उत्तर प्रदेश: दावत में दलित युवक के आलू छीलने से नाराज लोगों ने नहीं खाना खाया, 200 लोगों की खुराक फेंकी गई

05:21 PM Oct 18, 2023 | Satya Prakash Bharti

उत्तर प्रदेश। बरेली जिले में एक व्यक्ति द्वारा दलित (वाल्मीकि) समाज के लोगों को घर में निमंत्रण देना जी का जंजाल बन गया। जातिवादी मानसिकता में चूर उसके अपने समाज के लोगों ने सार्वजनिक रूप से कार्यक्रम आयोजक को अपमानित किया। इसके साथ ही पूरे गांव के लोगों को भी भड़का दिया। इस घटना के बाद कार्यक्रम का आयोजन करने वाले व्यक्ति के घर कोई भी खाना खाने नहीं गया। लोगों द्वारा इस प्रकार से सामाजिक बहिष्कार के कारण खाना बर्बाद हो गया। यही नहीं पूरे समाज में बदनामी का सामना करना पड़ा। इस मामले में कार्यक्रम का आयोजन करने वाले की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी में बरेली के अलीगंज क्षेत्र में बचेरा गांव निवासी सुखदेई मौर्या ने द मूकनायक को बताया, "15 अक्टूबर 2023 को मेरी नातिन का नामकरण होना था। इसके लिए मैंने गांव के लोगों को निमंत्रण दिया था। मेरे घर खाना तैयार हो गया था इसलिए मैंने खाने के लिए लोगों के घर दोबारा बुलावा भेजा।"

सुखदेई द मूकनायक को आगे बताती हैं, "निमंत्रण बांटने के दौरान गांव के ही इतवारी लाल ने हमारे घर खाने से इनकार कर दिया। इतवारी का कहना था कि मेरे घर की दावत में मैंने खाने के आलू वाल्मीकि जाति के लोगों से छिलवाये हैं। मैंने उनकी बातों को विरोध किया। मैंने उनसे कहा कि यह आरोप गलत हैं।"

"इतवारी लाल ने यह बात पूरे गांव में फैला दी। जिसके बाद हमारे घर कोई भी खाना खाने नहीं आया था। हमारे घर में लगभग 250 से 300 लोगों का खाना बना था। केवल 50 से 60 लोगों ने ही खाना खाया। बाकी खाना हमें फिंकवाना पड़ा", सुखदेई ने बताया।

क्या कहना है वाल्मीकि परिवार का?

इस मामले में आमंत्रित किये गए वाल्मीकि परिवार से द मूकनायक ने बातचीत की। वाल्मीकि परिवार के राहुल बताते हैं, "सुखदेई के घर मे उनकी नातिन के नामकरण की दावत के लिए निमंत्रण दिया गया था। मेरे साथ ही अन्य दलित परिवारों को भी निमंत्रण दिया गया था। हम सभी दावत में गए थे। इस दौरान इतवारी मौर्य ने हमारे समाज के लोगों को जातिसूचक गालियां देते हुए सुखदेई के घर खाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही इतवारी ने गांव के अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए उकसाया।"

खाने नहीं पहुंचे लोग, फिकवाना पड़ा खाना

राहुल बताते हैं, "सुखदेई मौर्य के घर कई तरह के व्यंजन बने हुए थे। लगभग 250-300 लोगों का खाना बना था। इस दौरान केवल 50 से 60 लोग ही खाने के लिए आये। इतवारी लाल के विरोध के कारण गांव के अन्य लोगों ने भी सुखदेई के घर खाना खाने से इनकार कर दिया। इसके कारण उनके घर का लगभग 250 लोगों का खाना खराब हो गया। सुबह इस खाने को फेंकवाना पड़ा।"

इस मामले में थाना प्रभारी अलीगंज ने बताया, "महिला की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।"

दलित उत्पीड़न के सरकारी आंकड़े बने जातीय उत्पीड़न का सबूत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2018 में अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध की 42,793 घटनाएं, वर्ष 2019 में 45,961 घटनाएं, वर्ष 2020 में 50,291 घटनाएं और वर्ष 2021 में 50,900 घटनाएं दर्ज की गईं। देश में वर्ष 2018 से 2021 के दौरान अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध की 1,89,945 घटनाएं दर्ज की गई हैं। लोकसभा में सरकार द्वारा रखे गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खिलाफ वर्ष 2020 में भी अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इस अवधि में इन समुदायों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के संबंध में 50,291 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (45,961 मामले) में दर्ज मामलों से 9.4 फीसदी अधिक रहा।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान एससी के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा ''मामूली रूप से चोट पहुंचाने'' का रहा और ऐसे 16,543 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत 4,273 मामले जबकि ''आपराधिक धमकी'' के 3,788 मामले सामने आए।

आंकड़ों के मुताबिक, 3,372 अन्य मामले बलात्कार के लिए, शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमले के 3,373, हत्या के 855 और हत्या के प्रयास के 1,119 मामले दर्ज किए गए। इसके मुताबिक, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 8,272 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (7,570 मामले) की तुलना में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा ''मामूली रूप से चोट पहुंचाने'' का रहा और ऐसे 2,247 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद बलात्कार के 1,137 मामलों के अलावा महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 885 मामले सामने आए।

राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में एससी समुदाय के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक 12,714 मामले उत्तर प्रदेश से और इसके बाद बिहार से 7,368 मामले जबकि राजस्थान से 7,017 तथा मध्य प्रदेश से 6,899 मामले सामने आए। वहीं, वर्ष 2020 में एसटी समुदाय के खिलाफ सबसे अधिक अपराध के 2,401 मामले मध्य प्रदेश में जबकि 1,878 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए।