बैंगलोर- उच्च शिक्षण संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव और पक्षपात के खिलाफ बहुजन समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ता आवाज उठा रहे हैं, ऐसे में आईआईएम बैंगलोर में एक ओबीसी छात्र की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। शनिवार को अपना जन्मदिन मनाने वाले नीलय पटेल का शव रविवार सुबह कैंपस में मिला।
एमबीए के 28 वर्षीय छात्र नीलय कैलाशभाई पटेल की मौत के मामले में प्रारंभिक जांच से दुर्घटनावश गिरने की बात सामने आई है। पुलिस के अनुसार मामले में आत्महत्या या किसी षड्यंत्र के कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिले हैं।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब सर्वोच्च न्यायालय छात्रों की शिकायतों के निवारण और समानता के लिए तंत्र बनाने संबंधी एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है। हालांकि पुलिस प्राथमिक जांच में इसे एक दुर्घटना मान रही है, लेकिन अखिल भारतीय ओबीसी छात्र संघ (AIOBCSA) ने इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग की है।
रविवार सुबह लगभग 6:45 बजे एक सुरक्षा गार्ड ने निलय को देखा। मेडिकल टीम द्वारा उसे सीपीआर देकर जान बचाने का प्रयास किया गया लेकिन अस्पताल में उसे 'मृत लाया' घोषित किया. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि नीलय, जिनका जन्मदिन शनिवार को था, परिसर में छात्रावास के एक अलग ब्लॉक में दोस्त के कमरे में अपना जन्मदिन मनाने गए थे। वे रात करीब 11:30 बजे दोस्त का कमरा छोड़कर 'एफ' ब्लॉक में अपने कमरे की ओर लौट रहे थे।
पुलिस ने नीलय के रिश्तेदार की शिकायत पर अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है। नीलय की हाल ही में एक ई कॉमर्स फर्म में नियुक्ति होने की भी जानकारी मिली है और उसे सोमवार से ज्वाइन करना था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शव पर मामूली चोट के निशान मिले हैं, लेकिन कोई गंभीर चोट नहीं है जो किसी षड्यंत्र की ओर इशारा करे. पुलिस ने बताया कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, दोस्तों ने पुष्टि की है कि नीलय ने किसी तरह की परेशानी या तनाव नहीं जताया था और घटना से पहले वह अपने जन्मदिन की खुशियां मना रहे थे.
आईआईएम-बी ने एक बयान में कहा, "एक प्रतिभाशाली छात्र और कई लोगों के प्रिय मित्र, नीलय की कमी पूरी आईआईएमबी परिवार को खलेगी। इस कठिन समय में, हम उनके और उनके परिवार के लिए सहानुभूति, सम्मान और निजता की अपेक्षा करते हैं।"
हालांकि अखिल भारतीय ओबीसी छात्र संघ ने इस मामले में संस्थान से और अधिक स्पष्टीकरण की मांग की है। संघ का कहना है कि संस्थान में हाशिए के समुदायों के स्टूडेंट्स की परेशानी और चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त तंत्र की कमी है।
उच्च शिक्षा में युवा मौतें : एक गंभीर समस्या
नीलय पटेल की मृत्यु ऐसे समय में हुई है जब भारत का सर्वोच्च न्यायालय रोहित वेमुला और पायल तडवी की माताओं द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई कर रहा है। ये दोनों हाशिए के समुदायों के छात्र थे जिन्होंने कथित तौर पर जाति आधारित उत्पीड़न और स्ट्रेस के परिणाम स्वरूप आत्महत्या कर ली थी। यह याचिका शैक्षणिक संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने और स्टूडेंट्स की शिकायतों को सुने जाने के लिए एक प्रभावी तंत्र की मांग करती है।
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने जनवरी 2016 में कथित जाति भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। इसी तरह, मुंबई के टी.एन. टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की आदिवासी छात्रा पायल तडवी ने मई 2019 में आत्महत्या कर ली थी। रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने उच्च जाति के साथी छात्रों से उत्पीड़न का सामना किया था।
3 जनवरी को हुई हाल की सुनवाई में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने इस मुद्दे पर विशेष संवेदनशीलता दिखाई, खासकर यह जानने के बाद कि 2004-2024 के बीच अकेले आईआईटी में 115 आत्महत्याएं हुई हैं। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने टिप्पणी की कि न्यायालय 2012 के नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इस मामले की आवधिक सुनवाई करेगा।