लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें भारत में आरक्षण व्यवस्था का अग्रदूत बताया।
मायावती ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि लखनऊ स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय का मूल नाम तुरंत बहाल किया जाए। यह नाम समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के कार्यकाल में बदलकर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) कर दिया गया था।
उन्होंने लिखा, “यह कार्य जितनी जल्दी हो सके, उतना बेहतर होगा।”
मायावती ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर के इस प्रगतिशील शासक को दलितों को नौकरियों में आरक्षण देने के उनके “क्रांतिकारी कदम” के लिए याद किया और कहा कि वे भारतीय इतिहास में अमर हो गए हैं।
उन्होंने अपनी चार बार की मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान शाहू जी महाराज के सम्मान में उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। इनमें नए जिलों और शैक्षणिक संस्थानों का उनके नाम पर नामकरण और प्रमुख स्थानों पर उनकी प्रतिमाओं की स्थापना शामिल है।
उन्होंने आरोप लगाया, “खास तौर से उल्लेखनीय है कि लखनऊ में उत्तर प्रदेश का पहला छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय हमारी सरकार ने स्थापित कर तुरंत शुरू किया था। लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार ने इसका नाम बदलकर केजीएमयू कर दिया, जो हमेशा से दलितों, बहुजनों और उनके आरक्षण के खिलाफ रही है।”
मायावती ने कहा कि सपा सरकार के इस “घृणित और जातिवादी” फैसले को भाजपा सरकार ने भी इतने वर्षों बाद तक नहीं बदला है, जो दुखद है।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को योजनाबद्ध ढंग से उनके संवैधानिक आरक्षण के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “उन्हें फिर से बेबस, मजबूर और गुलाम बनाने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे समय में छत्रपति शाहू जी महाराज के मानवीय गुणों और अन्यायमुक्त समाज की स्थापना में उनकी भूमिका को याद करना और उसे संरक्षित करना और भी जरूरी हो जाता है।”