पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

पेंशनरों ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह अन्य राज्यों की तरह पेंशन का भुगतान सीधे राज्य कोषागार से करे। उनका कहना है कि इससे पेंशन भुगतान में होने वाली देरी और अनियमितताओं का स्थायी समाधान हो सकेगा।

प्रदर्शन की तैयारी के लिए, एमपीयूएटी पेंशनर वेलफेयर सोसाइटी ने एक पांच सदस्यीय समन्वय समिति बनाई है। इसमें आर.के. राजपूत, गणेश पालीवाल, रामेश्वर शर्मा, के.एस. राठौर और वी.एस. सोलंकी शामिल हैं।

पेंशनरों की निराशा साफ झलक रही है, क्योंकि वे खुद को राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की उपेक्षा का शिकार मान रहे हैं। उनके पास अब कोई और विकल्प नहीं बचा है, और वे अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण लेकिन बड़े प्रदर्शन के लिए मजबूर हैं।

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