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मध्य प्रदेश में खाद संकट: खेत छोड़ यूरिया के गोदामों के बाहर लाइन में खड़े किसान! कांग्रेस ने सरकार को घेरा, प्रदर्शन शुरू

भोपाल। मध्य प्रदेश में खरीफ फसलों की बोवनी पूरी हो चुकी है और अब किसानों को सबसे अधिक आवश्यकता यूरिया खाद की है। प्रदेश भर में खाद की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कई जिलों में इसकी कमी साफ दिखाई दे रही है। किसान सुबह से ही सहकारी समितियों और खाद केंद्रों पर लाइनें लगाकर खड़े हो रहे हैं। कई जगहों पर झगड़े की स्थिति भी बन रही है। दूसरी ओर सरकार का दावा है कि राज्य में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता है और जल्द ही बाकी आवंटन भी मिल जाएगा।

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अब तक कम यूरिया किसानों तक पहुंचा है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अब तक लगभग 13.87 लाख टन यूरिया का वितरण हो चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 2 हजार टन कम है। किसानों का कहना है कि मांग के अनुरूप खाद नहीं मिल रही, जिसके कारण बोवनी और फसलों की बढ़वार पर असर पड़ रहा है।

सरकार का दावा,- 'खाद की किल्लत नहीं'

प्रदेश में इस बार खरीफ फसलों की बोवनी लगभग 140 लाख हेक्टेयर में की गई है। इसमें पांच लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती बढ़ी है और आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा भी बढ़ी है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से अधिक यूरिया की मांग की थी। केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2025 के लिए प्रदेश को 17.42 लाख टन यूरिया का आवंटन किया था।

16 अगस्त तक राज्य को 11.88 लाख टन यूरिया प्राप्त हुआ था। अग्रिम भंडार को मिलाकर किसानों तक 13.87 लाख टन यूरिया पहुंचाया गया। फिलहाल समितियों के गोदामों में 1.63 लाख टन यूरिया मौजूद है, जिसे वितरित किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि आने वाले डेढ़ माह में 5.60 लाख टन यूरिया और उपलब्ध हो जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार से आवंटित यूरिया की शीघ्र आपूर्ति करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि किसानों की मांग को देखते हुए यह आवश्यक है कि निर्धारित कोटा जल्द से जल्द राज्य को मिले। इसके बावजूद कई जिलों में हालात बिगड़ रहे हैं। छिंदवाड़ा, अशोक नगर, राजगढ़ और दतिया जैसे जिलों से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि किसान गोदामों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं।

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सवाल उठाया कि जब सरकार बार-बार यह दावा कर रही है कि खाद पर्याप्त मात्रा में है, तो फिर किसान खेतों में काम करने के बजाय गोदामों के बाहर लाइनें क्यों लगा रहे हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किसानों को मांग के अनुरूप खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।

किसानों की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। दतिया जिले के किसान सुरेश केवट ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि खाद केंद्रों पर सुबह से ही लाइनें लग जाती हैं। भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि कई बार झगड़े और धक्का-मुक्की की नौबत आ जाती है। सुरेश ने कहा कि अगर खाद पर्याप्त होती तो ऐसी स्थिति ही नहीं बनती।

इसी तरह रायसेन जिले के किसान बलबीर सिंह ने बताया कि केंद्रों पर लंबी लाइनें लगती हैं, लेकिन मांग के मुताबिक खाद नहीं दी जा रही। “जिन्हें पांच बोरी चाहिए, उन्हें केवल दो बोरी ही दी जा रही है। बाकी खाद आने पर देने की बात कही जाती है,” उन्होंने कहा। बलबीर का कहना है कि इस तरह की अनिश्चितता से किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है और खेती का काम प्रभावित हो रहा है।

कुल मिलाकर प्रदेश में यूरिया की आपूर्ति और वितरण की स्थिति किसानों के लिए चिंता का कारण बन गई है। सरकार का दावा है कि जल्द ही खाद उपलब्ध हो जाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसान खेत के बजाय खाद केंद्रों के बाहर लाइन में ज्यादा समय बिता रहे हैं। इससे न केवल खेती का समय प्रभावित हो रहा है, बल्कि किसानों में आक्रोश भी बढ़ रहा है।

पिछली बार भी आई थी परेशानी

पिछली रबी फसल के दौरान भी किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ा था। उस समय कई जिलों में यूरिया और डीएपी की कमी को लेकर भारी हंगामा हुआ था। किसानों को घंटों लाइन में खड़ा रहने के बाद भी पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही थी। विपक्ष ने तब भी सरकार पर वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। हालांकि सरकार ने इसे सप्लाई में अस्थायी बाधा बताते हुए जल्द स्थिति सामान्य करने का दावा किया था, लेकिन किसानों का कहना है कि हर सीजन में खाद की समस्या खड़ी हो जाती है और इसका सीधा असर उनकी फसल और लागत पर पड़ता है।

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