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दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ फैकल्टी के छात्रों का विरोध: परीक्षा तिथि आगे बढ़ाने की मांग के बीच पुलिस ने की लाठीचार्ज!

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के लॉ फैकल्टी के छात्रों ने परीक्षा की तारीखों में एक सप्ताह की देरी की मांग को लेकर बीते सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को पूरा करने में देरी और प्रशासन की उदासीनता ने उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। यह विरोध शांतिपूर्ण था, लेकिन डीयू प्रशासन द्वारा पुलिस और सीआरपीएफ की तैनाती से मामला गंभीर हो गया। पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हो गए। हालांकि छात्र अपनी मांगों को लेकर परिसर में धरने पर बैठे हुए हैं।

लॉ फैकल्टी के छात्रों का कहना है कि नए प्रोफेसरों की नियुक्ति सेमेस्टर शुरू होने के करीब एक महीने बाद हुई, जिसके कारण पाठ्यक्रम को पूरा करने में बाधा आई। इसके अलावा, परीक्षा फॉर्म 26 दिसंबर से शुरू होने वाली परीक्षाओं से मात्र 10 दिन पहले जारी किए गए, जिनमें कई तकनीकी खामियां थीं। इन सभी कारणों के चलते छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया।

छात्रों के अनुसार, तीनों लॉ फैकल्टी के छात्र संघों ने डीन से परीक्षा की तिथि बढ़ाने की अपील की थी, लेकिन डीन ने पहले से तय कार्यक्रम पर अडिग रहते हुए छात्रों की मांगों को अनसुना कर दिया।

पुलिस पर छात्रों से मारपीट के आरोप

16 दिसंबर को छात्रों ने लॉ फैकल्टी के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया। यह विरोध पूरे दिन चला और पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा। छात्रों ने तख्तियों और बैनरों के साथ अपनी मांगों को सामने रखा। हालांकि, डीन ने छात्रों के इस प्रदर्शन को सख्ती से दबाने का निर्णय लिया और दिल्ली पुलिस तथा सीआरपीएफ को कैंपस में बुला लिया गया।

छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी उकसावे के लाठीचार्ज शुरू कर दिया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। स्थिति तब और बिगड़ी जब पुलिस ने लॉ फैकल्टी के प्रवेश द्वार को तोड़ते हुए अंदर घुसकर छात्रों पर बल प्रयोग किया।

विरोध के बाद डीयू प्रशासन ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया: "26 दिसंबर, 2024 से शुरू होने वाली परीक्षा के लिए एलएलबी I/III/V टर्म दिसंबर/जनवरी 2024 की परीक्षाओं से संबंधित तिथि पत्र को स्थगित कर दिया गया है।" हालांकि, छात्र अपनी मांग पर अडिग रहे और परीक्षा कार्यक्रम में एक सप्ताह की देरी की मांग करते रहे।

यह घटना कई सवाल खड़े करती है। लॉ के छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए अच्छे अंक लाने पड़ते हैं और वे पढ़ाई के लिए कठिन मेहनत करते हैं। लेकिन जब उन्हें अपने अधिकारों की मांग करनी पड़ती है, तो उनके साथ "उपद्रवियों" जैसा व्यवहार किया जाता है।

एक छात्र ने बताया, "हम केवल परीक्षा की तिथि में एक हफ्ते की देरी की मांग कर रहे थे ताकि पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सके। लेकिन हमारी शांतिपूर्ण मांग को प्रशासन ने नजरअंदाज किया और पुलिस बल का उपयोग किया गया। यह हमारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।"

छात्र तुषार सिंह ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "हमारी मांग केवल इतनी है कि परीक्षा तिथियों को एक सप्ताह आगे बढ़ाया जाए ताकि पाठ्यक्रम को पूरा करने और तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। प्रशासन की लापरवाही की वजह से नए प्रोफेसरों की नियुक्ति में देरी हुई, जिससे पढ़ाई प्रभावित हुई है। लेकिन जब हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखी, तो हमें उपद्रवी की तरह पेश करते हुए पुलिस बल का सहारा लिया गया।"

उन्होंने आगे कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। पुलिस द्वारा बिना किसी उकसावे के लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई छात्र घायल हुए। लॉ फैकल्टी के छात्रों का संघर्ष अपने अधिकारों की रक्षा के लिए है। प्रशासन को छात्रों की समस्याओं को समझते हुए सकारात्मक कदम उठाना चाहिए, न कि दबाव बनाने के लिए बल का उपयोग करना चाहिए।"

इस संबंध में हमने कॉलेज प्रबंधन से बात करने की कोशिश की पर समाचार लिखे जाने तक संपर्क नहीं हो सका।

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