नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर किसी अखबार में छपी खबर का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने एक जनसभा के दौरान कथित तौर पर यह कहा कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए गैर आदिवासियों (के वोटों की) की जरूरत नहीं है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस खबर को फेक पाया और इस दावे के साथ वायरल स्क्रीनशॉट एडिटेड है, जिसे एडिट कर तैयार किया गया है। झारखंड के जमशेदपुर से सटे इलाके गदड़ा में हेमंत सोरेन की 2019 में रैली हुई थी और इस भाषण में उन्होंने तत्कालीन सरकार रघुबर दास पर निशाना साधा था। अपने भाषण में उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए गैर-आदिवासियों के मतों की जरूरत नहीं है।
क्या है वायरल?
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर भी कई यूजर्स ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर किया है।
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई अन्य यूजर्स (आर्काइव लिंक) ने इस वीडियो क्लिप को समान दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल दावे की जांच के लिए हमने स्क्रीनशॉट को ध्यानपूर्वक देखा और पाया कि इसमें कई गलतियां हैं। खबर की हेडलाइन में यह लिखा हुआ है कि चुनाव जीतने कि लिए (‘के लिए’ होना चाहिए) मुझे गैर आदिवासियों की जरूरत नहीं है, जो गलत है। किसी अखबार की खबर की हेडलाइन में ऐसी गलती की गुंजाइश नहीं होती है।
दूसरा, इस स्क्रीनशॉट में नजर आ रही खबर में दो अलग-अलग फॉन्ट नजर आ रहे हैं, जो इसके एडिटेड होने की पुष्टि करता है, क्योंकि फॉन्ट अखबार की स्टाइल शीट से जुड़े होते हैं।
तीसरा, खबर की शुरुआत इस वाक्य से की गई है, “…विशेष संवाददाता जुगसलाईः लगता है झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के लिए यह विधानसभा चुनाव स्वयं को प्रदेश के एकमात्र आदिवासी नेता के रूप में स्थापित करने की जंग बन गया है। उनके इस मंसूबे की ताजातरीन झलक जमशेदपुर के गदड़ा में हुई रैली के दौरान मिली। जुगसलाई विधानसभा चुनाव के झामुमो प्रत्याशी मंगल कालिंदी के पक्ष में जनसभा करने वे गदड़ा पहुंचे थे। अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को जीतने के लिए सिर्फ आदिवासी वोट की जरूरत है। लोगों को अपने पक्ष में करने के मंसूबे से उन्होंने इस चुनाव को आदिवासी समुदाय की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला जंग तक कह डाला। उन्होंने कहा कि उन्हें या उनकी पार्टी को किसी अन्य समुदाय के वोट की जरूरत नहीं है। वोट की जरूरत है, किसी अन्य समुदाय के वोट की जरूरत नहीं है अगर ये बातें चुनाव लड़ने वाले एक पार्टी को जीतने के लिए सिर्फ आदिवासी सामान्य प्रत्याशी द्वारा कहीं गई होतीं तो उसका कोई विशेष मायने नहीं था । परन्तु राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और इस पद के भावी दावेदार द्वारा ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाना उसकी मानसिकता को जगजाहिर करता है। ऐसा इसलिए है कि प्रदेश का मुखिया पूरी जनता का प्रतिनिधित्व करता है, किसी वर्ग विशेष का नहीं।”
अमूमन खबरों की शुरुआत “लगता है” जैसे शब्दों से नहीं होती है, बल्कि यह फीचर लेखन की शैली है।
आगे इस खबर में लिखा हुआ है, “अपने सम्बोधन में हेमंत सोरेन ने बिना नाम लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास पर निशाना साधते हुए कहा हेमंत सोरेन कार्यकारी अध्यक्ष, झामुमो कि जो यहां पेट पालने आया था, वह आज प्रदेश का मालिक बन बैठा है। हमें ऐसे लोगों को उनकी जगह दिखानी है। साफ़ है कि नेता चुनाव में जनता को धर्म और समुदाय के नाम पर भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।”
सर्च में हमें उनके इस पुराने भाषण का ऑरिजिनल वीडियो क्लिप (आर्काइव लिंक) ‘आदिवासी वॉइस’ नामक यू-ट्यूब चैनल पर लगा हुआ मिला, उसमें वह साफ-साफ रघुबर दास का नाम लेते हुए उन पर निशाना साधते हैं।
दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो 26 नवंबर 2019 को झारखंड के जुगसलाई विधानसभा के गदड़ा में हेमंत सोरेन की रैली का है।
हमें जागरण.कॉम की वेबसाइट पर 27 नवंबर 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें सोरेन की इस रैली का जिक्र है। इस रिपोर्ट में भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि उन्होंने भाषण के दौरान यह कहा हो कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए गैर-आदिवासियों के वोटों की नहीं. बल्कि केवल आदिवासियों के वोटों की जरूरत है।
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है, “हेमंत सोरेन ने सिर्फ सात मिनट में जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से झामुमो प्रत्याशी मंगल कालिंदी को वोट देने की अपील की।” उपरोक्त वीडियो से इस दावे की पुष्टि होती है कि जिसमें सोरेन जल्द ही अपनी बात खत्म कर वहां से वापस चले जाते हैं।
वायरल दावे को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के जमशेदपुर के पूर्व (2019 के) और मौजूदा प्रभारी से संपर्क किया। दोनों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सोरेन के नाम से वायरल हो रहा यह बयान फेक है। मौजूदा प्रभारी यू एन पाठक ने कहा कि हेमंत सोरेन ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन के नाम से वायरल बयान फेक है, जिसमें यह दावा किया गया है कि उन्होंने एक सभा के दौरान यह कहा कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए केवल आदिवासियों के वोटों की जरूरत है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान है, वहीं झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान है। इन चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
निष्कर्ष: हेमंत सोरेन के नाम से वायरल हो रहा यह बयान “चुनाव जीतने के लिए गैर आदिवासियों की जरूरत नहीं” फेक है और इस दावे के साथ छपी खबर का स्क्रीनशॉट ऑल्टर्ड है, जिसे एडिटिंग की मदद से तैयार किया गया है।
नोट- उक्त फैक्ट चेक रिपोर्ट शक्ति कलेक्टिव प्रोजेक्ट के तहत पुनः प्रकाशित किया गया है. द मूकनायक शक्ति कलेक्टिव के फैक्ट चेक का हिस्सा है. मूल रिपोर्ट विश्वास न्यूज द्वारा प्रकाशित किया गया है.