भोपाल। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां जाति पूछकर कांग्रेस नेता और अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य प्रदीप अहिरवार पर जानलेवा हमला किया गया। यह घटना रविवार देर रात करीब 11:30 बजे की है, जब प्रदीप अहिरवार गंजबासौदा से भोपाल की ओर लौट रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सैकड़ों की संख्या में अज्ञात हमलावरों ने उनकी स्कॉर्पियो गाड़ी को रोक लिया, और पहले उनका नाम पूछा, फिर जाति जानने के बाद तलवारों से हमला कर दिया। प्रदीप अहिरवार ने समझदारी दिखाते हुए किसी तरह गाड़ी को मौके से निकालकर पुलिस को सूचना दी, और रात में ही गंजबासौदा थाने पहुंचकर एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि इस घटना में उन्हें कोई चोट नहीं आई है।
“नाम और जाति जानकर किया गया हमला”
द मूकनायक से बातचीत में प्रदीप अहिरवार ने कहा, “हमलावरों ने पहले मेरा नाम पूछा। जब मैंने नाम बताया और उन्हें मेरी जाति (दलित) के बारे में पता चला, तो वह लोग तुरंत तलवार से हमला करने लगे।”
उन्होंने आगे कहा, “प्रदेश में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के राज में आम आदमी सुरक्षित नहीं है। यह सीधा जातिगत हमला है। आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।”
“गुटों में झगड़ा था, लेकिन हमला प्रदीप अहिरवार पर हुआ”
विदिशा पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी ने द मूकनायक को बताया, - “यह दो गुटों के बीच का झगड़ा था। प्रदीप अहिरवार टारगेट नहीं थे, लेकिन उनकी गाड़ी को निशाना बनाया गया। रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है। आरोपियों की पहचान के प्रयास हो रहे हैं।”
हालांकि प्रदीप अहिरवार के आरोप इससे इतर हैं। उनका कहना है कि यह कोई सामान्य गुटीय झगड़ा नहीं बल्कि सोची-समझी जातिगत हिंसा है।
इस मामले में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), और धारा 147, 148, 149 (दंगा और घातक हथियारों के साथ हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस घटना के बाद कांग्रेस के नेताओं और दलित संगठनों में भारी आक्रोश है। SC कांग्रेस ने इस हमले को सत्ता संरक्षित जातिवाद करार दिया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि राहुल ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, “यदि एक दलित नेता पर इस तरह से हमला हो सकता है, तो आम दलितों की सुरक्षा की क्या गारंटी है?”
उन्होंने आगे कहा, यह घटना मध्य प्रदेश में जातिगत हिंसा की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। यह न केवल एक राजनेता पर हमला है, बल्कि दलित समुदाय की सामाजिक सुरक्षा और राज्य की कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल है। हम इस घटना की कड़ी निंदा करते है।