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MP के जातिसूचक गांव के नाम बदलने की मांग, कांग्रेस ने राष्ट्रपति सहित सीएम को लिखा पत्र

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश में जातीय भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक अहम पहल की है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के हस्ताक्षर से मुख्यमंत्री को भेजे गए एक ज्ञापन में मांग की गई है कि जातिसूचक शब्दों से जुड़े गांवों, टोलों और स्कूलों के नाम तुरंत बदले जाएं। ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि यह कदम समाज में समानता स्थापित करने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए बेहद आवश्यक है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर जाति सूचक इलाकों के नामों को चेंज करने की मांग की है। भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार उर्दू में गांव के नाम से अगर चिंतित रहती है तो उसे जाति सूचक शब्दों से गांव के नामकरण पर आपत्ति क्यों नहीं होती है?

भूपेंद्र गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा है कि टीकमगढ़ जिले में यूईजीएस स्कूलों में लोहारपुरा, ढिमरौला, ढिमरयाना, चमरौला खिलक जैसे नाम हैं, जो संवैधानिक रूप से गलत हैं और सामाजिक रूप से आपत्तिजनक भी हैं। ऐसे नाम हर जिले में सैकड़ों की तादात में मिल सकते हैं, इन्हें बदलकर संतों, महापुरुषों के नाम पर नए नामकरण किए जाएं।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में राज्य के कई गांव, टोलों और स्कूलों के नाम जातिसूचक हैं, जो भेदभावपूर्ण मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। ये नाम समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए अपमानजनक और असंवेदनशील हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने इस मुद्दे को सरकार की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ऐसे नामों को तत्काल प्रभाव से बदला जाना चाहिए ताकि समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा मिले।

जातिसूचक नामों से कई गांव और स्कूल शामिल

ज्ञापन के अनुसार, राज्य के कई गांवों और स्कूलों के नामों में जातिसूचक शब्द शामिल हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं - लोहारपुरा, भिलायट, धिमरगांव, कोलसरा, चमारटोली, तेलीपुरा, अज्जीपुरा और कई अन्य। यह नाम न केवल जातीय पहचान को स्थायी रूप से चिह्नित करते हैं, बल्कि समाज में जातिगत भेदभाव और असमानता की भावना को बढ़ावा देते हैं।

सरकार से संवेदनशील कदम उठाने की अपील

कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार से आग्रह किया है कि इन नामों को बदलने की प्रक्रिया को तेज किया जाए और इसे संवेदनशील दृष्टिकोण से देखा जाए। साथ ही, नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों और प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए ताकि सभी की सहमति से नए नाम तय किए जा सकें। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार को नाम परिवर्तन के मुद्दे पर एक सार्वजनिक पोर्टल शुरू करना चाहिए, जहां जनता अपनी राय दे सके और नामों से जुड़े सुझाव साझा कर सके।

कांग्रेस पार्टी ने इस कदम को सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक प्रयास करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से समाज में समानता और बंधुत्व की भावना को मजबूत करने के लिए काम करती रही है। जातिसूचक नामों का परिवर्तन न केवल संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करेगा, बल्कि यह समाज में भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

ज्ञापन के अंत में मुख्यमंत्री से यह निवेदन किया गया है कि वे इस मामले में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करें। साथ ही, इस ज्ञापन की एक प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी गई है, ताकि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया जा सके।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता,भूपेंद्र गुप्ता ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "जब मुख्यमंत्री उर्दू के 'मौलाना' जैसे शब्दों पर अपनी कलम रोक सकते हैं, तो जातिसूचक नामों पर चुप्पी क्यों? ये नाम संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ हैं और समाज के वंचित वर्गों के लिए अपमानजनक हैं। हमने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसे नामों को बदलकर संतों और महापुरुषों के नाम पर रखा जाए, ताकि समाज में समानता और बंधुत्व को बढ़ावा दिया जा सके।"

एससी कांग्रेस करेगी आंदोलन

एससी कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा द मूकनायक से कहा, "मुख्यमंत्री की कलम जातिसूचक शब्दों पर क्यों चलती है? यदि उनकी कलम इन शब्दों को लिखने में नहीं रुक रही तो यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है, जो जातीय भेदभाव और दलित समाज के प्रति संवेदनहीनता को उजागर करता है। मुख्यमंत्री को ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए और समाज को एकजुट करने की दिशा में काम करना चाहिए।, हम जल्द ही आंदोलन करेंगे।"

सीएम की इस घोषणा के बाद कांग्रेस ने शुरू की मांग

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीते रविवार को उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदलने की घोषणा की, जिसमें मौलाना, गजनीखेड़ी और जहांगीरपुर गांव शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस बदलाव का कारण बताते हुए कहा कि मौलाना जैसे नाम लिखते वक्त पेन अटकता है, और इसलिए इसे विक्रम नगर के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा, जहांगीरपुर को अब जगदीशपुर और गजनीखेड़ी को चामुंडा माता नगरी के नाम से पुकारा जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा उज्जैन के बड़नगर में सीएम राइज स्कूल के लोकार्पण के दौरान की।

नाम परिवर्तन की यह पहल मुख्यमंत्री के उज्जैन और इंदौर दौरे के दौरान सामने आई। इस फैसले पर राज्य में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ इसे सांस्कृतिक पहचान को पुनःस्थापित करने का प्रयास मानते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा कह रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह निर्णय जनभावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है, और गांवों के नाम उनकी परंपरा, संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं से मेल खाते हुए चुने गए हैं।

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