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वाराणसी में रेप मामला: 19 साल की युवती से 23 लोगों ने किया गैंगरेप! आरोपों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता – SIT रिपोर्ट

वाराणसी: 19 वर्षीय युवती द्वारा 29 मार्च से 4 अप्रैल के बीच 23 लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किए जाने के आरोपों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए SIT ने कहा कि पीड़िता के बयान को महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, “उसकी गुमशुदगी के दौरान कई आरोपियों की मौजूदगी अलग-अलग स्थानों और समय पर उसके साथ पाई गई। ऐसे गंभीर मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जाए। इसी संदर्भ में, उसके बयान और जांच के दौरान मिले तथ्यों के आधार पर आरोपियों द्वारा अपराध किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने 17 अप्रैल को SIT का गठन किया था। यह कदम आरोपियों के परिजनों, विशेष रूप से महिलाओं द्वारा दिए गए ज्ञापन के बाद उठाया गया। SIT को 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया था और इस दौरान आगे कोई गिरफ्तारी नहीं की गई।

रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद पुलिस आयुक्त ने कहा, “जांच के दौरान दर्ज बयान, मेडिकल रिपोर्ट, CCTV फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स, IP लॉग्स और अन्य साक्ष्यों के आधार पर SIT ने निष्कर्ष निकाला कि घटना के घटित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि SIT की रिपोर्ट में बताए गए सभी बिंदुओं को अपनी जांच में शामिल कर निष्पक्ष और शीघ्र जांच पूरी करें।”

पूरा मामला

4 अप्रैल को पीड़िता की मां ने ललपुर पांडेयपुर थाने में शिकायत दी थी कि उनकी बेटी 29 मार्च को घर से निकली थी और वापस नहीं लौटी। पुलिस ने उसकी तलाश कर उसे एक दोस्त के घर से बरामद किया। पहले उसने घर लौटने से इनकार किया, लेकिन समझाने-बुझाने के बाद उसे परिवार को सौंप दिया गया।

6 अप्रैल की रात को उसकी मां ने एक और शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि घर लौटने पर बेटी ने बताया कि उसकी गुमशुदगी के दौरान अलग-अलग स्थानों पर कई लोगों ने उसके साथ गलत काम किया।

FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया – 8 अप्रैल को 9 नामजद आरोपियों को, 11 अप्रैल को 3 को और 15 अप्रैल को 2 और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

जांच के दौरान सामने आए तथ्य

पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल ले जाया गया। पहले उसने बाह्य और आंतरिक चिकित्सा जांच से इनकार किया, लेकिन पुलिस द्वारा कानूनी पहलुओं की जानकारी दिए जाने के बाद वह जांच के लिए तैयार हो गई।

SIT जांच के दौरान आरोपियों के मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड, गवाहों के बयान, CCTV फुटेज, पीड़िता के इंस्टाग्राम के IP लॉग्स, पीड़िता के बयान और आरोपियों व उनके परिजनों के बयान एकत्र कर उनकी जांच की गई।

जांच में सामने आया कि अपनी गुमशुदगी के दौरान पीड़िता कुछ आरोपियों के साथ स्वतंत्र रूप से घूमती दिखी। उसे मॉल और चौसट्टी घाट पर अपने सहकर्मियों और दोस्तों के साथ देखा गया। इस दौरान उसने करीब 11 अलग-अलग लोगों के मोबाइल फोन उधार लेकर इंस्टाग्राम लॉगिन किया और कई कॉल भी किए।

जब उससे पूछा गया कि उसने घर क्यों नहीं बताया या किसी को सूचना क्यों नहीं दी, तो उसने कहा कि वह घर जाने से डर रही थी और डर और शर्म के कारण किसी को कुछ नहीं बता सकी।

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