तमिलनाडु के 'इरुला' परिवारों के लिए CSR फंडिंग से बनेंगे घर — द मूकनायक की खबर के बाद निर्माण कार्य हुआ शुरू, गरीब परिवारों को नहीं देना होगा अंशदान

02:14 PM Mar 06, 2025 | Geetha Sunil Pillai

श्रीपेरंबुदुर- तमिलनाडु  के कांचीपुरम जिले में श्रीपेरंबुदुर तालुका के विभिन्न इलाकों में वर्षों से कच्ची झोपड़ियों में दयनीय दशा में जीवन बिता रहे 77 इरुला आदिवासी परिवारों का अपने सिर पर छत पाने का सपना साकार होने वाला है।

इन परिवारों को जिला प्रशासन द्वारा साल 2021 और 2022 में सरकारी योजनाओं के तहत पट्टे दिए गए थे लेकिन करीब 1000 दिन गुजरने के बाद भी इनके आवास निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ था।

कलैग्नारिन कनावू इल्लम योजना के तहत लाभार्थियों को प्रति घर 2.12 लाख रुपये का योगदान देना था, जो आर्थिक रूप से कमजोर इरुला परिवारों के लिए असंभव था। लेकिन अब पूरी फंडिंग कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के जरिए की जाएगी, जिससे इरुला परिवारों को अब कोई वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

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द मूकनायक की सिलसिलेवार रिपोर्ट्स के बाद जिला प्रशासन ने CSR के जरिए इरुला परिवारों के आवास निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है जो मई माह तक पूर्ण होने की उम्मीद है।

वतर्मान में ईरुला बस्तियों में ना पीने के पानी की व्यवस्था है, ना बिजली या सडक है.

इरुला, तमिलनाडु में रहने वाला एक अनुसूचित जनजाति समुदाय है, जिसे भारत के 75 विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTG) में शामिल किया गया है।

श्रीपेरंबुदुर तालुका के विभिन्न इलाकों में बसे इन परिवारों को आवास, पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए लंबे समय से उपेक्षा का सामना करना पड़ा है।

साल 2021 और 2022 में, श्रीपेरंबुदुर के 77 इरुला परिवारों को सरकारी योजनाओं के तहत पट्टे दिए गए, जिससे उन्हें एक बेहतर भविष्य की उम्मीद जगी।

छोटी झोपड़ियों में सोने की जगह नहीं होने से बच्चे खुले आसमान के नीचे सोते हैं. बरसात के दिनों में जहरीले जीव जंतुओं से खतरा बना रहता है.

द मूकनायक ने उजागर की ईरुला समुदाय की पीड़ा

19 फरवरी 2025 को, द मूकनायक- इंग्लिश ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था – "क्या एक घर मांगना बहुत ज्यादा है? – तमिलनाडु के सिल्क जिले में इरुला आदिवासी परिवारों की छत के लिए लड़ाई।" इस रिपोर्ट में इरुला परिवारों की दयनीय स्थिति को उजागर किया गया, जो अस्थायी झोपड़ियों में रह रहे थे और उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं।

द मूकनायक की रिपोर्ट ने जनता में रोष पैदा किया, जिससे राज्य सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया। यह रिपोर्ट कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और सरकारी अधिकारियों तक पहुंची, जिन्होंने इस मुद्दे को आगे बढ़ाया। नीलम सांस्कृतिक केंद्र के एस. वेंकटेशन ने मौके का दौरा किया, परिवारों से बात करने के बाद ARAN स्वयंसेवी संगठन के साथ मिलकर इस परियोजना में हो रही देरी और सरकारी उदासीनता पर डोक्युमेंट्री बनाने की बात कही।

बढ़ते हुए दबाव के बीच 5 मार्च 2025 को श्रीपेरंबुदुर ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिस में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक की अगुवाई जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरती ने की। इसमें समुदाय के लोग, श्रीपेरंबुदुर इरुलर पीपल वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष कविता थंधोनी और ARAN के प्रतिनिधि हरिकुमार शामिल हुए।

ईरुला बस्तियों में रहने वाले पुरुष निर्माण कार्यों में मजदूरी करते हैं. मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति प्रभावित होती है.

5 मार्च की बैठक में प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि पूरी फंडिंग कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के जरिए की जाएगी, ताकि परिवारों को कोई वित्तीय बोझ न उठाना पड़े।

बैठक में प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरती ने ईरुला परिवारों को आश्वासन दिया कि निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है और मई 2025 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।

ज्ञातव्य है कि शिवांथगल, श्रीपेरंबुदुर चिन्ना येरिक्कराई, और श्रीपेरंबुदुर पेरिया येरिक्कराई में रहने वाले 51 इरुला आदिवासी परिवारों को 16 नवंबर, 2021 को कट्रमबक्कम गांव में पट्टे दिए गए थे। इसी तरह, चेल्लापेरुमल नगर के 26 इरुला परिवारों को 4 अप्रैल, 2022 को मन्नूर गांव में पट्टे मिले थे। वर्तमान में केवल 3 घर बनकर तैयार हैं, जबकि 19 अधूरे हैं और बाकी 55 परिवारों के लिए निर्माण शुरू भी नहीं हुआ था।

तमिलनाडु सरकार ने कलैग्नारिन कनावू इल्लम योजना के तहत आवास के लिए पट्टे आवंटित किए थे, जिसमें एक घर की लागत 5.62 लाख रुपये थी। इसमें से 3.50 लाख रुपये राज्य का हिस्सा था, जबकि लाभार्थियों को 2.12 लाख रुपये प्रति घर का योगदान देना था।

यह वित्तीय बोझ आर्थिक रूप से कमजोर इरुला परिवारों के लिए असहनीय था। मूकनायक रिपोर्ट्स और लगातार पैरवी के बाद 5 मार्च की बैठक में प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि पूरी फंडिंग कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के जरिए की जाएगी, ताकि परिवारों को कोई वित्तीय बोझ न उठाना पड़े।

परिवारों को उम्मीद है कि इस साल उनके पास अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक घर होगा।

समुदाय ने जताई खुशी, लेकिन रहेंगे सतर्क

यह सफलता इरुला परिवारों के लिए एक बड़ी जीत है, जिन्होंने सालों तक कठिनाइयों और अनिश्चितता का सामना किया। ARAN के स्वयंसेवक सूर्यमोहन के. ने द मूकनायक को इस मुद्दे को नई ऊर्जा देकर परिणाम तक पहुँचाने का श्रेय दिया: "यह परियोजना महीनों से अटकी हुई थी। द मूकनायक की रिपोर्ट के बाद ही वास्तविक प्रगति हुई। यह इरुला परिवारों के लिए एक बड़ी जीत है।"

हालांकि, समुदाय अभी भी सतर्क है। मई 2025 तक निर्माण पूरा करने का आश्वासन एक सकारात्मक कदम है, लेकिन वे जिला प्रशासन से स्पष्ट समयसीमा और निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। परिवारों को उम्मीद है कि इस साल उनके पास अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक घर होगा।

जब तक कि हर इरुला परिवार को उनका घर नहीं मिल जाता, द मूकनायक इस आवास परियोजना की प्रगति पर नजर रखने और अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह संघर्ष पत्रकारिता की सामाजिक बदलाव लाने और वंचितों की आवाज़ उठाने की ताकत को दिखाती है।