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भुवनेश्वर में नैकडोर कार्यालय पर हमला: अंबेडकर-बुद्ध की तस्वीरों को पाँव तले रौंदा,FIR दर्ज

भुवनेश्वर- ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (नैकडोर) के कार्यालय पर 7 सितंबर को हुए हमले ने बहुजन समुदाय में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती के मुताबिक बजरंग दल से जुड़े 40-50 लोगों के एक समूह ने कार्यालय पर हमला कर तोड़फोड़ की, एक दलित महिला कार्यकर्ता के साथ जातिसूचक गाली-गलौज और बलात्कार का प्रयास किया, साथ ही डॉ. बी.आर. अंबेडकर, भगवान बुद्ध, बिरसा मुंडा और भारतीय संविधान की तस्वीरों को अपमानित करते हुए पैरों तले रौंदा।

शिकायतकर्ता तीकिना परीडा, पत्नी महेश्वर परीडा, निवासी मुक्तेश्वर कॉलोनी, भुवनेश्वर, ने बताया कि 7 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे, ब्रूपेश नायक, राजेश प्रुस्टी और जीतू मिश्रा और अन्य लोगों ने नैकडोर के कार्यालय पर हमला किया।

हमलावरों ने कार्यालय में तोड़फोड़ की, फर्नीचर और अन्य सामान को नष्ट किया, अभद्र भाषा का उपयोग किया, और जान से मारने की धमकी दी। शिकायत के अनुसार, जब एक दलित महिला कार्यकर्ता ने विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की गई और बलात्कार का प्रयास किया गया। हमलावरों ने कार्यालय में रखे डॉ. अंबेडकर, बुद्ध, बिरसा मुंडा और भारतीय संविधान की तस्वीरों को अपमानित किया, जिसे दलित और आदिवासी समुदाय के खिलाफ गंभीर अपराध माना जा रहा है।

लिंगराज पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR में निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:

भारतीय दंड संहिता (BNS), 2023 धारा 332(c): गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होना, धारा 296: अश्लील कृत्य और गीत, धारा 115(2): स्वेच्छा से चोट पहुँचाना, धारा 126(2): गलत तरीके से रोकना। धारा 74: महिलाओं के खिलाफ आपराधिक बल प्रयोग, धारा 75: यौन उत्पीड़न, धारा 305(a): आत्महत्या के लिए उकसाना, धारा 324(4): संपत्ति को नुकसान पहुँचाना, धारा 351(2): आपराधिक धमकी, धारा 109: अपराध में सहायता करना, धारा 3(5): सामान्य इरादे से अपराध करना।

इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1)(r): जानबूझकर SC/ST समुदाय के व्यक्ति को अपमानित करना, धारा 3(1)(s): SC/ST समुदाय के व्यक्ति को गाली देना या धमकाना, धारा 3(1)(u): SC/ST समुदाय के प्रतीकों का अपमान करना, धारा 3(2)(va): SC/ST अधिनियम के तहत अपराध के साथ अन्य अपराध भी लगाये गये हैं।

नैकडोर चेयरमैन अशोक भारती ने इस घटना को दलित और आदिवासी समुदाय के खिलाफ सुनियोजित हमला करार दिया। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा, " नैकडोर के कार्यालय पर हमले, तोड़फोड़, और महिला साथी के साथ जातिसूचक गाली-गलौज, और बलात्कार के प्रयास पर नेकडोर के प्रदेश अध्यक्ष लिटू दास द्वारा एफ आई आर दर्ज करवा दी गई है। इसके ख़िलाफ़ आगे की कार्यवाही की तैयारी चल रही है। गुंडों को छोड़ेंगे नहीं।उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (@PMOIndia) सहित कई पत्रकारों और राजनेताओं को टैग कर इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।

लिंगराज पुलिस स्टेशन ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है। नैकडोर ने ओडिशा पुलिस और राज्य सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है, जिससे समुदाय में और अधिक आक्रोश बढ़ रहा है। यह ध्यान देने योग्य है कि ओडिशा में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है, और बजरंग दल का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से होने के कारण इस मामले में राजनीतिक संवेदनशीलता भी बढ़ गई है।

इस घटना ने दलित, आदिवासी, और अन्य बहुजन समुदायों में गहरी नाराजगी पैदा की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इस हमले को SC/ST (POA) अधिनियम के तहत गंभीर अपराध मानते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर #नैकडोर ! #दलित_सुरक्षा #हिंसा_रोको और #JusticeForDalits जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिसमें लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं और सरकार से त्वरित न्याय की मांग कर रहे हैं।

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