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महिलाओं के लिए बुरी खबर! ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत 131वें पायदान पर गिरा, पड़ोसी देश निकले आगे

नई दिल्ली: वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम द्वारा गुरुवार को जारी ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2025 में भारत को 148 देशों में 131वां स्थान मिला है। पिछले वर्ष (2024) भारत 129वें स्थान पर था। भारत का कुल लैंगिक समानता स्कोर 64.4% रहा है, जो पिछली बार की तुलना में मामूली (+0.3 अंक) सुधार दर्शाता है, लेकिन अन्य देशों के बेहतर प्रदर्शन के चलते भारत की रैंकिंग में गिरावट आई है।

इस इंडेक्स में हर साल चार प्रमुख क्षेत्रों में लैंगिक समानता का मूल्यांकन किया जाता है — आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा की उपलब्धता, स्वास्थ्य और जीवन दर, तथा राजनीतिक सशक्तिकरण। वैश्विक स्तर पर, अब तक कोई भी देश पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त नहीं कर सका है। 2025 में कुल औसत स्कोर 68.8% रहा है।

राजनीतिक प्रतिनिधित्व में गिरावट जारी

भारत में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व में गिरावट देखी गई है। संसद में महिला सांसदों की भागीदारी 2024 में 14.7% थी जो 2025 में घटकर 13.8% रह गई। इसी तरह, महिला मंत्रियों की हिस्सेदारी भी 6.5% से घटकर 5.6% पर आ गई। यह लगातार दूसरा साल है जब इस सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई है। 2019 में भारत ने इस मामले में 30% तक का उच्चतम स्तर हासिल किया था।

आर्थिक भागीदारी में भारत निचले पांच देशों में

आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में भारत का प्रदर्शन मामूली सुधार के बावजूद चिंताजनक है। भारत का स्कोर +0.9% बढ़ा है, लेकिन वह अब भी इस सूचकांक में पांच सबसे निचले देशों में शामिल है — सूडान (31.3%), पाकिस्तान (34.7%), ईरान (34.9%), मिस्र (40.6%), और भारत (40.7%)।

रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तीन गुना कम आर्थिक संसाधनों तक पहुंच है। वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है और महिला श्रम बल भागीदारी दर पुरुषों की तुलना में आधे से भी कम है।

भारत में महिलाओं की अनुमानित आय में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है – 28.6% से बढ़कर 29.9% हो गई है, लेकिन श्रम बल भागीदारी दर 2025 में भी 45.9% पर स्थिर रही है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।

शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार

शिक्षा के क्षेत्र में भारत का स्कोर 97.1% रहा है, जो महिला साक्षरता दर और उच्च शिक्षा नामांकन में बढ़ोतरी को दर्शाता है।

वहीं स्वास्थ्य और जीवन दर में भी भारत ने सुधार किया है। लिंगानुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा में संतुलन बेहतर हुआ है। हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि जीवन प्रत्याशा में लैंगिक समानता, दोनों ही लिंगों में औसत आयु में गिरावट के कारण आई है।

आईसलैंड शीर्ष पर, पड़ोसी देशों की स्थिति

आईसलैंड लगातार 16वें वर्ष पहले स्थान पर बना हुआ है, और वह 2022 के बाद से 90% से अधिक लैंगिक अंतर को खत्म करने वाला एकमात्र देश है।

भारत की तुलना में उसके कई पड़ोसी देश बेहतर स्थिति में हैं:

  • बांग्लादेश: 24वां स्थान

  • चीन: 103

  • भूटान: 119

  • नेपाल: 125

  • श्रीलंका: 130

  • भारत: 131

  • पाकिस्तान: 148 (अंतिम स्थान)

लिंगानुपात जन्म के समय के मामले में भी भारत की स्थिति थोड़ी और बिगड़ी है। 2006 से 2025 के बीच इसमें -0.01 की गिरावट देखी गई, जो फिलीपींस (-0.02) के बाद सबसे अधिक है।

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