भील प्रदेश नक्शा रार: बांसवाड़ा सांसद ने भाजपा के पूर्व मंत्री को कहा- अलग राज्य मांगने को 'प्रदेशद्रोह' कहना वाजपेयी जी का भी अपमान

02:53 PM Jul 17, 2025 | Geetha Sunil Pillai

जयपुर- राजस्थान के बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजकुमार रोत द्वारा प्रस्तावित "भील प्रदेश" के नक्शे ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ द्वारा इसे "प्रदेशद्रोह" और राजस्थान की एकता के लिए खतरा बताए जाने के बाद, रोत ने तीखा पलटवार किया है। इस विवाद ने आदिवासी पहचान, सांस्कृतिक संरक्षण और नए राज्य के गठन के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

राजेंद्र राठौड़ की टिप्पणी और रोत का जवाब

बीजेपी के पूर्व मंत्री और चूरू के पूर्व विधायक राजेंद्र राठौड़ ने 16 जुलाई को सांसद राजकुमार रोत के भील प्रदेश नक्शे को "शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट" करार देते हुए इसे राजस्थान की एकता पर हमला बताया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजकुमार रोत द्वारा जारी किया गया तथाकथित "भील प्रदेश" का नक्शा एक शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट है। यह न केवल गौरवशाली राजस्थान की एकता पर चोट है बल्कि आदिवासी समाज के नाम पर भ्रम फैलाने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश भी है।”

राठौड़ ने चेतावनी दी कि आज अगर कोई भील प्रदेश की बात करेगा, कल कोई मरू प्रदेश की मांग करेगा तो क्या हम अपने शानदार इतिहास, विरासत और गौरव को ऐसे ही टुकड़ों में बाँट देंगे? सांसद रोत द्वारा जारी नक्शा आदिवासी समाज में जहर बोने की साजिश है जो प्रदेशद्रोह की श्रेणी में आता है और इसे जनमानस कभी स्वीकार नहीं करेगा। इस तरह की मांगें राजस्थान की समृद्ध विरासत को टुकड़ों में बांट सकती हैं।

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इसके जवाब में, राजकुमार रोत ने 17 जुलाई को एक्स पर तीखा पलटवार किया। रोत ने राठौड़ द्वारा "प्रदेशद्रोह" जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कहा, “आप राजस्थान विधानसभा के सात बार सदस्य और नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। आप संसदीय कार्यप्रणाली के ज्ञाता हैं, जिसे मैंने मेरे 15वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान अनुभव किया है। सदन की कार्यवाही के दौरान आप तुरंत एक पुस्तक लेकर खड़े होते थे और विधानसभा प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों का हवाला देते थे। ऐसे विद्वान राजनेता से मुझे भील प्रदेश की मांग के संबंध में इस प्रकार के बयान की कतई अपेक्षा नही थी।

आप द्वारा इस्तेमाल किए गए 'प्रदेशद्रोह' सहित विभिन्न असंसदीय शब्दों पर मुझे घोर आपत्ति है। आपने इन शब्दों का प्रयोग कर हमारे देश के कई महान नेताओं के साथ झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी अपमान किया है। आपने वर्तमान राजस्व मंत्री के पिताश्री एवं आपके साथी कैबिनेट मंत्री रहे आदरणीय नंदलाल मीणा जी का भी अपमान किया है, जिन्होंने भील प्रदेश निर्माण की मांग का पुरजोर समर्थन किया था।

रोत ने अपने पोस्ट में भील प्रदेश की मांग को ऐतिहासिक और संवैधानिक आधार पर उचित ठहराया। उन्होंने कहा, “हमारे पुरखों ने गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में अलग भील राज्य की स्थापना का स्वप्न देखा था, जो लोकतांत्रिक तरीके से अवश्य साकार होगा।” उन्होंने 1913 के मानगढ़ नरसंहार का जिक्र किया, जिसमें गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1,500 से अधिक आदिवासी शहीद हुए थे। रोत ने तर्क दिया कि भारत के संविधान में नए राज्यों के गठन और पुनर्गठन के स्पष्ट प्रावधान हैं, और भील प्रदेश भाषाई-सांस्कृतिक एकरूपता, संसाधनों के असमान वितरण और आर्थिक विकास की जरूरत जैसे मापदंडों को पूरा करता है।

रोत ने राठौड़ से आग्रह किया कि वे “तथ्यहीन, अतार्किक और भ्रामक बयान” देने के बजाय देश के संविधान में नवीन राज्यों के निर्माण एवं पुनर्गठन से संबंधित प्रावधानों तथा स्वतंत्र भारत में नए राज्यों के गठन के इतिहास का अध्ययन करें और उसके पश्चात भील प्रदेश निर्माण के संबंध में अपना तथ्यात्मक एवं तार्किक पक्ष रखें।”

रोत के नक्शे और राठौड़ की टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तीव्र बहस छेड़ दी है। #हमारी_मांग_भीलप्रदेश जैसे हैशटैग समर्थकों के बीच ट्रेंड कर रहे हैं, जो इसे आदिवासी पहचान और स्वाभिमान का मुद्दा बता रहे हैं। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र मीणा ने भी राठौड़ की टिप्पणियों का विरोध किया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “भीलप्रदेश सिर्फ़ जमीन का टुकड़ा ही नहीं हैं बल्कि डेढ़ करोड़ भीलों के अस्तित्व और स्वाभिमान का मामला हैं।” वहीं, राठौड़ के समर्थकों ने इसे राजस्थान की एकता के लिए खतरा बताया और ऐसी मांगों को खारिज करने की अपील की।