MP: जनजातीय सम्मेलन में कोरकू समाज ने वन संरक्षण का लिया संकल्प, वन विभाग ने दी योजनाओं की जानकारी

01:04 PM Jun 16, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के खकनार स्थित साई बाबा परिसर में वन विभाग द्वारा एक दिवसीय कोरकू जनजातीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य कोरकू समाज को वन संरक्षण, लघु वनोपज और विभागीय योजनाओं के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम में बुरहानपुर के डीएफओ विद्याभूषण सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कोरकू समाज की परंपरागत जीवनशैली और वन संरक्षण में उनकी भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि कोरकू समाज हमेशा से वनों और वन्यप्राणियों का संरक्षण करता आया है। उन्होंने कहा कि कोरकू समुदाय ने कभी भी जंगलों का शोषण नहीं किया, बल्कि इसके साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जिया है।

डीएफओ ने अपने संबोधन में कहा कि आज वनों को सबसे अधिक खतरा बाहरी लोगों द्वारा किए जा रहे अवैध अतिक्रमण और अंधाधुंध कटाई से है। इस कारण न केवल वन क्षेत्र घट रहा है, बल्कि वन्यजीवों का आवास भी संकट में है। उन्होंने कोरकू समाज से आह्वान किया कि वे वन विभाग के साथ मिलकर वनों की सुरक्षा में सहयोग करें और बाहरी अतिक्रमणकारियों को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

जलवायु संतुलन के बारे में दी जानकारी

सम्मेलन के दौरान उप वन मंडल अधिकारी अजय सागर, नेपानगर के अधिकारी, विभिन्न वन रेंज के रेंजर और 100 से अधिक वनकर्मी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने कोरकू समाज को वनों से मिलने वाले लाभ जैसे लघु वनोपज, औषधीय पौधों, जलवायु संतुलन आदि के बारे में बताया। साथ ही, लघु वनोपज संग्रहण, वनाधिकार अधिनियम, और वनवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।

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सम्मेलन में उपस्थित 500 से अधिक कोरकू समुदाय के लोगों ने वन संरक्षण की दिशा में एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लिया। उन्होंने अवैध कटाई और अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने और वन विभाग का हरसंभव सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई। कोरकू प्रतिनिधियों ने कहा कि बाहरी लोगों द्वारा जंगलों पर कब्जा कर वहां की जैव विविधता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जिसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कार्यक्रम का समापन सामूहिक संकल्प और पारंपरिक गीतों के साथ हुआ, जिसमें कोरकू समाज ने प्रकृति के साथ अपने रिश्ते को एक बार फिर दोहराया। वन विभाग ने आश्वासन दिया कि समुदाय के साथ मिलकर वनों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

डीएफओ विद्याभूषण सिंह ने बताया, बुरहानपुर के डीएफओ विद्याभूषण सिंह ने कहा कि कोरकू समाज की जीवनशैली वन संरक्षण की मिसाल है। यह समाज पीढ़ियों से जंगलों और वन्यप्राणियों की रक्षा करता आया है। कोरकू लोगों ने कभी जंगलों का अत्यधिक दोहन नहीं किया, बल्कि हमेशा प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जिया है। वर्तमान समय में बाहरी अतिक्रमणकारी वनों के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि वन्यजीवों का अस्तित्व भी संकट में है।

डीएफओ सिंह ने कहा कि वन विभाग कोरकू समाज के सहयोग से जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। उन्होंने अपील की कि कोरकू समुदाय अपने परंपरागत ज्ञान और अनुभव से जंगलों की रक्षा में विभाग की मदद करें। विभाग की ओर से चलाई जा रहीं योजनाएं जैसे लघु वनोपज संग्रहण, आजीविका संवर्धन और वन अधिकार कानून की जानकारी समाज तक पहुंचाई जाएगी, ताकि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाया जा सके।