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Ground Report: "मुझे जिंदा मानो सरकार", दलित की कलेक्टर से न्याय की गुहार, जीवित को पंचायत ने किया मृत घोषित

भोपाल। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के माखननगर तहसील के बागलखेडी गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सरकारी प्रक्रिया और भ्रष्टाचार के गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक दलित व्यक्ति को वर्ष 2020 में दस्तावेजों में मृत घोषित कर उसकी 'अंत्येष्टि सहायता' के नाम पर 5 हजार रुपये निकाल लिए गए। इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब शिकायतकर्ता, नरेश अहिरवार, ने अपनी पत्नी की डिलीवरी के बाद सबल योजना के तहत ऑनलाइन पंजीकरण के लिए आवेदन किया। द मूकनायक ने इस पूरे मामले की पड़ताल की, पेश है हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट।

कैसे सामने आया मामला?

नरेश अहिरवार, निवासी बागलखेडी, ने बताया कि वर्ष 2020 में ग्राम पंचायत के तत्कालीन सचिव संजू अहिरवार और पूर्व सरपंच सुरेखा यादव ने उन्हें सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, 13 जुलाई 2020 को उनके नाम पर 5000 रुपये अंत्येष्टि सहायता के रूप में आहरित भी कर लिए गए। नरेश को इस धोखाधड़ी की जानकारी तब हुई, जब उन्होंने 23 नवंबर 2024 को अपनी पत्नी भारती अहिरवार की डिलीवरी के बाद सबल योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया।

घर के बाहर शिकायत पत्र दिखाता नरेश अहिरवार

शिकायत और धमकियां

इस धोखाधड़ी के खिलाफ नरेश ने 24 दिसंबर 2024 को कलेक्टर कार्यालय और पुलिस अधीक्षक को शिकायत दर्ज कराई। लेकिन, इस शिकायत के बाद नरेश को प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।

1 जनवरी 2025 को नसीराबाद चौराहे पर नरेश को पूर्व सचिव संजू अहिरवार के पिता मदनलाल अहिरवार ने रोक लिया और गाली-गलौज करते हुए धमकी दी। मदनलाल ने कहा, "तेरी शिकायत से मेरे पुत्र का कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला। तुझे देख लूंगा।"

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति को प्रताड़ित करने तक सीमित नहीं है; यह ग्रामीण स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी तंत्र में खामियों को उजागर करती है। नरेश ने सरकारी दस्तावेजों में खुद को जीवित साबित करने के लिए कई आवेदन दिए। लेकिन, अभी तक दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

मृत घोषित करने के बाद पोर्टल से रेकॉर्ड हुआ डिलीट

क्या है कानून?

अगर कोई व्यक्ति सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर धन का गबन करता है, तो यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत अपराध है। वहीं, धमकी देने और गाली-गलौज करना IPC की धारा 504 और 506 के तहत दंडनीय है।

नरेश अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "यह मेरे लिए बेहद शर्मनाक और तकलीफदेह है कि मुझे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया। इस धोखाधड़ी के कारण मैं अपनी पत्नी के लिए सबल योजना का लाभ भी नहीं ले सका। जब मैंने इसे उजागर करने की कोशिश की, तो मुझे धमकियां मिल रही हैं। मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और मेरी पहचान और अधिकार सुरक्षित रहें।"

उन्होंने आगे कहा, "गांव के कुछ प्रभावशाली लोग और पंचायत के अधिकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। मैं मेहनत-मजदूरी करके अपना परिवार चलाता हूं। ऐसे में इस तरह के फर्जीवाड़े से मुझे आर्थिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। मैंने न्याय के लिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।"

ग्राम पंचायत ने अंत्योष्टि के नाम हड़पे पांच हजार रुपये

पूर्व सरपंच और सचिव ने किया गबन

बागलखेडी के वर्तमान सरपंच रामभरोष यादव ने द मूकनायक से बातचीत में पुष्टि की कि नरेश अहिरवार को पिछले कार्यकाल में सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित किया गया था। उन्होंने कहा, "यह सही है कि नरेश को मृत घोषित कर योजनाओं के फंड का गबन किया गया। इस वजह से वह अब किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।"

रामभरोष ने आगे बताया कि यह मामला उस समय का है जब सरपंच सुरेखा यादव और सचिव राजेंद्र दुबे पद पर थे। उन्होंने कहा, "यह सब उन्हीं के कार्यकाल में हुआ है। यह गंभीर अनियमितता है, और मैं चाहता हूं कि प्रशासन इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।"

द मूकनायक ने इस संबंध में नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीना (IAS) से बातचीत के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उन्हें टेक्स्ट मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उसका भी कोई जवाब समाचार लिखें जाने तक नहीं मिला।

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