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शादी के बाद पत्नी ने उड़ाया पति की विकलांगता का मज़ाक, कोर्ट ने कहा– ये है तलाक की पक्की वजह!

कटक: ओडिशा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति की शारीरिक विकृति को लेकर पत्नी द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियाँ मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आती हैं। कोर्ट ने पुरी स्थित पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिए गए तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति बी.पी. राउत्रे और चित्तंजन दाश की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी ने बार-बार पति की शारीरिक स्थिति पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिससे मानसिक यातना हुई और इससे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत तलाक का आधार बनता है।

दोनों की शादी 1 जून 2016 को हुई थी। लेकिन जल्द ही रिश्तों में दरार आने लगी। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने उसकी शारीरिक स्थिति का मज़ाक उड़ाया, जिससे अक्सर झगड़े होते थे। उनके अनुसार, पत्नी पहली बार 15 सितंबर 2016 को घर छोड़कर चली गई, फिर 5 जनवरी 2017 को सुलह के बाद लौटी, लेकिन 25 मार्च 2018 को दोबारा अपनी मर्ज़ी से घर छोड़ दिया और फिर कभी नहीं लौटी।

वहीं, पत्नी ने इस दावे को नकारते हुए कहा कि उसे जबरन घर से निकाला गया और वह 2018 से अपने माता-पिता के साथ रह रही है। उसने यह भी तर्क दिया कि मानसिक क्रूरता के आरोप निराधार हैं और पारिवारिक अदालत ने बिना स्थायी भरण-पोषण दिए तलाक का फैसला सुनाकर गलती की।

हालांकि, हाईकोर्ट ने पति के पक्ष को विश्वसनीय मानते हुए अपने फैसले में कहा:

"पत्नी ने पति की शारीरिक विकृति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं। यह मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है और हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत तलाक को उचित ठहराता है।"

स्त्रीधन और स्थायी भरण-पोषण के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की आय से संबंधित कोई ठोस साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने पत्नी को पुरी स्थित पारिवारिक अदालत में इस मुद्दे को उठाने की स्वतंत्रता प्रदान की है।

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