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TM Exclusive: पदोन्नति में आरक्षण को लेकर MP सरकार का ड्राफ्ट कैबिनेट में भेजने की तैयारी, गोरकेला ड्राफ्ट को भूली सरकार?

भोपाल। मध्य प्रदेश में वर्षों से अटकी पड़ी पदोन्नति में आरक्षण प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा तैयार किए गए नए नियमों के ड्राफ्ट को मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में लगभग मंजूरी मिल गई है। अब यह ड्राफ्ट कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार 'पदोन्नति अधिनियम 2017' गोरकेला ड्राफ्ट को भूल चुकी है।

जानकारी के अनुसार यदि सब कुछ तय समय पर होता है, तो अप्रैल 2016 से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया सितंबर 2025 से दोबारा शुरू की जा सकती है। इससे प्रदेश के करीब 4 लाख अधिकारी-कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलने का दावा सरकार की ओर से किया जा रहा है। लेकिन सामाजिक न्याय को ध्यान में रखकर बने गोरकेला ड्राफ्ट को सरकार ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है!

वर्टिकल फार्मूले पर जोर

ड्राफ्ट में पदों के आरक्षण के अनुपात में वर्गीकरण की बात की गई है। इसके तहत अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर पात्र उम्मीदवार नहीं मिलने की स्थिति में पद रिक्त रहेंगे, लेकिन अन्य पदों पर प्रक्रिया जारी रहेगी। लेकिन विधि विशेषग्यों का मानना है, की यह ड्राफ्ट भी कानून और न्यायालय में फस सकता है!

पदोन्नति नियमों में 5 बड़े बदलाव

1. आरक्षित वर्ग के पद पहले भरेंगे: ड्राफ्ट के अनुसार पहले अनुसूचित जनजाति, फिर अनुसूचित जाति और अंत में अनारक्षित वर्ग के पद भरे जाएंगे। पात्र उम्मीदवार नहीं मिलने पर पद रिक्त रहेंगे।

2. डीपीसी की समय-सीमा तय: हर साल सितंबर से नवंबर के बीच विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक होगी और 31 दिसंबर तक पात्रता का निर्धारण किया जाएगा।

3. 6 पद तो बुलाए जाएंगे 16 अभ्यर्थी: रिक्त पदों की संख्या के दोगुने + 4 अतिरिक्त उम्मीदवारों को प्रमोशन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। मसलन, 6 पद खाली होने पर 16 लोग बुलाए जाएंगे।

4. पुरानी पदोन्नतियों पर कोई असर नहीं: पूर्व में जिन कर्मचारियों को प्रमोशन मिल चुका है, उन्हें रिवर्ट नहीं किया जाएगा। हालांकि नए प्रावधानों से पुराने कर्मचारियों को भी कुछ लाभ मिल सकते हैं।

5. पदानुसार अलग-अलग पैमाने: क्लास वन अधिकारियों के लिए, 'मेरिट कम सीनियरिटी' का फार्मूला लागू होगा।

निचले पदों के लिए: 'सीनियरिटी कम मेरिट' फार्मूला रहेगा।

गोपनीय चरित्रावली (ACR) होगी महत्वपूर्ण: प्रमोशन प्रक्रिया में ACR को निर्णायक कारक बनाया गया है। पिछले दो सालों में कम से कम एक “आउटस्टैंडिंग” रेटिंग अनिवार्य होगी। या पिछले सात सालों में चार साल की ACR A+ होनी चाहिए। क्लास वन अधिकारियों के लिए पिछले पांच सालों की ACR देखी जाएगी। यदि ACR उपलब्ध नहीं है और यह कर्मचारी की गलती है, तो DPC में उसका नाम नहीं आएगा।

अजाक्स ने भी दी थी राय, सरकार ने नहीं मानी!

अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ, अजाक्स ने राज्य सरकार को प्रमोशन में आरक्षण को लेकर स्पष्ट कदम उठाने की मांग की है। अजाक्स ने 2016 में गठित गोरकेला समिति द्वारा तैयार किए गए 'पदोन्नति अधिनियम 2017' के ड्राफ्ट को लागू करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि यह ड्राफ्ट पूरी तरह विधिसम्मत है और इससे पदोन्नति में आरक्षण की प्रक्रिया मजबूत होगी।

द मूकनायक से बात करते हुए अजाक्स के प्रांतीय प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण ने कहा, "गोरकेला ड्राफ्ट कानूनी दृष्टिकोण से पूरी तरह से सही है। सरकार को इसे बिना देरी के लागू करना चाहिए ताकि एससी-एसटी वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को सामाजिक न्याय मिल सके।" उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल संवैधानिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन की दिशा में भी आवश्यक कदम है।

विजय शंकर श्रवण ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपील की कि वे इस विषय को गंभीरता से लें और संबंधित विभागों को निर्देश दें कि गोरकेला समिति के ड्राफ्ट अधिनियम को जल्द लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सरकार की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाएगा और इससे अनुसूचित वर्ग के कर्मचारियों में भरोसा कायम होगा।

कांग्रेस ने उठाए सवाल!

राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य और कांग्रेस नेता प्रदीप अहिरवार ने गोरकेला ड्राफ्ट को लेकर मुख्य सचिव अनुराग जैन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। द मूकनायक से बातचीत में उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि मुख्य सचिव गोरकेला समिति के विधिसम्मत ड्राफ्ट को लागू नहीं करवाना चाहते। शायद उन्हें अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सामाजिक न्याय से समस्या है।"

प्रदीप अहिरवार ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "मंत्रालय की चौथी और पांचवीं मंजिल पर बैठे अधिकारी मुख्यमंत्री को असली स्थिति नहीं बता रहे हैं। वे नया ऐसा ड्राफ्ट बना रहे हैं जो कानूनी उलझनों में फंस सकता है। यह केवल प्रक्रिया को लंबित रखने की एक चाल है।"

उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2017 में तैयार किया गया प्रमोशन नियम का ड्राफ्ट अब तक लागू नहीं किया गया है, जबकि उसकी वैधता पर कोई सवाल नहीं है। अहिरवार ने आरोप लगाया कि प्रशासन में बैठे 'मनुवादी सोच' के अधिकारी लगातार ऐसी योजनाओं को रोकने का प्रयास कर रहे हैं जो सामाजिक न्याय को मजबूत करती हैं।

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