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अंधविश्वास की आड़ में हत्याएं— छोरी 2 उभारती है कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह का दर्द; क्यों देखनी चाहिए सबको ये फिल्म?

ऐसे समय में जब कन्या भ्रूण और शिशु हत्या के आंकड़े और बाल विवाह की घटनाएं समाज को चिंतित करती हैं, छोरी 2 एक ऐसी डरावनी फिल्म के रूप में सामने आती है, जो न केवल रोंगटे खड़े करती है, बल्कि इन बुराइयों के खिलाफ एक सशक्त आवाज भी उठाती है। यह फिल्म 11 अप्रैल 2025 को रिलीज हुई और इसे अमेजन प्राइम वीडियो पर देखा जा सकता है।

छोरी 2 की सशक्त कहानी के माध्यम से सूर्य की किरणों से होने वाली एलर्जी, जिसे "सन एलर्जी" या "फोटोसेंसिटिविटी" कहा जाता है, को अंधविश्वास से जोड़कर भारतीय समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को उजागर करती है। इस मेडिकल स्थिति, जिसमें पराबैंगनी (यूवी) किरणों के संपर्क से त्वचा पर प्रतिक्रिया होती है, को फिल्म में "विशेष शक्तियों" के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत कर बालिकाओं और महिलाओं को बाल विवाह जैसे क्रूर रीति-रिवाजों में धकेलने का चित्रण किया गया है। यह दर्शाता है कि कैसे पितृसत्तात्मक समाज एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या को अंधविश्वास की आड़ में महिलाओं के उत्पीड़न का हथियार बनाता है, जो सामाजिक जागरूकता की सख्त जरूरत को रेखांकित करता है।

छोरी 2 एक ऐसी फिल्म है जो न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि समाज में गहरे जड़ें जमाए बैठी कुप्रथाओं पर सवाल भी उठाती है। यह 2021 में रिलीज हुई छोरी का सीक्वल है, जो कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करती थी।

छोरी 2 इन विषयों को और गहराई से प्रस्तुत करती है, साथ ही डर, रहस्य और मां-बेटी के रिश्ते की भावनात्मक कहानी को प्रभावी ढंग से बुनती है। नुसरत भरूचा और सोहा अली खान जैसे सशक्त अभिनेत्रियों की मौजूदगी इसे और प्रभावशाली बनाती है। लेकिन इससे पहले कि हम फिल्म की खूबियों में जाएं, एक नजर डालते हैं भारत में कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या के भयावह आंकड़ों पर, जो इस फिल्म को और प्रासंगिक बनाते हैं।

कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या भारत में एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जिसके आंकड़े न केवल डरावने हैं, बल्कि समाज को झकझोरने वाले भी हैं। विश्वसनीय स्रोतों से मिली लेटेस्ट जानकारी इस प्रकार है:

  • प्यू रिसर्च सेंटर (2020): भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर, 2000 से 2019 तक भारत में कम से कम 90 लाख कन्या भ्रूण हत्याएं हुईं। इनमें से 86.7% हिंदुओं (80% आबादी), 4.9% सिखों (1.7% आबादी), और 6.6% मुस्लिमों (14% आबादी) में दर्ज की गईं। हालांकि पुत्र वरीयता में कमी आई है, फिर भी लिंग-चयनित गर्भपात जारी हैं।

  • संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट (2020): पिछले 50 वर्षों में विश्व में “लापता महिलाओं” की संख्या में भारत का योगदान 4.58 करोड़ है, जिसमें कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या मुख्य कारण हैं। भारत और चीन मिलकर हर साल 15 लाख लापता कन्या जन्मों के लिए 90–95% जिम्मेदार हैं।

  • द लैंसेट (2021): 1981 से 2016 तक 21 लाख जन्म इतिहास के विश्लेषण से पता चला कि लिंग-चयनित गर्भपात के कारण “लापता कन्या जन्म” बढ़े हैं। भारत का जन्म लिंग अनुपात (SRB) 110 पुरुष प्रति 100 महिलाएं है (वैश्विक औसत: 101), जो भ्रूण हत्या की ओर इशारा करता है।

  • भारत की जनगणना (2011): 0–6 वर्ष आयु वर्ग में लिंग अनुपात 914 लड़कियां प्रति 1,000 लड़के था, जो 1991 में 945 से कम है।

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) (2022): भारत में 2022 में 63 शिशु हत्या के मामले दर्ज किए गए, जिनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 25 मामले थे। कन्या शिशु हत्या के विशिष्ट आंकड़े अलग से नहीं दिए गए, और यह संख्या वास्तविकता से बहुत कम हो सकती है, क्योंकि कई मामले उपेक्षा या भुखमरी के रूप में दर्ज नहीं होते।

  • द लैंसेट (2018): हर साल 2.39 लाख अतिरिक्त बालिका मृत्यु (5 वर्ष से कम) दर्ज की जाती हैं, जो मुख्य रूप से उपेक्षा और कुपोषण के कारण होती हैं, न कि प्रत्यक्ष शिशु हत्या के।

कन्या भ्रूण हत्या के सटीक आंकड़े अनुमान पर आधारित हैं, क्योंकि अवैध गर्भपात दर्ज नहीं होते। शिशु हत्या के मामले भी कम दर्ज होते हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर मृत जन्म या प्राकृतिक मृत्यु के रूप में दिखाया जाता है। क्षेत्रीय भिन्नताएं, जैसे हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में गंभीर लिंग असंतुलन, स्थिति की भयावहता को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में 2019 में 132 गांवों में तीन महीने तक कोई कन्या जन्म नहीं हुआ, जिसने भ्रूण हत्या की आशंका को बढ़ाया।

छोरी 2 में देखें पितृसत्तात्मक समाज की क्रूर सच्चाई

छोरी 2 कन्या भ्रूण हत्या, शिशु हत्या और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को न केवल उजागर करती है, बल्कि इनके खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है। फिल्म दिखाती है कि कैसे अंधविश्वास और पितृसत्तात्मक सोच समाज को नुकसान पहुंचाती है। साक्षी (नुसरत भरूचा) की कहानी दर्शकों को इन मुद्दों पर सोचने और बदलाव लाने की प्रेरणा देती है। यह फिल्म उन 90 लाख “लापता” कन्याओं की आवाज बनती है, जिन्हें प्यू रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया।

छोरी के प्रशंसकों के लिए छोरी 2 एक ताजगी भरा अनुभव है। यह पहली फिल्म की कहानी को नए ट्विस्ट और किरदारों के साथ आगे बढ़ाती है। जो लोग पहली फिल्म नहीं देख पाए, उनके लिए भी यह स्वतंत्र रूप से समझ में आती है।

छोरी 2 हॉरर शैली को सामाजिक संदेश के साथ जोड़कर एक अनोखा अनुभव देती है। गन्ने के खेतों में बनी एक रहस्यमयी दुनिया, अंडरग्राउंड दृश्य और डरावने पल दर्शकों को बांधे रखते हैं। साथ ही, यह फिल्म उन आंकड़े को याद दिलाती है, जहां 110 पुरुषों के मुकाबले 100 महिलाओं का जन्म अनुपात समाज की कड़वी सच्चाई को दर्शाता है। यह संतुलन हर आयु वर्ग के दर्शकों के लिए इसे देखने योग्य बनाता है।

छोरी 2 की कहानी सात साल बाद शुरू होती है, जहां साक्षी अपनी बेटी के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी रही है। लेकिन ईशानी के अपहरण के बाद वह उस गांव में लौटती है, जहां अंधविश्वास और कुप्रथाएं हावी हैं। यह कहानी करोड़ों “लापता महिलाओं” की सच्चाई को सामने लाती है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया। यह दर्शकों को समाज में बदलाव की जरूरत पर सोचने को मजबूर करती है।

नुसरत भरूचा साक्षी के किरदार में एक मां की ताकत और हिम्मत को जीवंत करती हैं, जो अपनी बेटी को बचाने के लिए हर हद पार करती है। सोहा अली खान का दासी मां का किरदार रहस्य और भावनाओं से भरा है। उनकी केमिस्ट्री कहानी को और रोमांचक बनाती है। ये किरदार उन लाखों माताओं का प्रतीक हैं, जो NCRB के आंकड़ों में दर्ज होने वाली उपेक्षा और हिंसा का शिकार होती हैं। फिल्म में साक्षी और उसकी बेटी ईशानी का रिश्ता दिल को छू लेता है। एक मां का अपनी बेटी को बचाने का जज्बा दर्शकों को भावुक करता है। यह उन बालिकाओं की कहानी को सामने लाता है, जो हर साल उपेक्षा के कारण खो जाती हैं। यह भावनात्मक पक्ष फिल्म को एक पारिवारिक ड्रामा बनाता है।

विशाल फुरिया का निर्देशन, अनशुल चौबे की सिनेमैटोग्राफी और अद्रिजा गुप्ता का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को एक डरावना और रहस्यमयी माहौल देता है। गांव का माहौल और अंधविश्वास की सेटिंग उन क्षेत्रों की याद दिलाती है, जहां उत्तराखंड जैसे राज्यों में कन्या जन्म शून्य दर्ज हुए। यह तकनीकी पक्ष फिल्म को सिनेमाई बनाता है।

अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही ये फिल्म हर उस व्यक्ति को देखनी चाहिए, जो समाज में बदलाव का समर्थन करता है। छोरी 2 न सिर्फ एक हॉरर फिल्म है, बल्कि एक क्रांति की शुरुआत है—एक ऐसी कहानी जो डराती भी है और जगा भी देती है।

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