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MP: डबरा में दलित युवक से सामूहिक दुष्कर्म, वीडियो बनाकर दी जाती रही धमकी — दो आरोपी गिरफ्तार, एक फरार

भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के डबरा में एक दलित युवक के साथ सामूहिक दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित युवक ने बताया कि तीन लोगों ने मिलकर उसके साथ न केवल अप्राकृतिक कृत्य किया, बल्कि इसका वीडियो भी बनाया और उसे वायरल करने की धमकी देकर लगातार मानसिक और शारीरिक शोषण करते रहे। गुरुवार को डबरा सिटी पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी अब भी फरार है।

क्या है पूरा मामला?

पीड़ित युवक के अनुसार, यह घटना 10 अगस्त 2022 की है। मोहल्ले में रहने वाले कल्लू जहीर उर्फ कल्लू रप्पन, आशिक खान और अस्पाक खान ने उसे बहाने से बुलाकर कल्लू रप्पन के घर ले गए। वहां तीनों ने बेल्ट से पीटा और फिर उसके कपड़े उतरवाकर अप्राकृतिक कृत्य किया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने इस अमानवीय घटना का वीडियो भी बना लिया।

इसके बाद आरोपियों ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पीड़ित को लगातार डराया और उसका शोषण करते रहे। इस डर के कारण युवक ने लंबे समय तक किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन हाल ही में उसने अपने पड़ोसी विक्की बादशाह को पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद दोनों थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई।

दो आरोपी गिरफ्तार, एक की तलाश जारी

सिटी थाना प्रभारी यशवंत गोयल ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कल्लू रप्पन और आशिक खान को गिरफ्तार कर लिया है। तीसरा आरोपी अस्पाक खान फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं।

थाना प्रभारी ने कहा, "तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। पीड़ित द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो फुटेज को जब्त कर जांच में शामिल किया गया है।"

घटना के सामने आने के बाद स्थानीय दलित समाज में आक्रोश है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पीड़ित को सुरक्षा देने और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

सजा का प्रावधान

इस मामले में पुलिस ने आरोपियों पर अप्राकृतिक यौन कृत्य से संबंधित धारा में मामला दर्ज किया है। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास या दस वर्ष तक का कठोर कारावास तथा जुर्माने की सजा हो सकती है। यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है, जिसमें पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है। चूंकि मामला दलित युवक से जुड़ा है, ऐसे में अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गई है, जो सजा को और भी कठोर बना सकती हैं।

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