नई दिल्ली- भारत के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों, विशेषकर भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs), में फैकल्टी भर्ती में आरक्षण नीति के पालन की कमी और जातिगत असमानता की गूंज तेज हो रही है। इन संस्थानों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती में गंभीर कमी देखी जा रही है, जिससे सामाजिक न्याय और समावेशिता के प्रति इन संस्थानों की प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं।
ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIOBCSA) ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) कलकत्ता में फैकल्टी भर्ती में आरक्षण नीतियों के कथित उल्लंघन की निंदा की है।
AIOBCSA के राष्ट्रीय अध्यक्ष किरण गौड़ ने द मूकनायक को बताया कि एक आरटीआई जानकारी से इस प्रीमियर संस्थान की भर्ती प्रक्रिया से एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के प्रति गंभीर असमानता का पता चलता है।
आरटीआई के अनुसार, IIM कलकत्ता में कुल 126 फैकल्टी पद स्वीकृत हैं, लेकिन आरक्षण नीति का पालन करने में कई गड़बड़ियाँ देखने को मिली हैं। 126 स्वीकृत पदों में से 53 अनारक्षित (UR) उम्मीदवारों के लिए आवंटित थे, लेकिन आरटीआई से खुलासा हुआ कि कुल 73 यूआर फैकल्टी सदस्यों की भर्ती की गई है, जो स्वीकृत सीमा से 20 पद अधिक है। इसके अलावा, 20 और यूआर पद खाली हैं।
वहीं, ओबीसी, एससी और एसटी फैकल्टी सदस्यों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है:
ओबीसी फैकल्टी सदस्य: 4
एससी फैकल्टी सदस्य: 2
एसटी फैकल्टी सदस्य: 0
ईडब्ल्यूएस फैकल्टी सदस्य: 1
यह स्थिति आरक्षण नीति से एकदम विपरीत है, जो विविधता और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। नीति के अनुसार, ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के पदों को क्रमशः 27%, 15% और 7.5% होना चाहिए था, लेकिन यहाँ इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम है।
आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ कि कुल 46 रिक्त पदों में 20 यूआर पद, 12 ओबीसी पद, 7 एससी पद, और 3 एसटी एवं 4 ईडब्ल्यूएस पद खाली हैं।
गौड़ ने इन गड़बड़ियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “IIM कलकत्ता से प्राप्त आरटीआई जानकारी से आरक्षण नीति का स्पष्ट उल्लंघन सामने आया है, जिससे एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के साथ गहरी अन्यायपूर्ण स्थिति उजागर होती है। शिक्षा मंत्रालय को इन मुद्दों पर तत्काल एक्शन लेना चाहिए।” AIOBCSA ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इन रोस्टर उल्लंघनों की जांच और फैकल्टी भर्ती में समानता सुनिश्चित करने की मांग की है।
लखनऊ, इंदौर और तिरुचिरापल्ली के IIM में भी समान प्रतिनिधित्व की समस्याएं
यह समस्या सिर्फ IIM कलकत्ता तक ही सीमित नहीं है। पिछले महीने प्राप्त एक आरटीआई रिस्पांस के अनुसार, IIM लखनऊ में 103 स्वीकृत फैकल्टी पद हैं, जिनमें से 85.43% यानी 88 पद सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों द्वारा भरे गए हैं। अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम है, जिसमें ओबीसी के 3 पद (2.9%), एससी के 2 पद (1.9%) और एसटी या ईडब्ल्यूएस के लिए कोई भी उम्मीदवार शामिल नहीं है। इसके अलावा, छह सामान्य वर्ग के पद, एक ओबीसी, एक एससी और दो एसटी पद खाली हैं।
IIM इंदौर और IIM तिरुचिरापल्ली के आरटीआई आंकड़े भी इन संस्थानों में फैकल्टी भर्ती में असमानता को उजागर करते हैं। IIM इंदौर में 150 स्वीकृत फैकल्टी पदों में से 41 पद अभी भी खाली हैं, जिसमें एससी और एसटी वर्ग से कोई भर्ती नहीं की गई है और ओबीसी से केवल 2 उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है।
IIM तिरुचिरापल्ली में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहाँ ओबीसी के 83.33%, एससी के 86.66% और एसटी के 100% फैकल्टी पद खाली हैं, जबकि सभी सामान्य वर्ग के पद भरे हुए हैं।