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Exclusive Interview: झारखंड के JMM नेता कुणाल सारंगी ने कहा, 'केंद्र सरकार राज्य की बकाया राशि देने में कर रही आना-कानी'

नई दिल्ली: द मूकनायक के साथ ख़ास बातचीत में झारखंड के पूर्व विधायक व झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता कुणाल सारंगी ने राज्य की राजनीति, केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए, साथ हीं उन्होंने राज्य सरकार की योजनाओं और अन्य मुद्दों पर खुलकर बात की।

1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए का मामला क्या है? केंद्र सरकार पर लग रहे आरोप क्या हैं?

जवाब: झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है। हमारे यहां से निकलने वाले खनिज देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। लेकिन इन खनिजों की रॉयल्टी का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार पर बकाया है। यह राशि झारखंड का अधिकार है, जिसे जनता के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी चुनाव के दौरान और सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे को कई बार उठाया है।

हम इस राशि को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और अन्य योजनाओं में लगाना चाहते हैं। लेकिन केंद्र सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

2017 से, जबसे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सरकार आई है, केंद्र की एजेंसियां मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को परेशान कर रही हैं। यह राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा कुछ नहीं है। झारखंड की जनता को केंद्र सरकार के इस रवैये का सामना करना पड़ रहा है।

झारखंड कोयला आपूर्ति पर रोक लगाने की बात कर रहा है। क्या यह सच है?

जवाब: केंद्र सरकार का रवैया अगर ऐसा ही रहा तो झारखंड सरकार को मजबूरन कोयला सप्लाई रोकनी पड़ सकती है। हम लगातार केंद्र से अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं। हाल ही में जैसलमेर में जीएसटी की बैठक में झारखंड के वित्त मंत्री ने यह मुद्दा उठाया था और बताया था कि 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की राशि झारखंड की जनता के लिए कितनी जरूरी है। अगर केंद्र सरकार हमारी बात नहीं सुनती तो हमें कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।

झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत पर क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: यह जीत निश्चित रूप से जनता के भरोसे और हमारे काम का परिणाम है। मुझे इस जीत की पूरी उम्मीद थी। मैंने काउंटिंग के दिन भी 45 सीटों के जीतने का दावा किया था। इस जीत के कई बड़े कारण हैं। हेमंत सोरेन जैसे लोकप्रिय नेता को केंद्र सरकार द्वारा बार-बार परेशान करना और उन्हें बेवजह जेल में डालने का प्रयास करना जनता को रास नहीं आया। इसके अलावा, हमारी सरकार ने कई ऐतिहासिक जनकल्याणकारी योजनाएं चलाईं। उदाहरण के लिए:

  • मैया सम्मान योजना: माताओं के सम्मान के लिए शुरू की गई योजना।

  • बिजली बिल माफी: 40 लाख परिवारों का बिजली बिल माफ किया गया।

  • किसानों की कर्ज माफी: लाखों किसानों का कर्ज माफ हुआ।

  • आदिवासी जुड़ाव: कल्पना सोरेन जैसी आदिवासी नेत्री का जनता से सीधा जुड़ाव हमारी जीत का बड़ा कारण बना।

झारखंड की जनता ने हमें एक बड़ा जनादेश दिया है, और हम उनके विश्वास पर खरा उतरने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बेरोजगारी झारखंड का बड़ा मुद्दा है। इस पर आपकी सरकार क्या कदम उठा रही है?

जवाब: बेरोजगारी हमारे राज्य की प्रमुख समस्या है। हम इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहे हैं। पहले शासकीय भर्तियों के लिए कोई तय नियमावली नहीं थी। हमने इसे सुचारू बनाया और भर्ती प्रक्रिया के लिए एक कलेंडर तैयार किया है। सिर्फ सरकारी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए हम एक ठोस नीति बना रहे हैं। यह नीति युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के बेहतर अवसर प्रदान करेगी।

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए क्या योजना है?

जवाब: हमारी सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। झारखंड के स्कूलों में टीचर की कमी, भवनों की खराब स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करने के लिए हम तेजी से काम कर रहे हैं। हमने केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग की मांग की है। यह राशि मिलने के बाद हम स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण, सुविधाओं को अपग्रेड करने और शिक्षकों व डॉक्टरों की भर्ती में तेजी ला पाएंगे। हम मानते हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य राज्य के विकास की रीढ़ हैं, और इन्हें मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है।

इस बार मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह दी गई है। यह पिछली बार से कितना अलग है?

जवाब: जनता ने हमें बड़ा बहुमत दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने अनुभवी नेताओं और नए चेहरों का संतुलन बनाकर एक शानदार कैबिनेट बनाई है। इस मंत्रिमंडल में अनुभव और जोश का अनोखा मिश्रण है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह कैबिनेट आने वाले पांच वर्षों में राज्य के विकास के लिए शानदार काम करेगी।

कल्पना सोरेन को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इसके पीछे क्या वजह है?

जवाब: मंत्रिमंडल में किसे शामिल करना है और किसे नहीं, यह पूरी तरह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। कल्पना सोरेन एक आदिवासी नेत्री हैं और उनका जनता से गहरा जुड़ाव है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह तय करेंगे कि कल्पना सोरेन को संगठन में भूमिका दी जाए या सरकार में।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) राष्ट्रीय राजनीति में खुद को कहां देखता है?

जवाब: हेमंत सोरेन आज देश के सबसे बड़े आदिवासी नेता बनकर उभरे हैं। उनकी लोकप्रियता झारखंड से बाहर भी तेजी से बढ़ रही है। जेएमएम आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में अपनी मजबूत जगह बनाएगा। हमारा फोकस आदिवासी, दलित और हाशिए पर मौजूद समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उनके उत्थान पर है।

जेएमएम से बीजेपी और फिर बीजेपी से जेएमएम वापसी के क्या कारण थे?

जवाब: जब मैंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया था, तब भी मैंने स्पष्ट किया था कि मेरी पहचान झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और हेमंत सोरेन के कारण बनी है। राजनीति में आने से पहले मेरा हेमंत सोरेन से व्यक्तिगत संबंध था, और उन्हीं के प्रेरणा से मैंने राजनीति में कदम रखा। लेकिन बीजेपी में रहते हुए मैंने महसूस किया कि उनके पास झारखंड के विकास के लिए न तो कोई ठोस दृष्टिकोण है और न ही कोई मजबूत नेतृत्व। यही कारण है कि मैंने जेएमएम में वापसी की और अब मैं अपनी मूल पार्टी के साथ ही रहूंगा।

झारखंड के दलित-आदिवासियों के लिए सरकार की आगे क्या योजनाएं हैं?

जवाब: शिक्षा वंचित वर्गों के लिए सबसे बड़ा और प्रभावी हथियार है। हमारी सरकार दलित और आदिवासी समाज को शिक्षा से जोड़ने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम उनकी भलाई के लिए योजनाओं को केवल कागज पर नहीं, बल्कि धरातल पर लागू करेंगे। झारखंड की सरकार हमेशा वंचित वर्गों के अधिकारों और सम्मान के लिए उनके साथ खड़ी है।

चुनाव में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा क्यों उठा था?

जवाब: यह बीजेपी का एक चुनावी हथकंडा था, जिसका उद्देश्य सिर्फ ध्रुवीकरण करना था। चुनाव खत्म होने के बाद इस मुद्दे पर बीजेपी ने कोई चर्चा नहीं की। इसके अलावा, घुसपैठ के संबंध में कोई ठोस साक्ष्य भी नहीं मिला। यह केवल लोगों का ध्यान भटकाने की रणनीति थी।

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