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बिहार के लाखों वोटर होंगे लापता? ओवैसी ने SIR को बताया छुपा ‘NRC’, चुनाव आयोग पर बड़ा हमला!

हैदराबाद/पटना। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग (ECI) को पत्र लिखकर बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के आदेश पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कवायद गरीब और वंचित तबकों के बड़े हिस्से को मतदाता सूची से बाहर करने का रास्ता साफ कर सकती है।

28 जून को लिखे पत्र में ओवैसी ने कहा कि बिहार की मतदाता सूची पहले ही विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision – SSR) से गुजर चुकी है, जो शहरीकरण, पलायन, मृत्यु की सूचना न दिए जाने और विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होने जैसी समस्याओं का समाधान करता है—जिन्हें अब SIR के औचित्य के तौर पर गिनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के सभी राज्यों में SSR कराया था और वही प्रक्रिया इन समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त है।

ओवैसी ने याद दिलाया कि बिहार में पिछली बार गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था, जो 2004 के लोकसभा और 2005 के विधानसभा चुनावों से काफी पहले कराया गया था, जिससे मतदाताओं को नाम जोड़ने या हटाने के लिए कानूनी उपाय अपनाने का पर्याप्त समय मिला था।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा, "इस बार हम आयोग के SIR के आदेश पर अपनी पहली और प्रमुख आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं—चुनाव के इतने नजदीक SIR कराना राज्यभर के मतदाताओं पर प्रतिकूल असर डालेगा।"

ओवैसी ने यह भी कहा कि वर्तमान नियमों के तहत निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) और सहायक निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (AERO) को न केवल दस्तावेजों के अभाव में बल्कि किसी भी अन्य कारण से भी मतदाता की पात्रता पर संदेह करने का व्यापक अधिकार है। यहां तक कि वे किसी संदिग्ध विदेशी नागरिक के मामले को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत सक्षम प्राधिकारी को भेज सकते हैं।

उन्होंने चेतावनी दी, "ERO/AERO को दी गई यह व्यापक और अनियंत्रित शक्ति बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम काटने के दुरुपयोग का कारण बन सकती है और प्रभावित लोगों की आजीविका तक छीन सकती है।"

हैदराबाद सांसद ने चुनाव आयोग से SIR का औचित्य स्पष्ट करने और AIMIM सहित विपक्षी दलों को व्यक्तिगत सुनवाई देने की मांग की, ताकि वे अपने तर्क आयोग के सामने रख सकें।

ओवैसी पहले भी चुनाव आयोग पर बिहार में "बैकडोर से NRC लागू करने" का आरोप लगा चुके हैं।

उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था—"मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए अब हर नागरिक को न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान के प्रमाण दिखाने होंगे।"

उन्होंने कहा कि देश में जन्म पंजीकरण के सबसे अच्छे अनुमान भी केवल तीन-चौथाई जन्मों के दर्ज होने की बात कहते हैं और सरकारी दस्तावेजों में भारी गलतियां पाई जाती हैं।

बिहार के बाढ़ग्रस्त सीमांचल क्षेत्र के लोगों को देश के सबसे गरीब तबकों में गिनाते हुए उन्होंने कहा, "उनसे उनके माता-पिता के दस्तावेज मांगना एक क्रूर मजाक है।"

ओवैसी ने दावा किया, "इस कवायद का नतीजा यह होगा कि बिहार के गरीब तबके के बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर कर दिए जाएंगे।"

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