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MP: भिंड में पत्रकारों की पिटाई का मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट, 'नाम क्या है?' पुलिस ने पूछकर दलित पत्रकार को चप्पलों से पीटा था!

भोपाल। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पिछले दिनों पत्रकारिता और लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर घटना सामने आई थी। रेत माफिया के खिलाफ खबरें लिखने वाले दो पत्रकारों की पुलिस अधिकारियों द्वारा बर्बर पिटाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है। पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि यह हमला एसपी ऑफिस के भीतर हुआ और उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

सोमवार को पीड़ित पत्रकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से यह सवाल किया कि उन्होंने पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?

पत्रकारों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि दोनों पत्रकारों को जान का खतरा है और वे झूठे मामलों में फँसाए जा सकते हैं। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।

दलित पत्रकार को जातिसूचक गालियाँ, चप्पलों से पीटा

पीड़ित पत्रकार शशिकांत गोयल ने बताया कि उन्हें 1 मई को एसपी डॉ. असित यादव के कार्यालय बुलाया गया था। वहां पहुंचते ही एसआई गिरीश शर्मा और सत्यबीर सिंह ने उनका नाम पूछा। जब उन्होंने अपना नाम "शशिकांत गोयल जाटव" बताया, तो दोनों पुलिसकर्मियों ने गाल पर चप्पलों से मारना शुरू कर दिया।

"मैंने पूछा कि क्यों मार रहे हो, मेरी गलती क्या है? तो जवाब मिला – तू बहुत लिखने लगा है पुलिस के खिलाफ।" — शशिकांत ने कहा

शशिकांत ने बताया कि उन्हें जबरन "जी सर" कहने को कहा गया। जब उन्होंने सवाल किया कि "सर जी" और "जी सर" में क्या फर्क है, तो उन्हें फिर पीटा गया और जातिसूचक गालियाँ दी गईं। पूरी घटना एसपी असित यादव की मौजूदगी में हुई।

आठ पत्रकारों को बनाया गया निशाना

मामले से जुड़ी जानकारी के अनुसार, करीब आठ पत्रकारों को पुलिसकर्मियों ने एसपी ऑफिस में बुलाकर पीटा था। इन सभी का 'अपराध' सिर्फ इतना था कि वे जिले में सक्रिय रेत माफिया और पुलिस की मिलीभगत पर लगातार रिपोर्टिंग कर रहे थे।

दूसरे पीड़ित पत्रकार अमरकांत चौहान ने भी पुलिसकर्मियों की बर्बरता की पुष्टि की है। दोनों पत्रकारों ने कहा कि अब वे अपनी जान बचाने के लिए दिल्ली भागकर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे हैं।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने की निंदा

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित पत्रकार बेहद सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैं और अब उन्हें न्याय की आस सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से है।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा– "क्या हमें देशभर के अग्रिम जमानत के मामलों पर सिर्फ इसलिए विचार करना चाहिए क्योंकि इसमें एक पत्रकार शामिल है?"

वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह मामला एक आम अग्रिम जमानत याचिका से कहीं ज्यादा गंभीर है। इसमें राज्य की मशीनरी द्वारा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने की कोशिश की जा रही है।

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