+

AI कोर्स में आरक्षण नीति के उल्लंघन पर विवादों में घिरी IIT Mandi— अंबेडकरवादियों के विरोध के बाद 'प्रमोटर' से तोड़ा नाता?

मंडी- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी एक बड़े विवाद में घिरी हुई है, जहां उस पर सरकारी आरक्षण नियमों को तोड़ने का आरोप लग रहा है। यह विवाद संस्थान के 'माइनर इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा साइंस' कोर्स को लेकर है, जो सेंटर फॉर कंटिन्यूइंग एजुकेशन (CCE) के जरिए संचालित किया जाना है।

आरोप है कि आईआईटी मंडी ने एक कंटेंट मार्केटिंग उद्यमी और TEDx स्पीकर अनुराधा तिवारी के साथ मिलकर इस कोर्स को 'मेरिट-आधारित' बताकर प्रचार किया, जिसमें आरक्षण नहीं था। लेकिन जब अंबेडकरवादी समूहों ने इसका विरोध किया, तो संस्थान ने खुद को प्रमोटर तिवारी से अलग कर उनके आरक्षण को लेकर किये दावे से कोई सरोकार नहीं होना बताया।

इस मामले ने आरक्षण नीतियों, संस्थानों की पारदर्शिता और कौशल-आधारित शिक्षा में सकारात्मक कार्यवाही (affirmative action) की भूमिका पर गहरी बहस छेड़ दी है।

आईआईटी मंडी के वेबसाइट पर कोर्स को लेकर दी जानकारी

ये है विवादित कोर्स

आईआईटी मंडी के सेंटर फॉर कंटिन्यूइंग एजुकेशन (CCE) ने मसाई स्कूल और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NSDC) के साथ मिलकर "माइनर इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा साइंस" नामक एक 9-महीने का कोर्स शुरू किया है। यह 15 क्रेडिट का प्रोग्राम है, जिसे प्रोग्रामिंग और गणित की बेसिक जानकारी रखने वाले छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इस कोर्स का मकसद छात्रों को AI, मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क्स और बिग डेटा एनालिटिक्स में बेसिक से एडवांस्ड स्किल्स सिखाना है। कोर्स की शुरुआत 25 जून, 2025 से है जिसमे हर बैच में 250 सीटें (अभी 164 सीटें खाली हैं)। एडमिशन प्रक्रिया के तहत आवेदक को क्वालीफायर टेस्ट पास करना ज़रूरी है। आवेदन शुल्क ₹99 है, जो रिफंडेबल है (अगर छात्र क्वालीफाई नहीं करता या काउंसलिंग के बाद एडमिशन नहीं लेता)।  आईआईटी के प्रोफेसर्स द्वारा कोर्स पढ़ाया जाएगा, साथ ही हैंड्स-ऑन प्रोजेक्ट्स भी दिए जाते हैं।  इस कोर्स को पूरा करने वाले छात्र हाई-डिमांड टेक करियर के लिए तैयार हो जाते हैं।

अनुराधा तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर किये पोस्ट में दावा किया कि आईआईटी मंडी ने  "माइनर इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा साइंस" कोर्स के लिए उन्हें अप्रोच किया और इस कोर्स को प्रमोट करने के लिए साथ काम करने का प्रस्ताव दिया था। तिवारी ने इस पर सहमति दी और करीब 15 दिन पहले कोर्स को लेकर पोस्ट किया जिसमे लिखा था:

"फर्स्ट स्किल-बेस्ड इनिशिएटिव अपडेट
आईआईटी मंडी ने हमसे संपर्क किया था ताकि हम उनके डेटा साइंस और एआई कोर्स को प्रमोट कर सकें, जो मेरिट-आधारित स्कॉलरशिप पर आधारित है और इसमें कोई आरक्षण नहीं है।
अधिक जानकारी: bit.ly/aiWithIIT
टेस्ट फीस: ₹99 (रिफंडेबल)
अगले महीने से, हम 1-2 गरीब जनरल कैटेगरी (GC) के छात्रों को पूरी तरह स्पॉन्सर करेंगे।
बदले में उन छात्रों को 10 अन्य GC छात्रों को मुफ्त में पढ़ाना होगा।
जल्द ही हमारी वेबसाइट लॉन्च होगी, जहाँ ऐसे और प्रोग्राम्स और इंटर्नशिप के अपडेट्स आएँगे।"

तिवारी ने कहा उनका संगठन केवल GC (जनरल कैटेगरी) के गरीब छात्रों को स्पॉन्सर करेगा और उन्हें दूसरे GC छात्रों को मुफ्त में पढ़ाना होगा। इससे "सेल्फ-रिलायंट ओपन कैटेगरी कम्युनिटी" को बढ़ावा मिलेगा।

अंबेडकरवादी समूहों ने अनुराधा तिवारी के पोस्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसमें आईआईटी मंडी के इस कोर्स में आरक्षण नीतियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने संस्थान के आधिकारिक हैंडल को टैग करते हुए ईमेल भेजकर स्पष्टीकरण मांगा और सरकारी आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

अंबेडकरवादियों का तर्क था कि स्किल-बेस्ड कोर्स सहित सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में आरक्षण लागू होना चाहिए, जैसा कि आईआईटी जैसे केंद्रीय संस्थानों में एससी के लिए 15%, एसटी के लिए 7.5%, ओबीसी के लिए 27% और ईडब्ल्यूएस के लिए 10% सीटें आरक्षित होती हैं। उन्होंने कोर्स विवरण में आरक्षण खंड के अभाव को हाशिए के समुदायों को जानबूझकर बाहर करने की साजिश बताया, जो डॉ. अंबेडकर द्वारा प्रतिपादित सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

इस विवाद के बाद, अनुराधा तिवारी ने दावा किया कि 15 जून को आईआईटी मंडी ने उनसे संपर्क करके अपना पोस्ट हटाने को कहा। उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दिया, लेकिन उसी दिन आईआईटी मंडी ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए X (ट्विटर) पर लिखा:

"आईआईटी मंडी का अनुराधा तिवारी से कोई संबंध नहीं है और न ही हम उनके आरक्षण संबंधी दावों का समर्थन करते हैं। संस्थान सरकारी आरक्षण नीतियों का पूरी तरह से पालन करता है। गलत या भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।"

इस बयान में संस्थान ने तिवारी के साथ किसी भी संबध से इनकार कर दिया और उनके इस दावे को खारिज किया कि कोर्स में आरक्षण नहीं था। साथ ही गलत जानकारी फैलाने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी दी, जिससे साफ जाहिर था कि वे तिवारी के दावों को लक्षित कर रहे थे।

अनुराधा तिवारी ने आईआईटी मंडी के इस बयान को "दबाव में लिया गया फैसला" बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि संस्थान ने ही उन्हें मेरिट-आधारित कोर्स और 'नो रिजर्वेशन' वाली लाइन को प्रमोट करने के लिए कहा था। उनका कहना था कि अंबेडकरवादी विरोध के डर से आईआईटी मंडी ने अपने ही कोर्स के नियमों से मुकर गया।

तिवारी ने अपने पक्ष में चैट प्रूफ पब्लिक किये हैं, जिसमे कथित रूप से आईआईटी मंडी के किसी स्टाफ ने उन्हें कोर्स को "मेरिट-ओनली" बताने के लिए कहा था।

आईआईटी मंडी ने अपने बयान में कहा है कि वे हमेशा से आरक्षण नियमों का पालन करते आए हैं और तिवारी से कोई संबंध नहीं है।

Trending :
facebook twitter