भोपाल। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के चंदेरी थाना क्षेत्र के सिरसौद गांव में रविवार को वन भूमि पर कब्जे को लेकर आदिवासी और यादव समुदाय के बीच विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया। विवाद के दौरान आदिवासी महिलाओं की एक झोपड़ी में आग लगा दी गई, जिसे लेकर गांव में तनाव फैल गया। घटना में एक आदिवासी महिला घायल हो गई, वहीं दूसरे पक्ष का एक व्यक्ति कुल्हाड़ी लगने से गंभीर रूप से घायल हुआ है।
आदिवासी समुदाय की महिलाओं ने आरोप लगाया कि गांव के पूर्व सरपंच सूर्यभान यादव कई लोगों और ट्रैक्टर के साथ वन भूमि पर कब्जा करने पहुंचे। जब आदिवासियों ने उन्हें रोकने और अपनी झोपड़ी न हटाने की बात कही, तो यादव पक्ष ने उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की। महिलाओं का कहना है कि झोपड़ी में आग लगा दी गई और उन्हें घर खाली करने की धमकी दी गई।
घटना में घायल आदिवासी महिला को चंदेरी सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं दूसरी ओर, यादव पक्ष के सूर्यभान यादव के पेट में कुल्हाड़ी लगने की जानकारी सामने आई है। उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया। यादव पक्ष का आरोप है कि आदिवासी युवकों ने उन पर अचानक हमला किया जब वे बुवाई करने गए थे।
यादव पक्ष का यह भी दावा है कि आदिवासी महिलाओं ने खुद ही झोपड़ी में आग लगाई ताकि झूठे मुकदमे बनाए जा सकें। इस दावे को लेकर एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति महिलाओं से कह रहा है कि “तुम खुद आग लगा रही हो, मैं वीडियो बना रहा हूं।” हालांकि वीडियो के बाद महिलाएं झोपड़ी से हटती नजर आती हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही चंदेरी पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभाला। बाद में कलेक्टर आदित्य सिंह और एसपी विनीत कुमार जैन ने भी गांव पहुंचकर मौके का निरीक्षण किया। विवाद की गंभीरता को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है।
फरियादी अजय पुत्र पल्ला आदिवासी (23 वर्ष) की शिकायत पर यादव समुदाय के 15 नामजद एवं कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध BNS की धारा 115(2), 296, 351(2), 191(3), 326(g) व SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(R), 3(1)(S), 3(2)(v-a) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दूसरी ओर, सूर्यभान यादव की शिकायत पर आदिवासी समुदाय के 9 नामजद और 4-5 अज्ञात लोगों पर BNS की धारा 115(2), 118(1), 296, 351(2), 3(5), 191(2), 191(3) के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
फिलहाल गांव में पुलिस निगरानी में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन झोपड़ी जलाने और हिंसा की यह घटना आदिवासी समुदाय की सुरक्षा और वन भूमि अधिकारों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है।