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MP भोपाल में बुद्ध पूर्णिमा की धूम: बौद्ध विहारों में शुरू हुई विशेष तैयारियाँ, एक हजार दीपों का प्रज्ज्वलन कर विश्व शांति की होगी प्रार्थना

भोपाल। राजधानी भोपाल में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। 12 मई को मनाई जाने वाली बुद्ध पूर्णिमा को लेकर शहर के प्रमुख बौद्ध विहारों और समुदायों में उत्साह का माहौल है। इस दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को याद करते हुए श्रद्धालु पूजा-अर्चना, दान-पुण्य और विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेंगे।

बौद्ध विहारों में सजावट और विशेष कार्यक्रम

भोपाल के त्रिशरण बौद्ध विहार (कोलार), अशोक बौद्ध विहार (हबीबगंज), लुंबिनी बौद्ध विहार (पंचशील नगर), श्रावस्ती बौद्ध विहार सहित अन्य स्थानों पर विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं। इन विहारों को फूलों, रंगोली और रोशनी से सजाया जा रहा है। दिनभर चलने वाले कार्यक्रमों में पूजा-अर्चना, प्रवचन, ध्यान और बुद्ध की प्रतिमा पर अभिषेक शामिल हैं।

चूनाभट्टी बुद्धभूमि महाविहार मोनेस्ट्री में पूर्णिमा पर्व पर दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत 11 मई की शाम को एक हजार दीपों के प्रज्ज्वलन से होगी, जो विश्व शांति की प्रार्थना के साथ जुड़ी होगी।

द मूकनायक से बातचीत में भंते सागर ने बताया कि इस अवसर पर सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया गया है, जिससे आपसी सौहार्द और समरसता का संदेश दिया जा सके।

भंते सागर ने बताया कि 12 मई को सुबह 10 बजे से मुख्य कार्यक्रम आरंभ होगा। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शामिल होने की संभावना है। आयोजन समिति द्वारा उन्हें आमंत्रित किया गया है और तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

इसी दिन शाम को एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। इसमें बौद्ध परंपरा से जुड़े नृत्य, गीत और अन्य कलात्मक प्रस्तुतियां होंगी, जो बौद्ध धम्म और संस्कृति की विविधता को दर्शाएंगी। आयोजन का उद्देश्य समाज में शांति, करुणा और बंधुत्व का प्रसार करना है।

पूजा-अर्चना और शांति पाठ

बुद्ध पूर्णिमा के दिन पारंपरिक रूप से बोधिवृक्ष (पीपल के पेड़) की पूजा की जाती है। श्रद्धालु भगवान बुद्ध की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर धूप, दीप, पुष्प, चंदन और फल अर्पित करते हैं। इसके साथ ही बौद्ध भिक्षुओं द्वारा शांति पाठ और त्रिशरण पंचशील का उच्चारण किया जाएगा।

दान-पुण्य की परंपरा

बुद्ध पूर्णिमा को दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन जल से भरे घड़े, छतरी, चप्पल, पंखा, अनाज, फल और वस्त्र आदि का दान करते हैं। कई संगठनों और बौद्ध समितियों द्वारा जरूरतमंदों के लिए भोजन वितरण और रक्तदान शिविर जैसे आयोजन भी किए जा रहे हैं।

बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित आयोजन

बुद्ध की करुणा, अहिंसा और मध्यम मार्ग की शिक्षाओं को जनमानस तक पहुँचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी रखे गए हैं। इन कार्यक्रमों में प्रवचन, निबंध लेखन प्रतियोगिता, चित्र प्रदर्शनी, और बौद्ध धर्म के इतिहास पर व्याख्यान शामिल हैं। स्कूलों और सामाजिक संगठनों द्वारा इन कार्यक्रमों में विशेष भागीदारी की जा रही है।

प्रशासन ने की तैयारी

बुद्ध पूर्णिमा पर भीड़भाड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए हैं। विशेष यातायात व्यवस्था, पार्किंग और स्वच्छता के निर्देश जारी किए गए हैं। नगर निगम भी विहारों और आसपास के क्षेत्रों में सफाई अभियान चला रहा है।

बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाओं का स्मरण दिवस है। वैशाख माह की पूर्णिमा को यह त्रिवेणी तिथि होने के कारण यह दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।

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